भूदान यज्ञ पर निबंध / essay on Bhudan Yagya in hindi

आपको अक्सर स्कूलों में निबंध लिखने को दिया जाता है। ऐसे में हम आपके लिए कई मुख्य विषयों पर निबंध लेकर आये हैं। हम अपनी वेबसाइट istudymaster.com के माध्यम से आपकी निबंध लेखन में सहायता करेंगे । दोस्तों निबंध लेखन की श्रृंखला में हमारे आज के निबन्ध का टॉपिक भूदान यज्ञ पर निबंध / essay on Bhudan Yagya in hindi है। आपको पसंद आये तो हमे कॉमेंट जरूर करें।

भूदान यज्ञ पर निबंध / essay on Bhudan Yagya in hindi

भूदान यज्ञ पर निबंध / essay on Bhudan Yagya in hindi

रूपरेखा—(1) प्रस्तावना, (2) भूदान यज्ञ का श्रीगणेश, (3) भूदान यज्ञ की आहूति, (1) उपसंहार ।

प्रस्तावना —

अंग्रेजों के शासनकाल में धरती पर परिश्रम करने वाला भू-माता का सच्चा पुत्र उसकी गोद से वंचित हो गया। वह किसान जो अपने खून- पसीने से धरती के आँचल में सोना भरता था, स्वयं नंगा, भूखा और दीन असहाय हो गया था। बड़े-बड़े जमींदारों, सामन्तों और नवाबों ने भूमि को दुर्योधन बनकर हड़प लिया था। लेकिन इतिहास कभी चुप नहीं बैठता, वह फिर से आवृत्ति करता है।

फिर से किसान-मजदूरों में नई चेतना जागी, भूमि के लिए फिर से उनमें भूख पैदा हुई तो फिर से भू-समस्या के समुचित समाधान के लिए संत विनोबा भावे निकल पड़े हैं कृष्ण के रूप में देश के कर्त्तव्य प्रांगढ़ में। यदि हमने उन्हें आज निराश लौटा दिया तो इतिहास चुप नहीं बैठेगा। फिर उमड़ता-घुमड़ता महाभारत आयेगा। फिर से वही हिंसात्मक क्रांति होगी और तब उसे आसानी से नहीं रोका जा सकेगा। संत विनोबा भावे का भूदान एक ऐसी अहिंसात्मक क्रान्ति है, जो बिना किसी हिंसा- दुर्भावना के भू-माता के सपूतों को उनका सच्चा अधिकार दिलाने के लिए आरम्भ की गई है।

See also  मेरा प्रिय कवि अथवा गोस्वामी तुलसीदास पर निबंध / essay on my favorite poet in hindi

भूदान यज्ञ का श्रीगणेश-

भूदान यज्ञ का प्रारम्भ तेलंगाना गाँव में हुआ।  सन्ध्याकालीन प्रार्थना सभा में विनोबा जी ने स्थानीय भूमिहीन हरिजनों को भूमि देने के लिए जन-समुदाय से आग्रह किया। उसी समय आशा के अनुकूल उत्तर मिला, “भगवन् ! मेरी सौ एकड़ जमीन आपके चरणों में अर्पित है।” खुशी से विनोबा जी के नेत्र भर आये और उल्लास चेतना के उन क्षणों में उनमें भू-समस्या के समाधान की दिशा में एक अभूतपूर्व संकल्पयुक्त भावना जाग उठी। यहीं से भूदान यज्ञ का श्रीगणेश था । विनोबा जी ने देखा कि जमींदार वर्ग के पास अपेक्षाकृत अधिक भूमि थी और जन साधारण प्रायः भूमिहीन था। यह स्थिति न तो सन्तोषजनक थी और न सहनीय ही। वह विचलित हो उठे। गाँव-गाँव की पैदल यात्रा करते उन्होंने भूपतियों से भूमि माँगना आरम्भ किया और कहा – “यदि तुम्हारे पाँच बेटे हैं, तो छटा मुझे समझ लो और उसका भाग मुझे दे दो।”

भूदान यज्ञ की आहूति

विनोबा जी के अनुसार भूदान एक यज्ञ है। जिस प्रकार यज्ञ में धनी-निर्धन, छोटा-बड़ा सभी समान रूप से भाग ले सकते हैं, ठीक उसी प्रकार भूदान यज्ञ में भी धनी-निर्धन अपनी आहूति दे सकते हैं। भूदान एक क्रान्ति है। आरम्भ में इसका लक्ष्य पाँच करोड़ एकड़ भूमि प्राप्त करना था, किन्तु निरन्तर मिलने वाली सफलता ने विनोबा जी को और अधिक उत्साहित किंथा। उन्होंने भूमिदान से बदलकर अपना लक्ष्य ग्रामदान की ओर अग्रसर कर दिया। यहाँ भी उन्हें अपूर्व सफलता मिली, ग्राम के ग्राम उन्हें दान में मिलने लगे। ग्रामदान की इस आदर्श कल्पना का जन्म उत्तर प्रदेश के भंगराठे गाँव में हुआ था और तीन हजार से भी अधिक गाँव इस महान सन्त ने भूदान के निमित्त प्राप्त किये।

See also  आदर्श प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध / essay on Lal Bahadur Shastri in hindi

उपसंहार-

विश्व भर के चिन्तक, विचारक और समस्या ग्रस्त देश विनोबा भावे के इस यज्ञ को, इस महान प्रयोग को बड़ी जिज्ञासा और आस्था के साथ देख रहे थे। अनेक विकसित और समस्याग्रस्त देश विनोबा के इस अहिंसात्मक यज्ञ से नई आशा-आकांक्षा संजो रहे थे। निश्चय ही इस महान् गाँधीवादी सन्त का यह यज्ञ एक महत्त्वपूर्ण रचनात्मक प्रयोग था। मानवीय कल्याण का भारतीय भूमि पर एक महान आयोजन है।

👉 इन निबंधों के बारे में भी पढ़िए

                         ◆◆◆ निवेदन ◆◆◆

आपको यह निबंध कैसा लगा । क्या हमारे इस निबंध ने आपके निबंध लेखन में सहायता की हमें कॉमेंट करके जरूर बताएं । दोस्तों अगर आपको भूदान यज्ञ पर निबंध / essay on Bhudan Yagya in hindi अच्छा और उपयोगी लगा हो तो इसे अपने मित्रों के साथ जरूर शेयर करें।

Leave a Comment