ओजोन परत की सुरक्षा पर निबंध / ओजोन क्षरण पर निबंध

आपको अक्सर स्कूलों में निबंध लिखने को दिया जाता है। ऐसे में हम आपके लिए कई मुख्य विषयों पर निबंध लेकर आये हैं। हम अपनी वेबसाइट istudymaster.com के माध्यम से आपकी निबंध लेखन में सहायता करेंगे । दोस्तों निबंध लेखन की श्रृंखला में हमारे आज के निबन्ध का टॉपिक ओजोन परत की सुरक्षा पर निबंध / ओजोन क्षरण पर निबंध है। आपको पसंद आये तो हमे कॉमेंट जरूर करें।

ओजोन परत की सुरक्षा पर निबंध / ओजोन क्षरण पर निबंध

ओजोन परत की सुरक्षा par nibandh,ओजोन परत की सुरक्षा पर निबंध,ओजोन क्षरण pr nibandh hindi me,ओजोन परत की सुरक्षा पर निबंध / ओजोन क्षरण पर निबंध

रूपरेखा-(1) प्रस्तावना, (2) ओजोन परत की क्षय के कारण, (3) ओजोन परत के क्षरण के घातक परिणाम, (4) अन्तर्राष्ट्रीय प्रयास, (5) उपसंहार।

प्रस्तावना-

पृथ्वी के चारों ओर समतापमण्डल में 15 से 35 किलोमीटर के बीच एक परत विद्यमान है, जो ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनने वाले अणुओं, जिसे ओजोन कहा जाता है, से निर्मित है। ओजोन से बनी इसी परत को ओजोन परत कहा जाता है। यह परत पृथ्वी की सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यन्त महत्वपूर्ण है। यह पृथ्वी पर आने वाली सूर्य की खतरनाक पराबैंगनी किरणों का अवशोषण करती है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान ओजोन परत में क्षरण की स्थिति पाई गई है।

ओजोन परत की क्षय के कारण-

इस परत के क्षय के कई कारण हैं। औद्योगीकरण के बाद से वातावरण के दूषित होने के कारण पृथ्वी के  इस सुरक्षा कवच में क्षरण हुआ है। ओजोन परत के क्षरण के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार क्लोरो फ्लोरो कार्बन एवं हाइड्रो क्लोरो फ्लोरो कार्बन जैसे रासायनिक पदार्थ रहे हैं। इन दो पदार्थों के अतिरिक्त कार्बन टेट्राक्लोराइड,मिथाइन क्लोरोफॉर्म, मिथाइल ब्रोमाइड जैसे रासायनिक पदार्थ भी ओजोन परत के क्षरण के लिए जिम्मेदार रहे हैं।

See also  स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री  पं० जवाहरलाल नेहरू पर निबंध / essay on Jawaharlal Neharu in hindi

ओजोन परत के क्षरण के घातक परिणाम-

ओजोन परत के क्षरण के कई घातक परिणाम अब तक सामने आए हैं। इसके कारण पृथ्वी पर आने वाली सूर्य की पराबैंगनी किरणों की मात्रा बढ़ जाएगी, जिसके कारण जीव-जन्तुओं को त्वचा सम्बन्धी अनेक प्रकार के गम्भीर रोगों का सामना करना पड़ेगा। पेड़-पौधों का विकास बाधित होने से अनेक प्रकार की कठिनाइयाँ उत्पन्न होंगी। पृथ्वी के तापमान में अत्यधिक वृद्धि होगी, जिससे पर्यावरण सन्तुलन भी बिगड़ेगा।

अन्तर्राष्ट्रीय प्रयास–

जलवायु परिवर्तन, बढ़ते प्रदूषण एवं ग्लोबल वार्मिंग को देखते हुए बीसवीं शताब्दी में संयुक्त राष्ट्र एवं अन्य वैश्विक संगठनों ने पर्यावरण की सुरक्षा की बात करना प्रारम्भ किया। ओजोन परत के क्षय के विषय में प्रथम बार सन् 1976 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की प्रशासनिक परिषद् में विचार-विमर्श किया गया।

उपसंहार-

ओजोन परत का क्षय रोकने के लिए हमें कई आवश्यक उपाय करने होंगे। ओजोन परत पृथ्वी की सुरक्षा परत है। इसलिए इसका संरक्षण आवश्यक है। इसके लिए सर्वप्रथम तो हमें जनसंख्या को स्थिर बनाए रखने की आवश्यकता है। स्वाभाविक है कि जनसंख्या बढ़ेगी, तो उसके लिए उत्पाद एवं रोजगार के लिए उद्योग-धन्धों को स्थापित करना होगा। उद्योग-धन्धे प्रदूषण को बढ़ावा देंगे जो ओजोन के क्षरण का कारण बनेगा। अत: यदि हम चाहते हैं। कि प्रदूषण कम हो एवं पर्यावरण की सुरक्षा के साथ-साथ सन्तुलित विकास भी हो तो इसके लिए हमें नवीन प्रौद्योगिकी का प्रयोग करना होगा।

👉 इन निबंधों के बारे में भी पढ़िए

                         ◆◆◆ निवेदन ◆◆◆

आपको यह निबंध कैसा लगा । क्या हमारे इस निबंध ने आपके निबंध लेखन में सहायता की हमें कॉमेंट करके जरूर बताएं । दोस्तों अगर आपको ओजोन परत की सुरक्षा पर निबंध / ओजोन क्षरण पर निबंध अच्छा और उपयोगी लगा हो तो इसे अपने मित्रों के साथ जरूर शेयर करें।

See also  नदी जोड़ो योजना पर निबंध / essay on river link scheme in hindi

tags -ओजोन परत की सुरक्षा par nibandh,ओजोन परत की सुरक्षा पर निबंध,ओजोन क्षरण pr nibandh hindi me,ओजोन परत की सुरक्षा पर निबंध / ओजोन क्षरण पर निबंध

Leave a Comment