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कश्मीर समस्या पर निबंध / essay on Kashmir problems in hindi
रूपरेखा-(1) प्रस्तावना, (2) कश्मीर समस्या, (3) उपसंहार।
प्रस्तावना-
आज पचास वर्ष व्यतीत हो जाने के बाद भी कश्मीर हमारे लिए समस्या बना हुआ है। यदि हमारे नेता पं० जवाहरलाल नेहरू ने उस समय अपनी सरकार के. सरदार बल्लभ भाई पटेल जैसे वरिष्ट नेताओं और साथियों का कहना मान लिया होता, तो उसी समय इस समस्या का हल हो गया होता।
कश्मीर समस्या-
पाश्चात्य दृष्टि से सोचने वाले अति उदार और हठी जवाहरलाल नेहरू लार्ड माउण्ट बेटन के कहने पर कश्मीर का प्रश्न संयुक्त राष्ट्र संघ में ले गये। यदि वहाँ सोवियत संघ का प्रतिनिधि न बैठा होता तो जाने कब का पूर्ण कश्मीर पाक के जबड़ों में समा चुका होता। राष्ट्र संघ में दो प्रस्ताव पारित किये गये। एक तो यह कि पहले पाकिस्तान कश्मीर का अधिकृत क्षेत्र खाली कर दे, फिर वहाँ पर जनमत संग्रह करा लिया जाय। कश्मीर की जनता भारत अथवा पाकिस्तान जिसके पक्ष में मत दे, उसे उसी देश का अंग बना दिया जाये।
ध्यान देने की बात है कि भारत संयुक्त राष्ट्र संघ के ये प्रस्ताव मानने के लिए तैयार हो गया था लेकिन पाकिस्तान ने ये प्रस्ताव ठुकरा दिये थे। आज पाकिस्तान अनैतिक उपायों और पाक घुसपैठिए कश्मीर में भेजकर वहाँ का वातावरण एक बार तो सचमुच बिगाड़ चुका है। आज सम्पूर्ण कश्मीर बुरी तरह आतंकवाद की चपेट में आ चुका है। वहाँ पाक प्रशिक्षित आतंकवादियों के पता नहीं कितने गिरोह सक्रिय हैं। हत्या,मारकाट, अपहरण, लूट-खसूट आदि आज वहाँ का सामान्य व्यवहार बन चुका हैं। वहाँ सैकड़ों अल्पसंख्यक हिन्दू अपनी अरबों की सम्पति छोड़कर शरणार्थियों का जीवन जीने को विवश हो चुके हैं। उनकी बहू-बेटियों की इज्जत लूट ली गई है।
मन्दिर तथा अन्य धर्मस्थल नष्ट कर दिये गये हैं। इतना ही नहीं कश्मीर के प्रश्न पर तीन बार युद्ध भी हो चुका है। फिर भी वह धारा क्यों नहीं समाप्त की गई, जो अपने ही देश के लोगों को अपने ही देश में जाकर आवास करने, जमीन जायदाद खरीदने की अनुमति नहीं देती। जब भारतीय संविधान में हर भारतीय नागरिक को सारे देश में सभी को समान अधिकार प्राप्त हैं, तो कश्मीर को ही उससे अलग क्यों रखा गया है ? आज कश्मीर में आतंकवादी जो चाहे सो कर सकते हैं। उन्हीं का वहाँ राज है। हमारी दुर्बल राजनीति ने ही ऐसी विषम स्थिति पैदा कर दी है, इसमें किंचित मात्र भी सन्देह नहीं है।
उपसंहार—
हमारे विचार में, आज भी कश्मीर समस्या का वही समाधान है जिस पर सरदार बल्लभ भाई पटेल ने जोर दिया था, अन्य कोई उपाय नहीं है। स्मरण रखने की बात है राष्ट्र बढ़कर और कुछ भी नहीं होता। उसकी अखण्डता की रक्षा के लिए जो कुछ भी किया जाय, वह उचित ही होगा। कश्मीर हमारा है। जैसे भी सम्भव हो राष्ट्रीय अस्मिता के साथ जुड़ी इस समस्या का समाधान यथाशीघ्र होना ही चाहिए।
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◆◆◆ निवेदन ◆◆◆
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