नदी जोड़ो योजना पर निबंध / essay on river link scheme in hindi

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नदी जोड़ो योजना पर निबंध / essay on river link scheme in hindi

नदी जोड़ो योजना पर निबंध / essay on river link scheme in hindi

रूपरेखा—(1) प्रस्तावना, (2) नदी सम्पर्क योजना, (3) योजना के लाभ, (4) योजना से हानियाँ, (5) उपसंहार।

प्रस्तावना-

संस्कृति एवं सभ्यता के निर्माण एवं विकास में नदियों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। प्राचीन काल से ही अन्य प्राकृतिक संसाधनों के साथ नदियों का भी विशेष महत्व रहा है। प्राचीन काल में जल को की संज्ञा दी जाती थी जो आज भी बहुत प्रासंगिक है। विश्व में उपलब्ध जल भण्डार में मात्र कुछ प्रतिशत ही पीने योग्य है, अतः उस पीने योग्य अमृत जल का उचित प्रकार से प्रयोग हो, यही आज की चुनौती है। भारत में नदियों के धार्मिक, आर्थिक सभी प्रकार के महत्व को देखते हुए उन्हें विशेष स्थान प्रदान किया गया है। भारत सरकार ने एक महत्वाकांक्षी परियोजना का शुभारम्भ 13 अक्टूबर, 2002 को किया। इस महत्वाकांक्षी नदी सम्पर्क योजना को ‘अमृत क्रान्ति’ का नाम दिया गया।

नदी सम्पर्क योजना-

अमृत क्रान्ति के रूप में भारत सरकार ने नदी सम्पर्क योजना का प्रस्ताव पारित किया जिसमें लगभग 37 नदियों को जोड़ने की बात कहीं गयी है। अनुमानतः इस योजना पर 11 बिलियन डॉलर की लागत आँकी गयी है। इसके अन्तर्गत जो 30 अन्तर बेसिन जोड़ बनाए जाएँगे, उनमें पानी को अधिक पानी वाले बेसिन से कम पानी वाले बेसिन में पहुँचाया जायेगा और समुद्र में बहने वाला नदियों का फालतू जल रोका जायेगा। भारत सरकार इस परियोजना द्वारा जहाँ एक ओर सूखा और बाढ़ की समस्या को हल करेगी वहीं दूसरी ओर बिजली, पेयजल आदि की समस्या का भी निदान हो सकेगा।

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योजना के लाभ—

इस परियोजना के संभावित लाभों का जो अनुमान लगाया गया है, उसमें महत्वपूर्ण यह है कि यह केवल नदियों को जोड़ने अथवा उन्हें आपस में मिला देने की परियोजना नहीं है। नदियों को नहरों के माध्यम से जोड़ा जायेगा और जगह-जगह पर बाँध एवं जल संरक्षण के लिए जल भण्डार वॉटर स्टोरेज बनाए जायेंगे। मानसून के दिनों में आवश्यकता से ज्यादा पानी को इसमें सुरक्षित कर लिया जायेगा और बाद में जिस राज्य को आवश्यकता होगी, उसे नहरों के जरिये उसी सुरक्षित से आपूर्ति की जायेगी।

योजना से हानियाँ—

यद्यपि इस योजना को प्रारम्भिक तौर पर देखने से यह बहुत ही विकासोन्मुख दिखती है लेकिन इससे उत्पन्न हानियों को भी रेखांकित करना आवश्यक है, परन्तु विकास के लिए कीमत तो चुकानी ही पड़ती है। हमें सदैव यह प्रयास करना चाहिए कि विकास के अनुपात में कीमत को न्यूनतम किया जा सके। इस परियोजना में कई समस्यायें और जटिलतायें भी हैं। बहुत बड़े स्तर पर और बड़े क्षेत्र में नहरों का निर्माण होने से विस्थापन की समस्या विकराल रूप में उपस्थित होगी।

उपसंहार-

फिलहाल सरकार नयी ऊर्जा एवं दृढ़ निश्चय के साथ इस महत्वाकांक्षी योजना को शुरू करने पर आमादा है। सरकार को यह चाहिए कि अपनी कार्य योजना के केन्द्र में मानवीय पक्ष को रखे तथा लाभ एवं हानि वाले सभी पक्षों पर गहन पड़ताल कर मानवीय अस्तित्व की अक्षुण्णता को बनाये रखे, क्योंकि इसके बिना कोई भी विकास का काम अधूरा है।

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