निः शुल्क व अनिवार्य शिक्षा का अधिगम अधिनियम के प्रमुख बिंदु / RTE 2009 के प्रमुख बिंदु

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निः शुल्क व अनिवार्य शिक्षा का अधिगम अधिनियम के प्रमुख बिंदु / RTE 2009 के प्रमुख बिंदु

निः शुल्क व अनिवार्य शिक्षा का अधिगम अधिनियम के प्रमुख बिंदु / RTE 2009 के प्रमुख बिंदु

नि: शुल्क व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (R.T.E.-2009)

(1) 12 दिसम्बर, 2002 को भारत के संविधान में 86वें संविधान संशोधन किया गया और उसमें अनुच्छेद 21-A को जोड़ा गया।

(2) अनुच्छेद 21-A शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया गया।

(3) 20 जुलाई 2009- राज्य सभा तथा 4 अगस्त, 2009- लोकसभा में विधेयक पारित हुआ।

(4) 26 अगस्त, 2009 राष्ट्रपति के हस्ताक्षर अधिनियम बन गया।

(5) 1 अप्रैल 2010 को पूरे भारत में लागू (जम्मू-कश्मीर को छोड़कर)

(6) भारत शिक्षा के अधिकार को लागू करने वाला-विश्व में 135 वाँ देश में बन गया।

नोट– राजस्थान में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा-38 द्वारा प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्यसरकार इस अधिनियम के प्रावधानों की क्रियान्वित हेतु राजस्थान निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकर नियम 2011 बनाकर 29 मार्च 2011 को अधिसूचित किया।

(7) यह संवैधानिक प्रावधान के (6-14) वर्ग आयु बच्चों को निःशुल्क शिक्षा

(8) यह केन्द्र व राज्य सरकार दोनों का दायितव बनता है।

(9) संविधान के भाग-3 (मौलिक अधिकार) में अनुच्छेद 21-A में प्रावधान है।

(10) RTE-act ईसाई मिशनरी, मदरसों व धार्मिक शिक्षा की संस्थानों पर लागू नहीं है।

R.T.E.Act-2009 की संरचना

इस अधिनियम में कुल 7 अध्याय 1 अनुसूची और 38 धारायें शामिल है।

प्रथम– प्रस्तावना- (सबसे छोटा)
द्वितीय– निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार act-2009.
तृतीय– अधिकारी वर्ग के अधिकार व दायित्व तथा माता-पिता के कर्तव्य
चौथा– विद्यालय मे मानक, शिक्षक की योग्यता, अधिकार व दायित्व (सबसे बड़ा)
पाँचवाँ– पाठ्यक्रम बनाने वाले अधिकारियों के अधिकार व दायित्व
छठवाँ– बाल संरक्षण अधिकार अधिनियम 2005
सातवाँ– सरकार को अधिकार है कि वह मानकों में परिवर्तन कर सकती है।

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अनुसूची

A-शिक्षण व्यवस्था व छात्र-शिक्षक का अनुपात

प्राथमिक स्तर-(40:1) (1-5 कक्षा)
छात्र      शिक्षक

60- 2 शिक्षक
60-90- 3 शिक्षक
90-120 –  4 शिक्षक
120-200 – 5 शिक्षक
नोट-150 से अधिक पर 5 शिक्षक + 1 प्रधानाध्यापक
200 से अधिकर पर – 40:1

उच्च प्राथमिक स्तर (6-8 कक्षा (35:1)
विज्ञान व गणित – 1
सामाजिक विज्ञान– 1
भाषा शिक्षक – 1
नोट- 100 से अधिक होने पर 1 प्रधानाध्यापक

B-शिक्षण दिवस शैक्षणिक घण्टे, प्रतिदिन शिक्षण कार्य

प्राथमिक स्तर- 200 (दिवस)=  800 घण्टे =  4 घण्टे/दिन
उच्च प्राथमिक- 220 (दिवस) = 1000 घण्टे = 4.30 घण्टे/दिन

नोट- RTE अधिनियम के अनुसार, एक शिक्षक सप्ताह में तैयारी के घंटे सहित शिक्षण में न्यूनतम 45 घंटे खर्च करेगा, और निजी ट्यूशन के अभ्यास से निषिद्ध होगा।

धाराएँ-38

धारा-1– संक्षिप्त नाम, विस्तार

धारा-2– परिभाषाएँ- प्रतिव्यक्ति शुल्क, बालक, दुर्बल वर्ग
प्रारम्भिक शिक्षा (1-8)

धारा-3– निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (6-14 वर्ष)

धारा-5- अन्य विद्यालय में स्थानान्तरण का अधिकार

धारा-8– केन्द्र व राज्यों की वित्तीय भागीदारी 65-35%, पूर्वोत्तर राज्यों में 90-10%

धारा-10– माता-पिता और संरक्षक के दायित्व।

धारा-12-गैर सरकारी विद्यालयों में अल्प आयु वर्ग के लिए 25% सीटों को आरक्षित रखी जायें।

धारा-13– बालक के प्रवेश के समय प्रवेश शुल्क व शिक्षण शुल्क नहीं लिया जायेगा।

धारा-14– बालक के प्रवेश के समय किसी भी प्रकार के आयु प्रमाण या अन्य प्रमाण नहीं मांगा जायेगा।

धारा-15– प्रवेश से इन्कार नहीं किया जायेगा (प्रवेश तिथि (30 सितम्बर के पश्चात भी लिया जायेगा)

धारा-16– बालक को किसी भी कक्षा में फेल नहीं कर सकते।

धारा-17– बालक को शारीरिक दण्ड या मानसिक उत्पीड़न नहीं किया जायें।

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भाग-18– मान्यता प्राप्त विद्यालय संचालन की अनुमति

धारा-19– बिना मानक प्राप्त या बिना-मान्यता प्राप्त विद्यालय को रद्द करने का प्रावधान

धारा-20– सरकार को यह अधिकार है कि विद्यालयों के तय किये गये मानकों में संशोधन कर सकती है।

धारा-21– विद्यालय प्रबन्धन समिति का गठन SMC  ( कुल सदस्य-15)

• SMC में 75 % (तीन चौथाई) सदस्य- माता-पिता या संरक्षक होंगे। लगभग 11 सदस्य
• SMC में 50 % महिला सदस्य (परन्तु अधिकतम महिला सदस्य 15 हो सकती है।)
4 सदस्य विद्यालय प्रशासन शक्ति सम्बन्धित होते हैं।
• प्रधानाचार्य, समिति का सचिव होता है।
• SMC विद्यालय विकास की योजना बनाती है।
नोट- प्रत्यके 2 वर्ष में SMC का गठन किया जाता है।

धारा-22-SMC द्वारा बनाई गई योजना का क्रियान्वयन होता है।
धारा-23– शिक्षक की योग्यता (नहीं है, तो 5 वर्ष में अर्जित)
धारा-24-शिक्षक के कर्तव्य
◆समय पर पाठ्यक्रम संचालन व कार्य करेगा।
◆ समय पर विद्यालय आना
धारा-25– शिक्षक व छात्र अनुपात
धारा-26– कुल स्वीकृत पदों का 10% से अधिक पद रिक्त नहीं होनी चाहिए।
धारा-27-शिक्षण के अलावा शिक्षक केवल जनगणना, निर्वाचन तथा राहतकार्य (आपातकाल) सम्बन्धित कार्य करेगा।
धारा-28– शिक्षक प्राइवेट टयूशन या प्राइवेट शिक्षण नहीं कराएगा
धारा-29– पाठ्यक्रम निर्माण करने वाले अधिकारियों के कर्तव्य व दायित्व
धारा-30A– बालक के प्रारम्भिक शिक्षा समाप्त होने तक किसी भी प्रकार की कोई परीक्षा का आयोजन नहीं होगा।
धारा-36-38– सरकार की धाराएँ
धारा-38– समुचित सरकार को नियम व मानकों में परिवर्तन की शक्ति

अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य

(1) बच्चों को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ यूनिफार्म, बुक्स, मिड-डे-मिल व परिवहन के लिए भी खर्चा शून्य होता है।

(2) बच्चों के घर से
कक्षा 1-5 के लिए  – 1 K.M.
कक्षा 6-8 के लिए – 3 K.M. के दायरे में विद्यालय

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(3) राज्य सरकार 6 वर्ष से कम आयु (3-6 वर्ष) के बच्चों के लिए प्री-स्कूलिंग की व्यवस्था करेंगी।

(4) बच्चों को शारीरिक दण्ड देने वाले शिक्षकों पर कार्यवाही की जायेगी।

(5) अभिभावकों के इन्टरव्यू और बच्चों के स्क्रीनिंग टेस्ट प्रतिबन्ध।

(6) विकलांग, मंदबुद्धि बच्चों के लिए विशेष प्रशिक्षित शिक्षकों की व्यवस्था

(7) विकलांग छात्रों के लिए आयु सीमा 6-18 वर्ष तक है।

(8) कोई भी शिक्षक एक विद्यालय में सेवारत होने पर दूसरे विद्यालय में सेवा नहीं देगा।

मनोवैज्ञानिक अधिकार

अनुच्छेद 21- भाग-3:
राज्य को 6-14 वर्ष तक के सभी बच्चों को निः शुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध करानी होगी।

धारा 29(2)-
राज्य द्वारा पोषित या राज्य निधि से सहायता प्राप्त करने वाली किसी शिक्षा संस्था में किसी नागरिक को केवल धर्म, जाति,प्रजाति, भाषा या इनमें से कोई एक के आधार पर प्रवेश देने से रोका नहीं जाएगा।

धारा-45 निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा- राज्य के इस संविधान के लागू होने के समय से 10 वर्ष के अन्तर्गत सभी बच्चों के लिए जब तक वे 14 वर्ष नहीं हो जाते, निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा देने का प्रयास करेगा।

बाल अधिकार
संयुक्त राष्ट्र संघ-
20 नवम्बर 1989 में (पारित)
56 अनुच्छेद थे।
191 देशों का समर्थन

भारत सरकार द्वारा अंगीकार-
11 दिसम्बर, 1992

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