श्रीमती सरोजिनी नायडू पर निबंध / essay on Sarojinj Naidu in hindi

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श्रीमती सरोजिनी नायडू पर निबंध / essay on Sarojinj Naidu in hindi

श्रीमती सरोजिनी नायडू पर निबंध / essay on Sarojinj Naidu in hindi


रूपरेखा (1) प्रस्तावना, (2) जन्म और शिक्षा, (3) कार्य क्षेत्र,
(4) उपसंहार।

प्रस्तावना—

आधुनिक भारत को गौरव प्रदान करने में जिन महिलाओं का योगदान रहा है, उनमें श्रीमती सरोजिनी नायडू का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वे बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं। अंग्रेजी में कविताएँ लिखकर भारतीय आदर्शों और जीवन-भूल्यों से उन्होंने विश्व को परिचित कराया। अंग्रेजी भाषा पर उनके अधिकार और उनकी काव्य-प्रतिभा से प्रभावित होकर पाश्चात्य देशों ने मुक्त कण्ठ से उनकी प्रशंसा की। सरोजिनी नायडू का कार्य क्षेत्र केवल काव्य रचना तक ही सीमित नहीं था। उन्होंने देश के नव-जागरण और स्वतन्त्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर भाग लिया। गाँधी जी के भारतीय राजनीति में आने के पश्चात् सरोजिनी नायडू उनकी निकटतम सहयोगी बन गयीं।

जन्म और शिक्षा-

सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को पूर्वी बंगाल के ब्रह्म नगर नामक ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम अधीरनाथ चट्टोपाध्याय था। वे भारतीय और पाश्चात्य साहित्य के अच्छे विद्वान् थे। उनके परिवार का वातावरण ब्रह्मसमाजी विचारों से प्रभावित था। आठ भाई बहिनों में सबसे बड़ी सरोजिनी नायड़ को परिवार का बौद्धिक वातावरण मिला। सरोजिनी नायडू के भाई ने लिखा है—“उनका घर ज्ञान और संस्कृति का संग्रहालय था और विद्वानों तथा विचारों से भरा रहता था। वह सबके लिए सदैव खुला रहता था।”

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आरम्भ में सरोजिनी नायडू की रुचि अंग्रेजी की ओर बिल्कुल नहीं थी। उनके पिता उन्हें अंग्रेजी भाषा सिखाना चाहते थे। अंग्रेजी बोलने से मना करने पर उनके पिता ने उन्हें पूरे दिन कमरे में बन्द रखा। इसका परिणाम यह हुआ कि वह अंग्रेजी भाषा का अध्ययन करने में लग गयीं। 13 वर्ष की अवस्था में उन्होंने 300 लाइनों की एक लम्बी कविता और दो हजार लाइनों का एक नाटक लिख दिया। सरोजिनी नायडू का कंठ अत्यन्त मधुर था । जब वे काव्य-पाठ करती थीं तो उनकी संगीतमय मधुर आवाज से श्रोतागण मन्त्रमुग्ध हो जाते थे। उनके काव्य में अद्भुत लालित्य था।

इसी कारण आगे चलकर उन्हें ‘भारत कोकिला’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। अपनी आरम्भिक शिक्षा उन्होंने मद्रास में पूर्ण की। उच्च शिक्षा के लिए लन्दन और विर्स्टन गयीं। कैम्ब्रिज में अध्ययन करने के पश्चात् भारत लौटने पर उन्होंने अपनी पसन्द से डॉ० नायडू से विवाह किया। इस अन्तर्जातीय विवाह के लिए ब्रह्मसमाजी विचार के माता-पिता ने भी सहर्ष स्वीकृति प्रदान कर दी। उनका वैवाहिक जीवन बहुत सुखी था ।

कार्य-क्षेत्र—

गोपालकृष्ण गोखले से प्रेरणा लेकर सरोजिनी नायडू ने राष्ट्रीय एकता और महिलाओं की उन्नति के कार्यों में रुचि लेना प्रारम्भ कर दिया। वे नव-जागरण का सन्देश देती हुई देश के विभिन्न भागों में भाषण देने लगीं। पर्दा प्रथा की कटु आलोचना, हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल और स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग का प्रचार उनके भाषण के मुख्य विषय थे। गाँधी जी के सम्पर्क में आने के कारण उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र में कार्य करने की एक नयी दिशा मिली और उन्होंने अपने आपको तन, मन से देश-सेवा में लगा दिया।

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उपसंहार–

सरोजिनी नायडू ‘भारत कोकिला’ के कविता संग्रह में प्रमुख है—’गोल्डन की शील्ड’, ‘दि वर्ल्ड ऑफ टाइम’ और ‘दि ब्रोकिन किंग’ | काव्य में रुचि रखने वाली श्रीमती सरोजिनी नायडू 1 मार्च, 1949 की रात में अपनी नर्स से गाना सुनते हुए सोईं तो फिर उठ नहीं सकीं।

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