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सद्व्यवहार पर निबंध / essay on good behavior in hindi
रूपरेखा—(1) प्रस्तावना, (2) सज्जन-दुर्जन, (3) सद्व्यवहार का प्रभाव, (4) उपसंहार।
प्रस्तावना –
संसार में दो प्रकार के मनुष्य हैं—सज्जन और दुर्जन। सज्जन अच्छा व्यवहार करते हैं और दुर्जन बुरा व्यवहार करते हैं। ये अच्छे और बुरे व्यवहार हर व्यक्ति के द्वारा हर समय और हर स्थान पर किये जाते हैं। इन्हीं व्यवहारों को देखकर देखने वाले व्यवहार करने वालों को अच्छा-बुरा या सज्जन-दुर्जन कहते हैं।
सज्जन दुर्जन-
मानव संसार के सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। वह विवेकशील और बुद्धिमान् है। उसमें सत् और असत् की पहचान करने की क्षमता होती है जो अन्य प्राणियों में नहीं मिलती। वह परोपकार की भावना से परिपूर्ण होता है। उसमें सहनशीलता, प्रेम तथा सद्भावना का आवास रहता है। इन सभी गुणों से परिपूर्ण व्यक्ति सज्जन कहलाता है। यदि समाज में रहने वाला कोई भी व्यक्ति अपने माता-पिता का आदर करता है, उनकी सेवा करता है, अपने बड़े भाई-बहिनों का सम्मान करता है एवं छोटे भाई-बहिनों की सहायता करता है, तो यह उसका सद्व्यवहार होगा। ऐसे व्यक्ति को हम सज्जन कहेंगे। इसके विपरीत जो अपने माता-पिता का अनादर करता है तथा ऐसे काम करता है, जिससे उनका अनादर होता है और उनकी आत्मा को दुःख होता है।
जो भाई-बहिनों से लड़ता झगड़ता है, उन्हें मारता-पीटता है, उनका हिस्सा हड़प लेता है, उसके ये सब काम बुरे हैं और हम उसे दुर्जन कहेंगे। रेल में दो तरह के यात्री यात्रा कर रहे हैं। उनमें एक आदमी है जो है कि आराम किसी बूढ़े को खड़ा देखकर उसे अपनी जगह दे देता है और दूसरा यह चाहता से सोता रहूँ, चाहे बहुत से लोग खड़े रहें। जो बूढ़ों को, अपाहिजों को बच्चे सहित स्त्री को स्वयं कष्ट सहकर जगह देता है, उसकी लोग प्रशंसा करते हैं, किन्तु जो दूसरों को खड़ा देखकर सोता या लेटा रहता है, उसे लोग बुरा कहते हैं। इसी प्रकार का व्यवहार बस भी देखा जाता है।
लड़का-लड़की का विवाह हो रहा है। लड़की वाले ने यदि दहेज कम दिया तो लड़के वाला लड़के को विवाह- मण्डप से उठा लेता है और रूठ कर चल देता है। दहेज कम मिलने पर यदि लड़की को घर ले भी जाता है तो फिर पिता से धन मँगाने के लिए लड़की को तरह-तरह से कष्ट दिया जाता है और धन नहीं मिलता है तो उसे जला कर मार दिया जाता है। इन्हें ही दुर्जन कहते हैं। इसके विपरीत सज्जन किसी तरह का दहेज नहीं चाहता है। वह दूसरे की लड़की को अपनी लड़की समझकर उसे लाड़ प्यार से रखता है। बुरे व्यवहार करने वाले की निन्दा होती है और अच्छे व्यवहार करने वाले की प्रशंसा होती है।
सद्व्यवहार का प्रभाव –
हमें चाहिए कि हम अच्छा व्यवहार करें। अच्छे व्यवहार करने वाले की सदा प्रशंसा होती है। अच्छे व्यवहार करने वाले का नाम अमर रहता है। बुरे काम करने वाले की सब निन्दा करते हैं। जिसकी निन्दा होती है, उससे सब लोग घृणा करते हैं। सद्व्यवहार बुरे से बुरे व्यक्ति को भी प्रभावित करता है। अतः हमें चाहिए कि हम सदा अच्छा व्यवहार करें, जिससे हमारे शरीर से, हमारे विचारों से समाज सुखी रहे और हमारा आदर सत्कार करे।
उपसंहार—
मनुष्य को संसार के अन्य जीवधारियों से श्रेष्ठ बनाने का श्रेय सद्विचारों को जाता है। हम जैसा सोचते हैं, वैसे ही बन जाते हैं, अतः हमें ऐसे साहित्य का पठन-पाठन करना चाहिए, जिससे हमारे अन्दर सद्विचारों का प्रादुर्भाव हो। उन्नति की एकमात्र सीढ़ी सद्विचार हैं। बुद्धिमान् मनुष्य को सद्विचार की पतवार से अपनी जीवनरूपी नौका को भवसागर से पार लगाने का करना चाहिए।
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◆◆◆ निवेदन ◆◆◆
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