भारतीय क्रिकेटर सचिन तेन्दुलकर पर निबंध / essay on Indian cricketer Sachin Tendulkar in hindi

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भारतीय क्रिकेटर सचिन तेन्दुलकर पर निबंध / essay on Indian cricketer Sachin Tendulkar in hindi

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भारतीय क्रिकेटर सचिन तेन्दुलकर पर निबंध / essay on Indian cricketer Sachin Tendulkar in hindi

रूपरेखा–(1) प्रस्तावना, (2) जीवन-परिचय, (3) सचिन का कैरियर, (4) सम्मान, (5) उपसंहार ।

प्रस्तावना –

खेलों की दुनिया में कुछ ऐसी उपलब्धियाँ होती हैं जिन तक पहुँचाना आसान नहीं होता। अन्तर्राष्ट्रीय एक-दिवसीय क्रिकेट में कोई बल्लेबाज अब तक 200 रन नहीं बना पाया था, परन्तु भारत के सचिन तेन्दुलकर ने दक्षिण अफ्रीका की मजबूत टीम के खिलाफ यह कारनामा कर दिखाया। सचिन क्रिकेट जगत में एक ऐसी जीती जागती मिसाल बन गए हैं, जिसका कोई मुकाबला नहीं। अधिकतर मैचों में भारतीय टीम की जीत की उम्मीद सचिन पर ही निर्भर करती है। उनके आउट होने पर दर्शकों एवं पूरी टीम पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है, जिससे पूरा मैच प्रभावित होता है। यही कारण है कि उन्हें ‘क्रिक्रेट का भगवान’ कहा जाता है।

जीवन-परिचय–

तेन्दुलकर का जन्म 24 अप्रैल, 1973 को मुम्बई में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा मुम्बई के ही श्रद्धाश्रम विद्या मन्दिर में पूरी की। इसी स्कूल की क्रिक्रेट टीम में खेलते हुए उनके क्रिक्रेट जीवन की शुरूआत हुई थी। उन्हें प्रसिद्ध क्रिक्रेट प्रशिक्षक रमाकान्त अचरेकर का सान्निध्य प्राप्त हुआ, जिन्होंने छोटी उम्र में ही न केवल सचिन की प्रतिभा को पहचाना बल्कि उसे तराशने में भी अपना पूरा योगदान दिया।

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सचिन का कैरियर-

सचिन ने दाएँ हाथ के बल्लेबाज के रूप में अपने अन्तर्राष्ट्रीय कैरियर की शुरूआत 15 नवम्बर, 1989 को तथा एक-दिवसीय कैरियर की शुरूआत 18 दिसम्बर, 1989 को पाकिस्तान के विरुद्ध की थी। उसके बाद इस महान् खिलाड़ी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और रिकॉर्डर पर रिकॉर्ड बनाता चला गया। सचिन कितने महान् क्रिक्रेटर हैं इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने टेस्ट क्रिक्रेट में चार बार ‘मैन ऑफ द सीरीज’ एवं ग्यारह बार ‘मैन ऑफ द मैच’ का खिताब प्राप्त किया है। एकदिवसीय क्रिक्रेट में उन्होंने 14 बार ‘मैन ऑफ द सीरीज’ एवं 60 बार ‘मैन ऑफ द मैच’ का खिताब प्राप्त किया है। वे टेस्ट क्रिक्रेट में 51 शतक एवं 59 अर्द्धशतकों के साथ 14000 से अधिक रन बनाने वाले दुनिया के प्रथम बल्लेबाज हैं।

सम्मान-

सचिन की उपलब्धियों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 1994 में अर्जुन पुरस्कार, 1997-98 में ‘राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड’ एवं 1999 में ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया। 1997 में उन्हें ‘विल्डन क्रिक्रेटर ऑफ द ईयर’ चुना गया। 2001 में महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें ‘महाराष्ट्र भूषण अवार्ड’ प्रदान किया। 2006 में ‘टाइम’ पत्रिका ने उन्हें एशिया के सर्वकालिक नायकों में से एक माना। उसी वर्ष उन्हें ‘स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ द ईयर’ का भी पुरस्कार प्राप्त हुआ। 2008 में भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया। इसके बाद देश-विदेश के कई संस्थानों ने उन्हें विभिन्न पुरस्कारों एवं सम्मानों से सम्मानित एवं विभूषित किया। 2010 में आई० सी० सी० ने उन्हें ‘क्रिक्रेट ऑफ द ईयर’ चुना। इसी वर्ष भारतीय वायुसेना ने उन्हें ग्रुप कैप्टन का सम्मान दिया। 2013 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

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उपसंहार –

विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय क्रिकेटर बन चुके सचिन अत्यन्त सरल एवं साधारण इंसान के रूप में जीते हैं। उनकी पत्नी अंजलि पेशे से एक डॉक्टर हैं। उनके पुत्र का नाम अर्जुन है। सचिन अपना खाली समय अपनी पत्नी एवं बच्चे के साथ बिताना पसन्द करते हैं। युवाओं का आदर्श बन चुके सचिन का कैरियर बेदाग एवं विवादों से परे है। यह भी उनकी एक बड़ी उपलब्धि है।

विज्ञापन में अपार धन एवं चकाचौंध ने जब हर खिलाड़ी का ईमान हिलाकर रख दिया, ऐसे समय में शराब के विज्ञापन के लिए उन्होंने सीधे शब्दों में मना कर एक मिसाल कायम की। इससे पता चलता है कि वे समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी बखूबी समझते हैं और यही बात उन्हें अन्य खिलाड़ियों से अलग करती है। सचिन तेन्दुलकर जैसे होनहार खिलाड़ी धरती पर कभी-कभी ही जन्म लेते हैं। आने वाली पीढ़ियों के लिए उनका जीवन प्रेरणा का अमूल्य एवं विशाल स्रोत है। वे निश्चय ही भारत के गौरव हैं।

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