हमारे देश के राष्ट्रीय पर्वों और त्यौहारों का महत्त्व पर निबंध / essay on national festival in hindi

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हमारे देश के राष्ट्रीय पर्वों और त्यौहारों का महत्त्व पर निबंध / essay on national festival in hindi

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रूपरेखा—(1) प्रस्तावना, (2) त्यौहारों और पर्व का महत्त्व, (3) त्यौहारों की शृंखला, (4) उपसंहार ।

प्रस्तावना- 

हमारा देश विभिन्नताओं के समूह का एक ऐसा देश है, जो अत्यन्त दुर्लभ और अद्भुत है। इस दुर्लभता और अद्भुत स्वरूप में आनन्द और उल्लास की छटा दिखाई देती है। हमारे देश में जो भी त्यौहार या पर्व मनाये जाते हैं, उनमें एकरूपता दिखाई पड़ती है। पर्वों और त्यौहारों का मानव जीवन में विशेष महत्त्व है। उत्सवों से मानव जीवन की नीरसता दूर होती है तथा रोचकता में वृद्धि होती है। पर्वों से नई प्रेरणा मिलती है। पर्व कई प्रकार के होते हैं; जैसे—धार्मिक, सांस्कृतिक, जातीय, ऋतु सम्बन्धी और राष्ट्रीय। जिन पर्वों का सम्बन्ध किसी व्यक्ति, जाति या धर्म के मानने वालों से न होकर सम्पूर्ण से होता है। ऐसे पर्व जो सम्पूर्ण देश में उत्साहपूर्वक सभी नागरिकों द्वारा मनाए जाते हैं, ऐसे पर्वों को राष्ट्रीय पर्व कहा जाता है। स्वतन्त्रता दिवस, गणतन्त्र दिवस, गाँधी जयन्ती आदि हमारे राष्ट्रीय पर्व हैं।

राष्ट्र त्यौहारों और पर्वों का महत्त्व –

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सभी प्रकार के त्यौहारों और पर्वों का कुछ-न-कुछ विशिष्ट अर्थ होता है। इस विशिष्ट अर्थ के साथ इनका कोई-न-कोई महत्त्व भी अवश्य होता है। इस महत्त्व में मानव की प्रकृति और दशा किसी-न-किसी रूप में अवश्य झलकती है। हमारे देश में त्यौहारों और पर्वों का विशेष महत्त्व है। इन त्यौहारों और पर्वों का महत्त्व समाज और राष्ट्र की एकता, समृद्धि, प्रेम और मेल-मिलाप की दृष्टि से है। धार्मिक समन्वय, साम्प्रदायिक एकता, सामाजिक समानता को हमारे भारतीय पर्व और त्यौहार समय-समय पर घटित होकर हमारे अन्दर उत्पन्न करते हैं। जातीय भेद-भाव और संकीर्णता की भावना को त्यौहार और पर्व समाप्त कर देते हैं।

त्यौहारों की शृंखला-

हमारे देश में त्यौहार तो शृंखलाबद्ध हैं। एक त्यौहार समाप्त हो रहा होता है, वैसे ही दूसरा शुरू हो जाता है। तात्पर्य यह कि हम पूरे वर्ष त्यौहारों के मधुर मिलन से जुड़े रहते हैं। हमें कभी भी इनसे फुरसत नहीं मिलती है। हमारे देश के प्रमुख त्यौहारों में रक्षाबन्धन, दीपावली, होली,जन्माष्टमी, रामनवमी, दशहरा, ईद, मुहर्रम, बकरीद, क्रिसमस, ओणम, वैशाखी, आदि हैं। सावन मास में रक्षाबन्धन का त्यौहार मनाया जाता है। रक्षाबन्धन त्यौहार का महत्त्व प्राचीन परम्परा के अनुसार गुरु-महत्त्व को प्रतिपादित करता है।

आधुनिक परम्परा के अनुसार बहिनें अपने भाइयों के हाथ में राखी का बंधन बाँधकर उनसे परस्पर प्रेम के निर्वाह का वचन लेती हैं। भादों के महीने में जन्माष्टमी का त्यौहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन की याद में मनाया जाता है। दशहरा का त्यौहार पूरे देश में आश्विन मास में मनाया जाता है। देवों पर दैत्यों से आए हुए संकट के निवारण के लिए परम शक्ति दुर्गा देवी का नवरात्रि समारोह से जहाँ इस त्यौहार का समापन करके हम सात्विक और आत्मिक शक्ति के महत्त्व को जुटाते हैं, वहीं दूसरी ओर धर्मसंस्थापक और मानवीय मूल्यों के रक्षद तथा इसके विरोधी ताकतों वाले रावण, बालि आदि का विनाश करने वाले श्रीराम की रामलीला का आयोजन करके हम मानवता के पथ का निर्देश करते हैं।

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दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या के अन्धकार को पराजित करने के लिए प्रकाश का आयोजन करके सम्पन्न किया जाता है। यह अज्ञान के अन्धकार को हटाकर ज्ञान के प्रकाश की स्थापना के अर्थ में होता है। होली का महत्त्व स्वतः प्रकट है। इस पर्व पर आनन्द और उमंग से सराबोर हो हम अपनी कटुता और दुर्भावना को भूलकर एक हो जाते हैं। कहाँ तक कहें, सभी त्यौहार हमें परस्पर एकता, समानता और एकरूपता की शिक्षा देते हैं। यही कारण है कि हम हिन्दू, मुसलमानों, ईसाइयों, सिक्खों आदि के त्यौहारों और पर्वों को तन-मन से अपनाकर अपनी अभिन्न भावनाओं को प्रकट करते हैं।

उपसंहार —

हमारे देश के त्यौहारों का महत्त्व धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत है। राष्ट्रीय महत्त्व की दृष्टि से 15 अगस्त, 26 जनवरी, 2 अक्टूबर और 14 नवम्बर का अधिक महत्त्व है। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि हमारे देश के त्यौहार और पर्व विशुद्ध प्रेम, सद्भाव, सहानुभूति, त्याग आदि मानवीय गुणों की वृद्धि में सहायक हैं।

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