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विश्वशान्ति के उपाय पर निबंध / essay on Ways of world peace and brotherhood in hindi
विश्वशान्ति के उपाय पर निबंध / essay on Ways of world peace and brotherhood in hindi
रूपरेखा (1) प्रस्तावना, (2), विश्वशान्ति की आवश्यकता, (3) विश्व-शान्ति के उपाय, (4) उपसंहार ।
प्रस्तावना –
आज मनुष्य विनाश के कगार पर खड़ा है। मनुष्य को अपने स्वार्थों ने जकड़ लिया है। उसे आज कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है। उसे केवल स्वार्थ दिखाई दे रहा है। वह इस स्वार्थ की पूर्ति के लिए आज भयानक अस्त्र-शस्त्रों की होड़ लगाए जा रहा है। आज इसीलिए मनुष्य सर्वनाश के लिए अणुबम,परमाणु बम आदि बनाकर अपनी अपार शक्ति का परिचय दे रहा है। वह अशान्तमय और भयानक वातावरण का निर्माण करने में लगा हुआ सब कुछ भूल चुका है कि क्या उचित है और क्या अनुचित है। इस प्रकार सम्पूर्ण विश्व से एक बहुत बड़ी अशान्ति के दौर से गुजर रहा है।
विश्वशान्ति की आवश्यकता –
आज विश्व में सर्वत्र अशान्ति छाई हुई है। इस अशान्ति के कारण कई हैं। इनमें से मुख्य कारण यह भी है कि आज विश्व के अनेक सबल राष्ट्र दूसरे निर्बल राष्ट्र को अपने चंगुल में फँसाए रखने के लिए प्रयास किया करते हैं। इसके लिए वे अपनी निजी शक्ति और आवश्यकताओं को बढ़ाते ही जा रहे हैं। इसके साथ ही अपने सम्पर्कों अन्य शक्तिहीन और छोटे राष्ट्रों को भी अपनी शक्तियों की सहायता प्रदान करते हुए उन्हें दूसरे राष्ट्रों के प्रति उकसाने की कोशिश में बराबर लगे रहते हैं। इस प्रकार से आज पूरा विश्व कई भागों में बँटा हुआ परस्पर विनाश के गर्त में पहुँचने के लिए नित्य प्रयास करते हुए दिखाई देता है। इसलिए आज विश्व शान्ति की आवश्यकता बढ़ती जा रही है।
विश्वशान्ति के उपाय–
विश्वशान्ति कैसे और किस प्रकार से हो है। यह एक विचारणीय प्रश्न है। इस विषय में हम यह कह सकते हैं कि विश्वशान्ति के लिए भाईचारे की भावना सबसे पहले आवश्यक है। भाईचारे की भावना और परस्पर हित-चिन्तन की भावना विश्वशान्ति की दिशा में सार्थक कार्य होगा। परस्पर दुःख-सुख की भावना और कल्याण स्थापना की भावना विश्वशान्ति के लिए ठोस कदम होगा। विश्वशान्ति के लिए अपने ही समान समझना और अपने ही समान आचरण करना, एक ठोस और प्रभावशाली विचार होगा। अगर इस तरह की सद्भावना और श्रेष्ठ विचार प्रत्येक व्यक्ति के मन में उत्पन्न हो जायेगा। तो किसी प्रकार से विश्व में अशान्ति और अव्यवस्था की भावना नहीं हो सकती है। बढ़ी हुई दुर्भावनाएँ समाप्त हो सकती हैं। विश्वशान्ति और विश्व को समान दशा में लाने के लिए हमें मानव कल्याण यह प्रेरणा जगानी समारोह का आयोजन करना चाहिए।
इसके द्वारा जन-जन चाहिए कि हमें किस प्रकार से पाशविक दुर्भावनाओं से बचना चाहिए। हमारे अन्दर जो शठता, दुर्जुनता और दानवता का प्रवेश हो चुका है। वह किस प्रकार से समाप्त हो सकता है । इसके अन्दर किस प्रकार सज्जनता और मानवता उत्पन्न हो सकती है। इस प्रकार के विचार हमें विभिन्न प्रकार की योजनाओं और कार्यक्रमों के द्वारा अपनाने की प्रेरणा देनी चाहिए। यह तभी सम्भव है, जब हम भौतिकवादी दृष्टिकोण का परित्याग कर सकेंगे। इसके स्थान पर हमें प्रकृतिवादी दृष्टिकोणों को अपनाना चाहिए। विश्वशान्ति के लिए हमें अपने पुरातन काल के ऋषियों और मुनियों के अलौकिक और दिव्य-जीवन संदेश को समझना होगा। उनका हमें अनुसरण करना होगा। विश्वशान्ति के प्रयास में हमें महान् दार्शनिकों और महात्माओं के जीवन सिद्धान्तों और आचरणों को अपनाना होगा। उनके अनुसार चलना होगा। इसके परिणामों को हमें समझ करके दूसरे को इससे प्रभावित करना होगा, तभी विश्वशान्ति का सार्थक और ठोस प्रयास होगा।
उपसंहार-
आज यह सौभाग्य का विषय है कि विश्व के कई बड़े राष्ट्र विश्वशान्ति के प्रयास की दिशा में प्रयत्नशील दिखाई दे रहे हैं। प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के भयंकर परिणामों पर भी विचार किये जा रहे हैं। इसके लिए कई ठोस और प्रभावशाली कदम उठाए गये हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना इसी दृष्टिकोण का परिणाम है। इससे पारस्परिक झगड़े और संघर्षों को हल किया जाता है। इसी तरह का कुछ और प्रयास विश्व स्तर पर होना चाहिए। विश्व के जो पिछड़े राष्ट्र हैं, उनको हर प्रकार की सुविधाएं प्रदान करने के लिए हमें विश्व स्तर पर कोई संयुक्त संस्था की स्थापना अवश्य करनी चाहिए। गुट-निरपेक्ष संस्था इस दिशा में काफी सफल और उचित प्रयास इससे विश्वशान्ति यथाशीघ्र स्थापित होकर मानवता का गला घोंटती हुई इस प्रकार से हमें कोई-न-कोई विचार और दृष्टिकोण अवश्य अपनाना चाहिए। पाशविकता का दम तोड़ देगी।
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◆◆◆ निवेदन ◆◆◆
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