भारत की वैज्ञानिक प्रगति पर निबंध / essay on scientific progress of India in hindi

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भारत की वैज्ञानिक प्रगति पर निबंध / essay on scientific progress of India in hindi

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रूपरेखा-(1) प्रस्तावना, (2) जन-जीवन में प्रगति, (3) सामरिक प्रगति, (4) चिकित्सा के क्षेत्र में प्रगति, (5) उपसंहार।

प्रस्तावना- 

15 अगस्त, 1947 को भारत देश स्वतन्त्र हुआ था। प्राचीन काल से ही भारत को सोने की चिड़िया और विश्व गुरु नाम से सम्बोधित किया जाता रहा है। परन्तु दुर्भाग्यवश देश गुलाम हो गया। भारत खनिज सम्पदा में अभी भी संसार में अग्रणी स्थान रखता है परन्तु उद्योग-धन्धों के क्षेत्र में हम पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाये हैं। स्वतन्त्र हो जाने के उपरान्त लगभग पाँच दशकों में इतनी अधिक वैज्ञानिक प्रगति एवं विकास करके भारत ने केवल विकासोन्मुख राष्ट्रों को नहीं, बल्कि उन्नत एवं विकसित कहे जाने वाले देशों को भी चकित कर दिया है। भारतीय प्रतिभा का लोहा आज भी सम्पूर्ण विश्व मानता है।

जन-जीवन में प्रगति – 

डाक-तार के उपकरण, विभिन्न प्रकार के घरेलू हैं। मारुति कार, मोटर गाड़िया, ट्रक, रेलवे इंजन और यात्री तथा अन्य प्रकार के बिजली के सामान, रेडियो, टेलीविजन आदि जीवन के अभिन्न अंग बन गये।डिब्बे, कल कारखानों में काम करने वाली छोटी-बड़ी मशीनें, कार्यालयों में काम करने वाली सभी मशीनें, रबर-प्लास्टिक के सभी प्रकार के उन्नत उपकरण, कृषि कार्य करने वाले ट्रैक्टर, पम्प सेट तथा अन्य कटाई-धुनाई की मशीनें आदि सभी प्रकार के आधुनिक विज्ञान की देन माने जाने वाले साधन अब भारत में ही बनने लगे हैं। कम्प्यूटर, रोटरी मशीन आदि भी आज भारत में ही बनने लगी हैं। इतना ही नहीं, आज भारत अणुशक्ति से चालित बिजली घर, धमन भट्टियाँ कल कारखाने आदि भी चलने लगे हैं। अणु-शक्ति का उपयोग अनेक शान्ति कार्यों के लिए भारत में होने लगा है।

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सामरिक प्रगति-

भारत के वैज्ञानिक अपने उपग्रह अन्तरिक्ष में प्रक्षेपित करने और कक्षा में स्थापित कर पाने में सफल हो चुके हैं। आवश्यकता और इच्छा होने पर कुछ ही देर में अणु, कोबाल्ट और हाइड्रोजन जैसे बम बनाने की क्षमता और दक्षता भी भारतीय वैज्ञानिकों ने प्राप्त करली है। वैज्ञानिक सामरिक उपकरणों और शास्त्रास्त्रों का आज सैनिक दृष्टि से भी बहुत अधिक महत्त्व है। अपने घर बैठे शत्रु देश के दूर-दराज के इलाकों पर आक्रमण कर पाने की वैज्ञानिक विधियाँ और शस्त्रास्त्र आज विशेष महत्त्वपूर्ण हो गये हैं।

जमीन से दूर जमीन तक, जमीन से आकाश तक मार करने वाली कई प्रकार की मिसाइलें आज भारतीय सेना के पास हैं और अनेक प्रकार की मिसाइलों का विकास कार्यक्रम अनवरत रूप से चल रहा है। युद्ध टैंक, विमान, दूर-दूर तक मार करने वाली मिसाइलें आदि तैयार की जा चुकी हैं। कहा जा सकता है कि आधुनिक ज्ञान-विज्ञान की सहायता से आज के विश्व के सैन्य अभियान जिस दिशा में चल रहे हैं, भारत भी उसी दिशा में किसी से पीछे नहीं है।गणतन्त्र परेड के अवसर पर प्रदर्शित उपकरणों से यह स्पष्ट हो जाता है।

चिकित्सा के क्षेत्र में प्रगति-

आधुनिक विज्ञान की सहायता से आज के चिकित्सा क्षेत्र ने भी बहुत प्रगति की है। एक्सरे, लेसर किरणें आदि की सहायता से आज भारत में असाध्य समझे जाने वाले रोगों की चिकित्सा होने लगी है। हृदय प्रत्यारोपण, गुर्दे प्रत्यारोपण, टेस्टट्यूब बेबी जैसे असम्भव माने जाने वाले कार्य इस देश में सफलतापूर्वक सम्पादित किये जा रहे हैं।कठिन-से-कठिन ऑपरेशन आज भारतीय चिकित्सक सफलता पूर्वक कर रहे हैं। सभी प्रकार की प्राणरक्षक औषधियों का निर्माण भी भारत में ही हो रहा है।

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उपसंहार-

घर-बाहर, दफ्तर-दुकान, शिक्षा-व्यवसाय, आज कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहाँ विज्ञान ने प्रवेश न किया हो। भारत का होनहार वैज्ञानिक हर दिशा, हर जगह और हर क्षेत्र में सक्रिय रह कर अपनी निर्माण एवं नव अनुसन्धान प्रतिभा का परिचय दे रहा है। इतना ही नहीं ज्ञानचन्द्र खुराना जैसे कई वैज्ञानिकों ने विदेशों में भी भारतीय वैज्ञानिकों की प्रतिभा की धूम मचा रखी है।

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                         ◆◆◆ निवेदन ◆◆◆

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