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क्लोनिंग : उचित अथवा अनुचित पर निबंध / essay on cloning : fair or unfair in hindi
रूपरेखा—(1) प्रस्तावना, (2) क्लोनिंग का अर्थ, (3) क्लोनिंग की अवधारणा, (4) क्लोनिंग से लाभ, (5) क्लोनिंग से हानि, (6) उपसंहार।
प्रस्तावना—
क्लोनिंग विज्ञान की एक उन्नत तकनीक है, जो पिछले कुछ वर्षों में अत्यधिक विवादास्पद रही है। कुछ लोग इसे मनुष्य के लिए वरदान, तो कुछ लोग इसे अभिशाप मानते हैं। इसलिए कुछ लोग इसके अनुसन्धान का समर्थन करते हैं, तो कुछ लोग इसका विरोध। क्लोनिंग उचित है अथवा अनुचित, इसे जानने के लिए सबसे पहले हमें यह जानना होगा कि इसके विभिन्न पक्ष क्या हैं?
क्लोनिंग का अर्थ–
cloning का तात्पर्य होता है—प्रतिरूपण। क्लोनिंग या प्रतिरूपण आनुवंशिक रूप से समान प्राणियों के अलैंगिक प्रजनन रिएकसर कृत्रिम जैव-वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसमें किसी प्राणी की कोशिका या डी० एन० ए० का प्रयोग उसके प्रतिरूप या क्लोन को जन्म देने के लिए किया जाता है।
क्लोनिंग की अवधारण-
यद्यपि क्लोनिंग की अवधारणा अत्यन्त प्राचीन है। भारतीय पौराणिक ग्रन्थों में भी क्लोनिंग के कुछ उदाहरण जैसे जरासन्ध के शरीर का दो भागों मैं होना, रावण का दशानन होना आदि देखने को मिलते हैं। लेकिन इन उदाहरणों में हमें वैज्ञानिक झलक कम ही मिलती है। क्लोनिंग की आधुनिक अवधारणा विज्ञान के सिद्धान्तों पर आधारित है। यद्यपि इसकी शुरूआत का श्रेय यूरोप के वैज्ञानिकों को जाता है, लेकिन इसे प्रसिद्धि दिलाने में स्कॉटलैण्ड के रॉसलिन इन्स्टीट्यूट के वैज्ञानिक इयान वल्मुट का प्रमुख योगदान रहा है। उनकी टीम ने सन् 1996 में क्लोनिंग तकनीक से ‘डॉली’ नामक एक भेड़ को उत्पन्न किया।
क्लोनिंग से लाभ-
वास्तव में, क्लोनिंग से कई लाभ हो सकते हैं। यह तकनीक जन्तुओं एवं पेड़-पौधों की विलुप्त प्रजातियों के लिए निश्चित तौर पर वरदान सिद्ध हो सकती है। इस तकनीक के माध्यम से इन्हें पुनर्जीवन दिया जा सकता है। निःसन्तान दम्पति को भी इस तकनीक से सन्तान प्राप्ति सम्भव है।
क्लोनिंग से हानि–
क्लोनिंग के यदि कई लाभ हैं, तो इसके दुरुपयोग से कई प्रकार के नुकसान भी सम्भव हैं। अपराधी अपना क्लोन पैदा कर उससे अपराध करवाएँगे। इस तरह असली अपराधी पर्दे के पीछे से अपने कार्य को अंजाम देते रहेंगे और नकली अपराधी को पकड़ कर कानून असली अपराधी का कुछ बिगाड़ नहीं पाएगा।
उपसंहार—
कोई भी तकनीक उचित है अथवा अनुचित यह इस बात पर निर्भर करता है, कि उसका प्रयोग किस रूप में और क्यों किया जा रहा है। यदि सब्जी काटने वाले चाकू का प्रयोग किसी व्यक्ति को चोट पहुँचाने के लिए किया जाए, तो इसमें उस चाकू का क्या दोष है! यदि उसका प्रयोग सब्जी काटने के लिए किया जाता है, तो निस्सन्देह वह मनुष्य के लिए लाभदायक होने के कारण वरदान है, लेकिन यदि उसका प्रयोग हिंसा के लिए किया जाता है, तो निस्सन्देह वह मनुष्य के लिए अभिशाप है। लेकिन दोनों ही परिस्थितियों में गौर करने वाली बात यह है कि चाकू को वरदान अथवा अभिशाप बनाने वाला मनुष्य ही है।
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◆◆◆ निवेदन ◆◆◆
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