बुद्धि परीक्षण के प्रकार / measurement of intelligence in hindi

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measurement of intelligence in hindi / बुद्धि परीक्षण के प्रकार

बुद्धि परीक्षण के प्रकार / measurement of intelligence in hindi

बुद्धि का परीक्षण (Intelligence Test)

बुद्धि को मापने के लिये सन् 1911 में बिने तथा साइमन ने मिलकर एक परीक्षण पत्रक तैयार किया। सन् 1915 एवं 16 में क्रमश: बर्ट तथा टरमैन ने बिने प्रश्नावली में संशोधन किया तथा टरमैन ने बुद्धि-लब्धि का मान निकाला। बिने ने बुद्धिमापन का मनोवैज्ञानिक आधार प्रस्तुत किया। उन्होंने उच्च मानसिक प्रक्रियाओं की परीक्षा की अर्थात् व्यक्ति के समझाने की शक्ति,सारांश निकालने की शक्ति, परिस्थिति के अनुसार विचार करने की शक्ति तथा ध्यान एकाग्र करने की शक्ति आदि की परीक्षा लेकर बुद्धि का अनुमान लगाया।

वह शक्ति मनोविज्ञान (Facultyofpsychology)में विश्वास नहीं रखते थे। उन्होंने कहा कि मस्तिष्क की विभिन्न शक्तियाँ परस्पर गुथी हुई हैं, उन्हें अलग नहीं किया जा सकता। उन्होंने तीन विशेषताओं प्रयोजनता (Purposefulness), नयी परिस्थिति में अपने को व्यवस्थित करने की योग्यता (Capacity to make adaptation) तथा आत्मलोचन करने की शक्ति (Power of selfcriticism) पर बल दिया।

बिने के बुद्धि-लब्धि परीक्षा प्रश्न
Intelligence Test Questions of Binet

3 वर्ष की आयु के लिये-(1) तुम्हारी नाक, आँख और मुँह कहाँ हैं ? (2) 2 अंकों से बनी संख्या को दोहराना। (3)6 शब्दों से बने वाक्य को दोहराना। (4) अपना अन्तिम नाम बताइये।

4 वर्ष की आयु के लिये-(1) तुम लड़की हो या लड़का। (2) तीन अंकों की संख्याओं को दोहरायें। (3) कुन्जी, चाकू और सिक्का दिखाकर, ये क्या हैं?

5 वर्ष की आयु के लिये-(1) विभिन्न भार के बक्सों की तुलना करना। (2) वर्ग को दिखाकर उसे खिंचवाना। (3) धैर्य से खेल-खेलने को कहना। (4) चार सिक्कों को गिनवाना। (5) शब्द-खण्डों वाले वाक्य को दोहराना।

8 वर्ष की आयु के लिये-(1) 20 से 0 तक पीछे की ओर गिनने को कहना। (2) दिन और तारीखों के नाम पूछना। (3) 5 अंकों की बनी संख्या को दोहराना। (4)9 सिक्कों को गिनवाना। (5) 4 रंगों के नाम बताना। (6) किसी गद्य-खण्ड को पढ़वाना और दो बातों को याद रखने को कहना।

11 वर्ष की आयु के लिये-(1) निरर्थक कथनों की आलोचना करवाना। (2) किसी वाक्य में तीन शब्द प्रयुक्त करवाना। (3) 3 मिनट में 60 शब्द कहलवाना। (4) अमूर्त वस्तुओं की परिभाषा करवाना। (5) किसी वाक्य के अव्यवस्थित शब्दों को व्यवस्थित करवाना।

15 वर्ष की आयु के लिये-(1) 7 अंकों को दोहराना । (2) एक मिनट में दिये हुए शब्द से 3 प्रकार की लय निकलवाना। (3) 26 शब्दों से बने वाक्य को दोहराना। अन्य आयु-स्तर के बालों के लिये (6,7,9,10,12,13,14) भी प्रश्न निर्धारित किये।

सन् 1916 में 3 वर्ष तथा 6 वर्ष के लिये टरमैन ने ‘सेण्डफोर्ड-बिने बुद्धि परीक्षा प्रश्न ‘ तैयार किये।

3 वर्ष की आयु के लिये-(1) कुछ वस्तुओं को पहचानें और नाम बतायें; जैसे-(घड़ी,कलम, पेन्सिल तथा चाकू) । (2) तुम्हारी नाक कहाँ है? तुम्हारे कान कहाँ हैं? (3) तुम चित्र में क्या देखते हो? आदि।

6 वर्ष की आयु के लिये-(1) अपना बायाँ हाथ हिलाओ। अपनी दाहिनी आँख दिखाओ। (2) इस चित्र को देखो इसमें क्या अधूरा है? (3) 13 सिक्कों को मेज पर रखकर बालकों को जोर-जोर से गिनने को कहें। (4) चार-पाँच प्रकार के सिक्के पूछे, ये क्या हैं?

सन् 1937 में सेण्टफार्ड रिवीजन मेंटरमैन और मैरिल ने कुछ संशोधन कर अंकगणित के प्रश्न रख दिये। सन् 1957 में टरमैन तथा मैरिल द्वारा नवीन संशोधित स्केल तैयार किया गया इसमें ‘M’ तथा ‘T’दो समान परीक्षण पत्रक हैं।

बुद्धि परीक्षणों के प्रकार
Kinds of Intelligence Tests

बुद्धि परीक्षण निम्नलिखित प्रकार के हैं-

1. व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण (Individual intelligencetest)-

एक निश्चित समय में एक व्यक्ति का बुद्धि परीक्षण करना, वैयक्तिक परीक्षा कहलाती है। बिने साइमन बुद्धि परीक्षा के अतिरिक्त बैरल पामर की परीक्षा भी उपयोगी सिद्ध हुई है। इसमें 38 प्रश्न होते हैं, यह डेढ़ से साढ़े पाँच वर्ष तक के बच्चों के लिये है। दो भिन्ने सोटा प्रिस्कूल स्केल भी इसी आयु वर्ग के लिये है। अमेरिका के डिटरमैन का प्रयास तथा बर्ट का प्रयास भी प्रशंसनीय है। ‘वैशलट-बैलेबिन इन्टेलीजेन्स टेस्ट’ तथा ‘ड्रायन्स एमेन टेस्ट’ आदि 10 वर्ष और इससे बड़े बालकों के लिये है। इन परीक्षाओं में भाषा प्रयोग नहीं होता तथा एक समय में एक ही व्यक्ति की परीक्षा ली जाती है। इन परीक्षाओं से व्यक्ति का व्यवहार तथा व्यक्तित्व सम्बन्धी विशेषताओं का भी निरीक्षण किया जाता है। इसके लिये भाटिया का निष्पादन परीक्षण, कोहलर का ब्लॉक डिजायन टेस्ट, आर्थर का निष्पादन परीक्षण तथा एलेक्जेण्डर का पास एलांग परीक्षण प्रचलित है।

2. सामूहिक बुद्धि परीक्षण (Group intelligence test)

विश्व युद्ध (1914-1918) में सेना की भर्ती के लिये सामूहिक परीक्षा का प्रयोग किया गया ताकि योग्यता के अनुरूप वहाँ के सैनिकों एवं अधिकारियों का चयन किया जा सके। सामूहिक परीक्षा के लिये बिने एवंटरमैन के बुद्धि परीक्षण सिद्धान्तों को स्वीकार तो किया, परन्तु उनके आधार पर अलग से परीक्षाएँ निर्मित की गयीं। ये दो प्रकार की होती हैं-(1) शाब्दिक या भाषायी परीक्षा (Verbal test) । (2) क्रियात्मक या नान-वर्बल परीक्षा (Non-verbal test)।

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अत: आर्मी अल्फा टेस्ट तथा आर्मी जनरल क्लासिफिकेशन टेस्ट का विकास क्रमश: प्रथम विश्व युद्ध एवं द्वितीय विश्व युद्ध में हुआ। शाब्दिक परीक्षा (Verbal test) में कुछ प्रश्न या अभ्यास हल करने के लिये दिये जाते हैं, किन्तु अशिक्षित लोगों के लिये क्रियात्मक परीक्षा (Non-verbal test) का प्रयोग किया जाता है।

(i) सामूहिक शाब्दिक बुद्धि परीक्षण (Group verbal testof intelligence)

जब एक समय में एक से अधिक व्यक्तियों की परीक्षा ली जाये, उसे सामूहिक बुद्धि परीक्षण कहते हैं। अमेरिका में आर्मी एल्फा परीक्षण, थॉर्नडाइक का CAVD परीक्षण तथा टरमैन मेकनेयर सामूहिक परीक्षण हैं। भारत में डॉ. जलोटा ने सन् 1972 में, डॉ. मोरे ने सन् 1921 तथा डॉ. सी. एच, राइस एवं डॉ. भाटिया ने कार्यात्मक परख पत्र तैयार किये। अशाब्दिक हिन्दी में निम्नलिखित बौद्धिक परीक्षाएँ उपलब्ध हैं-

(1) सामूहिक बुद्धि परीक्षण (12 से 18 वर्ष तक) निर्माणकर्ता पी. मेहता। (2) साधारण मानसिक योग्यता (12 से 16 वर्ष तक) निर्माणकर्ता एस. जलोटा। (3) शाब्दिक बौद्धिक परीक्षा (VIII,X एवं | स्तर के लिये) निर्माणकर्ता यू. पी. ब्यूरो ऑफ साइक्लोजी। (4) टेस्ट ऑफ जनरल मेण्टल एबिलिटी (10 से 16 वर्ष तक) निर्माणकर्ता शिक्षा विभाग, गोरखपुर विश्वविद्यालय। (5) सी. आई. ई. शाब्दिक सामूहिक बुद्धि परीक्षा (11 से 14 वर्ष तक के बालकों के लिये) 4 परीक्षाएँ-निर्माणकर्ता सी. आई.ई. दिल्ली।

(ii) सामूहिक अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण (Group non-verbal test of intelligence)

इन परीक्षणों में भी भाषा का प्रयोग नहीं होता तथा एक समय में एक से अधिक व्यक्तियों की परीक्षा ली जाती है। इस वर्ग में मुख्यत: आर्मी बीटा परीक्षण, शिकागो अशाब्दिक परीक्षण भाग-1, पिजन अशाब्दिक परीक्षण ए. आई. पी. 70/23 तथा रैवन प्रोग्रेसिव मैट्रिसेज परीक्षण आते हैं।

3.क्रियात्मक परीक्षण

उपर्युक्त दोनों प्रकार के परीक्षणों द्वारा केवल शिक्षित व्यक्तियों की ही परीक्षा ली जाती थी। उन व्यक्तियों के परीक्षण का कोई प्रबन्ध नहीं था, जो भाषा का प्रयोग नहीं करते थे; जैसे-गूंगे, बहरे, अन्धे तथा अशिक्षित व्यक्ति । अत: क्रियात्मक परीक्षण इस प्रकार के लोगों के लिये सफल रहा। इन प्रश्नों का उत्तर देने पर कोई कार्य करना पड़ता था।
इस प्रकार परीक्षार्थी के आत्मविश्वास, दृढ़ता, धैर्य एवं स्थान अन्तर्दृष्टि की जाँच ठीक प्रकार से हो जाती थी। प्रमुख क्रियात्मक परीक्षण निम्नलिखित हैं-

(1) आकृति फलक परीक्षण (Form board test)- इस परीक्षण के आविष्कार का श्रेय सेंग्विन (Sangvin) को है। उन्होंने लकड़ी के एक तख्ते में विभिन्न आकृतियों को फिट करने योग्य स्थान बनवाये तथा अलग से त्रिभुजाकार, गोलाकार, अर्द्धगोलाकार, चतुर्भुजीय एवं त्रिकोणीय आदि आकार बनवाये। अब परीक्षार्थी से नियत समय में इन आकृतियों को तख्ते में फिट करने को कहा जाता है। जो जितना शीघ्र इन आकृतियों को सही स्थान पर फिट कर देता है वह तीव्र बुद्धि का माना जाता है, जो यह नहीं कर पाता वह बुद्धि में हीन माना जाता है।

(2) चित्रांकन परीक्षा (Picture drawing test)-इस परीक्षा में बालक को मनुष्य,हाथी, घोड़ा एवं कुत्ता आदि के चित्र खींचने को कहा जाता है तथा चित्र पर अंक पूर्णता के आधार पर दिये जाते हैं। सुन्दरता के आधार पर नहीं। चित्रांकन परीक्षण 1 से 10 वर्ष के बालकों के लिये उपयुक्त होता है।

(3) चित्र पूर्ति परीक्षण (Picture completion test)-चित्र पूर्ति परीक्षण पूरे चित्र में से कुछ वर्गाकार टुकड़े काटकर अलग रख दिये जाते हैं तथा बालक से कहा जाता है कि वह भिन्न-भिन्न टुकड़ों को यथास्थान रख दे जिससे चित्र पूर्ण हो जाय। जो बालक शीघ्र तथा ठीक प्रकार इन टुकड़ों को लगाकर चित्र पूरा कर देता है, उसे तीव्र बुद्धि वाला माना जाता है। इस परीक्षण में बालकों की कल्पनाशीलता तथा तत्परता की जाँच होती है।

(4) वस्तु संयोजन परीक्षण (Object assembly test)-इस परीक्षण का प्रयोग वैशलर (Weschlar) ने किया है। उनके वैशलर-वैलेव्यू बुद्धि परीक्षण में (Weschlar believe intelligencetest) में मानव-आकृति के पार्श्व-चित्र और हाथ के तीन अलग-अलग पटल होते हैं, जिनके अनेक टुकड़ों को मिलाकर पूरा आकार बनाना पड़ता है।

(5) भूल-भुलैया परीक्षण (Maze test)-सबसे पहले पोर्टियस (Portius) ने इस विधि का प्रयोग किया। इसमें सादा रंगों से चित्र बना रहता है तथा निर्दिष्ट स्थान पर पहुँचने के लिये बालक को खुले मार्ग में से बीच में होकर पेन्सिल से मार्ग बताना पड़ता है। बन्द गली के पार जाने की मनाही है। जो बालक बिना बन्द गली से भटककर नहीं लौटते तथा शीघ्र एवं सही मार्ग बताते हैं वे तीव्र बुद्धि के माने जाते हैं।

उपर्युक्त व्यावहारिक परीक्षाएँ स्थूल वस्तुओं से सम्बन्ध रखती हैं इसलिये परीक्षाएँ बालक के प्रत्यक्षीकरण (Perception) शक्ति की जाँच करती हैं, क्योंकि हमारी ज्ञानेन्द्रिय एवं कमेन्द्रियाँ ही अनुभव एवं ज्ञान की वाहक हैं। अत: उपर्युक्त परीक्षाएँ बुद्धि का परीक्षण करती दर्पण में भी दिखाकर किसी आकृति को बनाने के लिये कहा जाता था।

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4. समय-सीमा युक्त परीक्षण

ऐसे परीक्षण में परीक्षार्थियों को निश्चित प्रश्न निश्चित समय में करने को दिये जाते हैं। इस परीक्षा में गति को प्रधानता दी जाती है लेकिन उपयुक्त समय में उपयुक्त उत्तर प्राप्त होने पर परीक्षार्थी की बुद्धि उत्कृष्ट मानी जाती है। कम प्रश्न करने या गलतियाँ करने पर परीक्षार्थी के अंक काट लिये जाते हैं। इस परीक्षण में परीक्षार्थियों की बुद्धि के साथ-साथ गति की भी जाँच हो जाती है।

5. समय-सीमा रहित परीक्षण

इस परीक्षण में परीक्षार्थी को सभी प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य होता है, वह चाहे जितना समय ले सकता है। समय की कोई सीमा नहीं होती। परीक्षार्थी को प्रश्नों का उत्तर सही रूप में देना इस परीक्षण का अनिवार्य अंग है। इस प्रकार परीक्षार्थी की शुद्धता की जाँच की जाती है।

भारत में प्रयुक्त होने वाले बुद्धि परीक्षण
Intelligence Tests Used in India

भारत में प्रयुक्त होने वाले बुद्धि परीक्षण निम्नलिखित हैं-

(अ) शाब्दिक व्यक्तिगत परीक्षण (Verbal individual test)-

इसके अन्तर्गत निम्नलिखित परीक्षण आते हैं-

1. डॉ. कामत की आयु मापन पुनरावृत्ति बुद्धि परीक्षण (Dr. Kamat’s age scale revisions test)-यह परीक्षण मराठी और कन्नड़ भाषा के बालकों हेतु बनाया गया है।

2.स्टैनफोर्ड हिन्दुस्तानी रिवीजन (Stanford hindustanirevision)-इसे शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय पटना द्वारा निर्मित किया गया है।

3. सी. आई.ई. बुद्धि परीक्षण (CLE intelligence test)-प्रो. उदयशंकर द्वारा सन् 1453 में सी. आई. ई. (Central Institution of Education) संस्थान में यह परीक्षण तैयार किया गया था।

(ब) व्यक्तिगत अशाब्दिक या भाषा रहित परीक्षण (Non-verbal individual test)-

इसके अन्तर्गत अग्रलिखित परीक्षण आते हैं-

1. भाटिया की कार्य-परीक्षा बैटरी (Bhatia’s battery of performance test)- इसका निर्माण डॉ. सी.एम, भाटिया द्वारा भारतीय परिस्थितियों के अनुसार किया गया है। इसमें पाँच परीक्षाएँ हैं तथा प्रत्येक की उप-परीक्षाएँ हैं। प्रत्येक उप परीक्षा के लिये समय निर्धारित है।

2. अलेक्जेण्डर की पास ए लाँग परीक्षा (Alexander’s pass a long test)- इसमें आठ डिजायन सम्मिलित हैं। यह परीक्षण भेद योग्यता से सम्बन्धित है।

3. चित्र निर्माण परीक्षण (Picture construction test)-इसमें पाँच तस्वीरों के टुकड़े होते हैं। इन टुकड़ों को जोड़कर चित्र बनाना होता है।

4. तात्कालिक स्मृति परीक्षण (Immediate memory test)-इसमें दो परीक्षण सम्मिलित होते हैं, एक साक्षरों के लिये तथा दूसरा निरक्षरों के लिये।

5. पैटर्न ड्राइंग परीक्षण (Pattern drawing test)-इसका निर्माण भी स्वयं डॉ. भाटिया ने किया था। आठ कार्डों पर बनी आकृतियों को देखकर पेन्सिल उठाये बिना आकृतियों को बनाया जाता है।

(स) शाब्दिक सामूहिक परीक्षण (Verbal group test)-

इसके अन्तर्गत निम्नलिखित परीक्षण आते हैं-

1. झा का सामूहिक परीक्षण (Jha’s group test)-इसका निर्माण सन् 1933 में श्री लज्जाशंकर झा ने बनारस के शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के छात्रों के लिये किया था।

2. जलोटा का सामूहिक परीक्षण (Jalota’s group test)-इसका निर्माण सन् 1951 में डॉ.जलोटा द्वारा बनारस विश्वविद्यालय में किया गया, जो हिन्दी रूपान्तर में भी है।

3. कुमारिया का सामूहिक परीक्षण (Kumaria’s group test)-इसका निर्माण प्रो. आर. ए. कुमारिया ने किया था ।

4. मनोविज्ञानशाला, इलाहाबाद (Test by bureau of psychology,Allahabad)- इसका निर्माण 11-12 वर्ष के बालकों तथा 8 से 14 वर्ष के बालकों हेतु किया गया है।

5. देसाई की सामूहिक परीक्षाएँ (Desai’s group test)-इसका निर्माण गुजराती भाषा में किया गया है।

6. जोशी द्वारा सामूहिक परीक्षण (Joshi’s group test)-इसका निर्माण बनारस हिन्दू वि. वि. में डॉ. एस. सी. जोशी ने किया।

(द) सामूहिक अशाब्दिक या भाषा रहित परीक्षण (Non-verbal group test)-

इसके अन्तर्गत हैं-

(1) एम.जी. प्रेमलता कृत परीक्षण (M.G. Premlata’s non-verbal group test)

(2) एन. त्रिवेदी कृत परीक्षण (N. Trivedi’s non-verbal group test)।

(3) टी.आर. शर्मा कृत परीक्षण (T.R.Sharma’s non-verbal group test)

(4) रेविनस प्रोग्रेसिव मैट्रिक्स (Raven’s prograssive matrics)।

बुद्धि लब्धि का वर्गीकरण (Classification of Intelligence Quotient )

बुद्धि-लब्धि का वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है-

बुद्धि लब्धि (I.Q.)                   बुद्धि (Intelligence)
900 या इससे अधिक   ‘प्रतिभाशाली’ (Supreme Genious)

140 से 200 तक                    ‘प्रतिभाशाली’ (Genious)
120 से 140 तक                    ‘अत्युत्कृष्ट’ (Very Superior)
110 से 120 तक                    ‘उत्कृष्ट’ (Superior)
90 से 110 तक                    ‘सामान्य’ (Normal)
80 से 90 तक                    ‘मन्द बुद्धि’ (Dull)
70 से 80 तक                    ‘निर्बल बुद्धि’ (Border-line)
70 से नीचे                          ‘हीन बुद्धि’ (Frecble minded)
50 से 70 तक                    ‘मूर्ख’ (Moron)
20 से 50 तक                    ‘मूढ़’ (Imbecile)
20 से नीचे                            ‘जड़’ (Idiot)

बुद्धि परीक्षणों के गुण या विशेषताएँ

कोई परीक्षण कैसा है? इसका निर्णय लेने के लिये हमें विभिन्न प्रकार की कसौटियों (Criteria) का प्रयोग करना पड़ता है। इन्हीं कसौटियों को बुद्धि परीक्षण के गुण या विशेषताएँ माना जाता है। यदि इन कसौटियों पर परीक्षण खरा उतरता है तो उसे उत्तम परीक्षण कहा जाता है। उत्तम मनोवैज्ञानिक परीक्षण के निम्नलिखित गुण या विशेषताएँ हैं-

1. वस्तुनिष्ठता (Objectivity) – बुद्धि परीक्षण या अन्य किसी भी मनोवैज्ञानिक परीक्षण का वस्तुनिष्ठ होना अति आवश्यक है। किसी भी परीक्षण की वस्तुनिष्ठता दो बातों पर निर्भर करती है। प्रथम, उस परीक्षण में के प्रश्नों को स्थान मिलना चाहिये, जो उस स्तर के विद्यार्थियों के अनुकूल हों। परीक्षण में सम्मिलित समस्त पदों (Items) के उत्तर निश्चित हैं। केवल एक ही सही उत्तर है। दूसरे, परीक्षण का प्रशासन एवं फलांकन वस्तुनिष्ठ ढंग से होना चाहिये अर्थात् एक निश्चित कुन्जी के आधार पर अंकन किया जाना।

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2. विश्वसनीयता (Reliability) – परिणाम की स्थिरता को विश्वसनीयता कहते हैं। यदि किसी परीक्षण का प्रयोग करने पर उसके परिणाम एक ही हों तो उसे विश्वसनीय परीक्षण कहेंगे। परीक्षण में विश्वसनीयता निर्माण की विभिन्न विधियाँ होती हैं; जैसे-परीक्षण और पुनः परीक्षण (Test and retest), अर्द्ध विभाजन विधि (Split half method) तथा समानवी विधि (Parallel form method) आदि।

3. वैधता (Validity) – प्रामाणिकता या वैधता परीक्षण की प्रमुख विशेषता या गुण है, इसका अभिप्राय है कि जिस योग्यता के मापन के लिये यह परीक्षण बनाया गया है, उस योग्यता का मापन वह करता है या नहीं, इसे ही परीक्षण की सत्यता या वैधता कहते हैं। परीक्षण की वैधता या सत्यता हेतु अनेक प्रकार से परीक्षण की जाँच की जाती है; जैसे-निर्माण सम्बन्धी योग्यता (Construction validity), सामग्री सम्बन्धी योग्यता (Content validity), संगवर्ती प्रामाणिकता (Concurrent validity) तथा भविष्य निर्देशक प्रामाणिकता (Predictive valid- ity) आदि। इसमें एक उत्तम बुद्धि परीक्षण वैध एवं सत्य होता है।

4. सर्वमान्यता (Acceptability) – उत्तम परीक्षण सर्वमान्य होना चाहिये अर्थात् वे परीक्षण समस्त व्यक्तियों तथा परिस्थितियों में सदैव किये जायें; जैसे-बिने साइमन का बुद्धि परीक्षण सर्वमान्य है।

5. प्रतिनिधित्वता (Representativeness) – बुद्धि के जिन-जिन क्षेत्रों के मापन हेतु उसकी रचना की गयी है, उनका प्रतिनिधित्व रूप से मापन करना इसकी प्रमुख विशेषता होती है।

6. मूल्यांकन में सुविधा (Easyness in evaluation) – बुद्धि परीक्षणों को मूल्यांकित करने की विधियाँ ऐसी होनी चाहिये,जो सरल हों और जिन्हें सभी व्यक्ति प्रयोग में ला सकें। मूल्यांकन की विधि सरल होनी चाहिये तभी प्राप्तांकों की व्याख्या सरलतम् बन सकेगी।

7. मितव्ययी (Economical) – वह परीक्षण उत्तम होगा, जिसमें समय एवं धन की बचत हो और मानव शक्ति की भी कम खपत हो।

8. व्यापकता (Comprehensive) – बुद्धि परीक्षण में सम्बन्धित पहलुओं के सभी प्रश्नों से सम्बन्धित प्रश्न सम्मिलित होने चाहिये। इनके सम्मिलित होने से सभी पक्षों का मापन हो सकेगा। व्यापकता से भी परीक्षण लक्ष्यों की प्राप्ति कर सकेगा।

9.व्यावहारिकता तथा रोचकता (Practicable and interesting) – उत्तम परीक्षण रोचक तथा व्यावहारिक होना चाहिये। इसका अभिप्राय है कि परीक्षण में इस प्रकार की क्रियाएँ सम्मिलित करना, जिन्हें व्यक्ति सरलता से कर सके एवं वे रुचिकर हों।

बुद्धि परीक्षणों के दोष Demerits of Intelligence Tests

क्योंकि बुद्धि का स्वरूप भिन्न-भिन्न अवस्था में है। अत: उसके परीक्षण भी विभिन्नता लिये हुए हैं। इन विभिन्नताओं के कारण ही वे विश्वसनीय तथा प्रामाणिक नहीं होते। अतः इनके दोष निम्नलिखित हैं-

1. विश्वसनीयता का अभाव (Lack ofreliability) – सामान्य रूपसे बुद्धि परीक्षण विश्वसनीय नहीं होते। एक मूल्यांकनकर्ता के बाद दूसरे के जाँचने पर अन्तर पाया जाता है। अत: सही रूप में इनसे योग्यता का परीक्षण नहीं हो पाता।

2. व्यापकता का अभाव (Lack of comprehensive) – बुद्धि से सम्बन्धित पक्षों या पहलुओं पर विस्तृतता का अभाव है, वे सभी पक्षों का मापन नहीं कर सकते। परिणामस्वरूप इनसे उद्देश्यनिष्ठ परिणाम प्राप्त नहीं होते।

3. प्रामाणिकता का अभाव (Lack of authentication) – बुद्धि परीक्षण में बुद्धि की प्रामाणिक परीक्षाओं का सदैव अभाव रहता है। यदि परीक्षण में सत्यता एवं विश्वसनीयता नहीं होगी तो वह प्रामाणिक भी नहीं होगा।

4. मतभेद (View difference) – क्योंकि बुद्धि की परिभाषाओं में अन्तर है। अतः इसकी जटिलता के कारण बुद्धि परीक्षण निर्माण में व्यक्ति रुचि नहीं लेते।

5. यन्त्रों का अभाव (Lack of tools) – प्रयोगशाला में कभी यन्त्रों में दोष आ जाते हैं,खराब होने पर वह समय पर ठीक नहीं हो पाते। अत: प्रत्येक स्थान पर इनका प्रयोग कठिन है।

6. अनुमान का प्रदर्शन (Exhibition of guess work) – बुद्धि परीक्षण के प्रश्नों में छात्र अनुमान से उत्तर देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बुद्धि का सही मापन नहीं होता। इससे परिणामों के बारे में सही भविष्यवाणी नहीं की जा सकती।


                                        निवेदन

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