टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया पर निबंध / essay on test tube baby method in hindi

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टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया पर निबंध / essay on test tube baby method in hindi

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रूपरेखा—(1) प्रस्तावना, (2) टेस्ट-ट्यूब बेबी क्या है? (3) लोगों की प्रतिप्रक्रिया, (4) उपसंहार।

प्रस्तावना-

विज्ञान की सहायता से मनुष्य ने केवल तीव्र प्रगति ही नहीं की, बल्कि अपने जीवन की अनेक जटिल समस्याओं के हल भी निकाले हैं। सन्तानहीनता पहले एक ऐसी समस्या थी, जिसका समाधान सम्भव ही नहीं था। इससे होता यह था कि दुनिया भर के लाखों दम्पति सन्तानहीन रह जाते थे। परन्तु अब इस समस्या का हल निकाला जा चुका है। दरअसल, ऐसी समस्या के समाधान के लिए टेस्ट-ट्यूब बेबी की अवधारणा का विकास हुआ है।

टेस्ट-ट्यूब बेबी क्या है ?-

प्रयोगशाला में टेस्ट-ट्यूब में गर्भाधान करवाकर शिशु को जन्म देने की तकनीक को इनविट्रो फर्टिलाइजेशन कहा जाता है। यह ऐसी तकनीक है, जिसकी सहायता से महिलाओं में कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है। इस प्रक्रिया में किसी महिला के अण्डाशय से अण्डाणु को अलग कर उसका सम्पर्क शुक्राणु से शरीर से बाहर एक परखनली में कराया जाता है। परखनली में निषेचन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद निषेचित अण्डे को महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है। गर्भाशय में सही समय तक रहने के बाद एक स्वस्थ शिशु का जन्म होता यही टेस्ट ट्यूब बेबी कहलाता है।

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लोगों की प्रतिक्रिया–

प्रारम्भ में इस तकनीक का दुनिया भर में विरोध किया गया। इसकी नैतिकता पर सवाल खड़े किए गए। राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक स्तर पर भी इस तकनीक का व्यापक विरोध हुआ। यहाँ तक कि इस तकनीक की विश्वसनीयता को लेकर वैज्ञानिकों ने भी इसका अच्छा-खासा विरोध किया। अधिकतर वैज्ञानिकों का यह मानना था कि इस तकनीक से पैदा हुए बच्चे कभी सामान्य नहीं हो सकते। लेकिन इस तकनीक के सामान्य होने के सभी सन्देह तब दूर हो गए, जब वर्ष 2006 में दुनिया की पहली टेस्ट-ट्यूब बेबी लुइस ब्राउन ने अपने बच्चे को जन्म दिया और इसमें खास बात यह थी कि उसने अपने पति वेस्ली मुलिण्डर से प्राकृतिक तरीके से गर्भाधान किया था। तब से लेकर अब तक इस तकनीक की सहायता से विश्व में करीब 40 लाख से अधिक लोग सन्तान सुख प्राप्त करने में कामयाब रहे हैं।

उपसंहार-

समाज में वंश परम्परा को कायम रखने एवं कई अन्य कारणों से लोग सन्तान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं। सन्तान के अभाव में मनुष्य का जीवन नीरस हो जाता है। उन्हें जिन्दगी भर एक कमी खलती रहती है। ऐसे नि:सन्तान दम्पतियों के लिए यह तकनीक वरदान सिद्ध हुई है। हालांकि इस तकनीक के आलोचकों का कहना है कि इससे लाभ केवल अमीर लोगों को ही मिलेगा, क्योंकि इस विधि से गर्भाधान कराना खर्चीला होता है और आम आदमी इस खर्च को वहन कर सकने में सक्षम नहीं होता, लेकिन आलोचकों की यह शिकायत भी जल्द ही दूर हो जाएगी। आने वाले समय में यह तकनीक सस्ती एवं सर्व-सुलभ भी होगी। इस तकनीक ने लाखों लोगों को सन्तान सुख से सम्पन्न कर विश्व को खुशहाल करने का अभूतपूर्व कार्य किया है। इसके लिए इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है।

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