राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त पर निबंध / essay on national poet Maithilisharan Gupt in hindi

आपको अक्सर स्कूलों में निबंध लिखने को दिया जाता है। ऐसे में हम आपके लिए कई मुख्य विषयों पर निबंध लेकर आये हैं। हम अपनी वेबसाइट istudymaster.com के माध्यम से आपकी निबंध लेखन में सहायता करेंगे । दोस्तों निबंध लेखन की श्रृंखला में हमारे आज के निबन्ध का टॉपिक राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त पर निबंध / essay on national poet Maithilisharan Gupt in hindi है। आपको पसंद आये तो हमे कॉमेंट जरूर करें।

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त पर निबंध / essay on national poet Maithilisharan Gupt in hindi

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त par nibandh,राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त पर निबंध,राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त pr nibandh hindi me,essay on national poet Maithilisharan Gupt in hindi,national poet Maithilisharan Gupt essay in hindi,राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त पर निबंध

रूपरेखा—(1) प्रस्तावना, (2) जीवन-परिचय, (3) उपसंहार।

प्रस्तावना—

भारतीय संस्कृति के अनन्य गायक राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त हिन्दी साहित्य के लिए अपने आप में एक युग थे। ‘साकेत’ के रचयिता और ‘भारत-भारती’ के गायक इस युग-प्रवर्तक कवि से हिन्दी का प्रत्येक पाठक परिचित है।

जीवन-परिचय–

मैथिलीशरण गुप्त का जन्म सन् 1886 में चिरगाँव जिला झांसी के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। पिता सेठ रामशरण गुप्त विद्या-प्रेमी एवं धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। पिता की धार्मिकता और काव्यात्मक प्रवृत्ति का प्रभाव गुप्त जी पर बड़ी गहराई से पड़ा। विचारों में उदार गुप्त जी में गहरी समन्वय भावना और धार्मिक-सामाजिक सहिष्णुता थी । मर्यादा पुरुषोत्तम राम के परम भक्त इस राष्ट्रकवि ने राम के चरित्र को भारतीय सभ्यता और संस्कृति का सच्चा और परिपूर्ण आदर्श मानकर उसे अपने जीवन और आचरण में आत्मसात् करने का प्रयत्न किया। यही कारण है कि गुप्त जी भारतीय संस्कृति के अनन्य प्रवक्ता बन गये।

गुप्त जी आधुनिक काल के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि हैं। अब तक उनकी चालीस मौलिक और छ: अनूदित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। सन् 1912 में उनकी अमर रचना ‘भारत-भारती’ प्रकाशित हुई। भारत-भारती ने राष्ट्र के मन को झकझोर दिया। भारतीय इतिहास में यह काल विविध सामाजिक, धार्मिक और राजनैतिक आन्दोलनों से आन्दोलित होने के साथ-साथ भक्ति-संघर्ष की प्रारम्भिक, किन्तु उत्तेजनापूर्ण अवस्था का भी था। अतः भारत-भारती के सन्देश जी को शीघ्र ही राष्ट्रकवि के रूप में प्रसिद्ध कर दिया।

See also  स्थानीय स्वशासन व्यवस्था अथवा पंचायती राज व्यवस्था पर निबंध / essay on Panchayati Raj System in hindi

सन् 1932 में उनका अमर काव्य ‘साकेत’ प्रकाशित हुआ; जिसने गुप्त जी को अनायास ही महाकवि बना दिया। वस्तुतः ‘साकेत’ गुप्त जी की काव्य-साधना का सर्वोच्च शिखर है। ‘यशोधरा’ का प्रकाशन सन् 1933 में हुआ। गाँधीवादी दार्शनिक चिन्तन से प्रभावित यह काव्य महात्मा बुद्ध के जीवन को आधार मानकर लिखा गया है। गुप्त ने राज्य और केन्द्रीय सरकार ने उन्हें विभिन्न पदों, उपाधियों और सम्मानों से सम्मानित किया किन्तु गुप्त जी को सच्चा सम्मान तो देश की उस बहुसंख्यक जनता ने दिया, जिसने उन्हें अपने हृदय आसन पर प्रतिष्ठित किया। इस प्रकार गुप्त जी अपनी जीवन-यात्रा पूरी कर सन् 1964 में संसार से विदा हो गये।

उपसंहार-

गुप्त जी के काव्य में पिछले पचास वर्षों का इतिहास सुरक्षित है। काव्य क्षेत्र के सभी भावात्मक आन्दोलन उनमें प्रतिबिम्बित हैं। अपने विपुल काव्य-परिमाण, अद्भुत प्रबन्ध-कौशल और प्रेरक राष्ट्र-चेतना के कारण भारत की समग्र चेतना को प्रभावित करने वाला तथा भारतीय संस्कृति का अनन्य प्रस्तोता यह युगकवि निश्चय ही महाकवि था-राष्ट्रकवि था।

👉 इन निबंधों के बारे में भी पढ़िए

                         ◆◆◆ निवेदन ◆◆◆

आपको यह निबंध कैसा लगा । क्या हमारे इस निबंध ने आपके निबंध लेखन में सहायता की हमें कॉमेंट करके जरूर बताएं । दोस्तों अगर आपको राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त पर निबंध / essay on national poet Maithilisharan Gupt in hindi अच्छा और उपयोगी लगा हो तो इसे अपने मित्रों के साथ जरूर शेयर करें।

tags – राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त par nibandh,राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त पर निबंध,राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त pr nibandh hindi me,essay on national poet Maithilisharan Gupt in hindi,national poet Maithilisharan Gupt essay in hindi,राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त पर निबंध

Leave a Comment