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मद्य निषेध अथवा नशाबन्दी पर निबंध / essay on de-addiction in hindi
रूपरेखा-(1) प्रस्तावना, (2) मादक पदार्थों का प्रचलन, (3) मद्यपान का प्रचार, (4) मद्यपान का आरम्भ, (5) परिणाम, (6) उपसंहार ।
प्रस्तावना-
निषेध (मनाही) तभी किया जाता है, जब व्यक्ति किसी वस्तु का अधिकता से सेवन करने लगते हैं। जैसे अधिक मत खाओ। अधिक मत खेलो। अधिकता हर वस्तु की बुरी है। जिस प्रकार अधिक दूध या, घी हानिकारक है,इसी प्रकार अधिक मद्यपान भी हानिकारक है। औषधि के रूप में मादक पदार्थ का सेवन लाभदायक हो सकता है।
मादक पदार्थों का प्रचलन-
सोमपान या सुरापान सेवन का उल्लेख हमारे धर्म ग्रन्थों में आया है, किन्तु यह सेवन उतना ही बताया गया है, जितने से स्वास्थ्य को हानि न हो। जब प्राचीन काल में इसका अधिक सेवन कर लिया जाता था, तब वह विनाश का कारण बन जाता था। यादव मदिरा के अधिक सेवन से ही आपस में लड़कर नष्ट हो गये थे।
मद्यपान का प्रचार –
मुसलमानों के शासन काल में मद्यपान का प्रचार बढ़ा। बादशाहों की देखा-देखी हिन्दू राजाओं में भी इसका प्रचार बढ़ गया। यह प्रचार बढ़ते-बढ़ते सामान्य व्यक्तियों में भी आ गया। देश में अंग्रेजों के आने से भी इसका प्रचार बढ़ा। ठंडे देश के निवासी अंग्रेज तो अपने शरीर में गर्मी रखने के लिए मदिरा (शराब) का सेवन करते थे, किन्तु भारतवासी देखा-देखी मदिरा पीने लगे।
मद्यपान का आरम्भ-
राजा-महाराजा, नबाव और सेठ-साहूकार मदिरापान या नशा करना सभ्यता का अंग मानते हैं। उनकी नकल करने वाले दूसरे लोग शौक के लिए मद्य का सेवन करने लगते हैं। परस्पर मिलने-जुलने से इसका प्रचार बढ़ता जाता है। अनेक प्रकार के असह्य दुःखों से दुःखी मनुष्य अपना गम (शोक) दूर करने के लिए भी मद्य का सेवन करने लगते हैं।कठिन परिश्रम करने वाले थकान को दूर करने के लिए मदिरा का सेवन करते हैं।
परिणाम-
अधिक मद्य के सेवन से, सेवन करने वाले का ज्ञान नष्ट हो जाता है। उसे उचित-अनुचित का ध्यान नहीं रहता है। वह अपने आपको ठीक नहीं रख पाता है। अधिक मद्यपान करके काम करने के लिए बैठा मनुष्य बड़ी बड़ी गलतियाँ कर जाता है, जिनका परिणाम भयंकर होता है। सन् 1998, में फिरोजाबाद में जो भयंकर रेल दुर्घटना हुई है, उसका कारण स्विचमैन था यह सम्भव है कि स्विचमैन ने अधिक नशा कर लिया हो और नशे में उसने गलत सिंगनल दे दिया । नशा करने वालों के घर में शान्ति नहीं रहती है।
नशा करने वाला पति नशे में पत्नी को और बच्चों को मारता-पीटता है। यदि घर की आमदनी बहुत कम है तो आमदनी का अधिक भाग मद्य सेवन में चला जाता है। नशा करने वाला व्यक्ति नशीले पदार्थ के न मिलने पर बैचेन हो जाता है। वह चाहता है कि कहीं से भी पैसा आये और शराब इत्यादि लाऊँ। शराब इत्यादि के लिए वह चोरी करता है और सजा भुगतता है। मादक द्रव्य का सेवन निरन्तर क्यों बढ़ता जा रहा है, जबकि इसके परिणाम केवल भयानक ही नहीं, अपितु प्राणघातक भी हैं।
मादक द्रव्य सेवन के एक नहीं अनेक कारण हैं। कुछ तो कारण ऐसे हैं जो यथार्थ और स्वाभाविक लगते जैसे—निरन्तर दुःख, अवसाद, पीड़ा, और उलझन के कारण परेशान और लाचार होकर मन की शान्ति के लिए नशे का सेवन किया जाता है। कुछ ऐसे जो अस्वाभाविक और असंगत लगते हैं। मद्य सेवन के कारण जो भी हो, इससे किसी प्रकार का कल्याण या शान्ति-सुविधा या मन में किसी प्रकार की स्थिरता सम्भव नहीं है। नशा करने वाले का समाज में आदर नहीं होता है। उसे कोई अपने पास बिठाना नहीं चाहता है। लोग या सगे सम्बन्धी भी उसे अपने समारोहों में बुलाना नहीं चाहते हैं। उन्हें डर रहता है कि कहीं वह ऐसी बकवास न कर दे या ऐसे काम न कर दे कि समारोह के रंग में भंग हो जाय।
उपसंहार—
अनेक समाज सुधारक समितियाँ मद्य पान की हानि बताकर मद्य निषेध का प्रयत्न कर रहीं हैं। उन्हें इस काम में बहुत अधिक सफलता भी मिल रही है। सरकार ने भी मद्य के प्रचार को रोकने के लिए बहुत से कानून बनाये हैं। मद्यपान तभी रुकेगा, जब देश के सभी लोग इसकी हानियों को समझकर नशा करना छोड़ देंगे। जब सब देशवासी नशा करना छोड़ देंगे तो रेश बलवान, धनवान् और ज्ञानवान हो जायेगा। ऐसा होने पर देश की हर प्रकार उन्नति होगी। चीन के निवासी किसी समय बहुत अधिक अफीम खाया करते थे और उसके नशे में पड़े रहते थे। अब उन्होंने नशा करना छोड़ दिया है। अब चीन एक शक्तिशाली देश है। नशा करना छोड़ देने पर हमारा देश भी शक्तिशाला हो जायेगा।
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◆◆◆ निवेदन ◆◆◆
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