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अधिगम या सीखने के वक्र का अर्थ एवं परिभाषाएं / learning curves in hindi

सीखने के वक्र क्या है / what is learning curve
जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को सीखता है जो उसके सीखने की गति हमेशा एक समान नहीं रहती, यह गति कभी तेज,कभी धीमी तो कभी अत्यधिक मन्द हो जाती है। इस प्रकार व्यक्ति के सीखने के कौशल को जब हम कागज पर ग्राफीय रूप से निरूपित करते हैं। यदि सीखने की गति को ग्राफ पेपर पर अंकित किया जाए तो एक वक्र रेखा प्रस्तुत होगी। यदि हम किसी ग्राफ पेपर के एक अक्ष (x-अक्ष) पर सीखने की अवधि तथा दूसरे अक्ष (Y-अक्ष) पर सीखने की मात्रा अंकित करते हैं तब उसका ग्राफ सीधी रेखा में न होकर एक वक्र के रूप में आता है। इसे ही ‘अधिगम का वक्र’ या सीखने के वक्र कहा जाता है।
सीखने या अधिगम के वक्र की परिभाषाएं
(1) चार्ल्स स्किनर (C.E. Skinner) के अनुसार-“अधिगम का वक्र किसी दी हुई क्रिया में उन्नति या अवनति का वर्गांकित कागज पर विवरण है।”
स्किनर के अनुसार,”अधिगम वक्र किसी क्रिया विशेष में व्यक्ति की प्रगति का ग्राफिक निरूपण है।”
(2) एलेक्जेण्डर (Alexander) के अनुसार-“जब आँकड़ों को वर्गांकित कागज पर अंकित किया जाता है तो वह वक्र बन जाता है।”
(3) गेट्स तथा अन्य के अनुसार-“सीखने के वक्र अभ्यास द्वारा सीखने की मात्रा, गति और प्रगति की सीमा को ग्राफ पर प्रदर्शित करते हैं।”
(4) रैमर्स और सहयोगियों के अनुसार-“सीखने का वक्र किसी दी हुई क्रिया की आंशिक रूप से सीखने की पद्धति है।”
(5) हिलगार्ड के अनुसार,“यह वह रेखा है जिससे अधिगम प्रक्रिया की झलक मिलता है।”
उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर हम कह सकते हैं कि व्यक्ति अधिगम की क्रिया में से जो कुछ करता है और जो तीव्र या धीमी गति होती है, उसे हम अधिगम के वक्र से प्रकट करते हैं। इसे ग्राफ पेपर पर प्रस्तुत किया जाता है।
नोट- सीखने के वक्त में शीर्ष (ऊर्वाधर) रेखा ‘दक्षता के माप’ को इंगित करती है तथा आधार (क्षैतिज) रेखा ‘अभ्यास के माप’ को इंगित करती है।
अधिगम वक्र के प्रकार / types of learning curves
1. सरल रेखीय वक्र
2. नतोदर वक्र (Concave)
3. उन्नतोदर वक्र (Convex)
4. सीढ़ीदार (मिश्रित) वक्र
1.सरल रेखीय वक्र ( straight line curve ) – यह वक्र सामान्य रूप से बहुत कम या न के बराबर देखने को मिलता है। यह तब बनता है जब अधिगम या सीखने की प्रक्रिया बिना रुके लगातार तीव्र गति से बढ़ता जाये।
2.नतोदर वक्र या उन्नति सूचक वक्र ( concave curve or positive accelerated curve ) – जब प्रारम्भ मे सीखने की गति धीमी हो और बाद मे तीव्र हो जाये तो इस प्रकार के सीखने से बने वक्र को नतोदर वक्र या उन्नति सूचक वक्र कहते हैं।
3.उन्नतोदर वक्र या ऋणात्मक उन्नति सूचक वक्र ( convex curve or negative accelerated curve ) – जब प्रारम्भ मे सीखने की गति तीव्र हो और बाद मे धीमी हो जाये तो इस प्रकार के सीखने से बने वक्र को उन्नतोदर वक्र या ऋणात्मक उन्नति सूचक वक्र कहते हैं।
4. मिश्रित वक्र या सीढ़ीदार वक्र या अवग्रहास वक्र ( mixed curve or combination type curve) – जब सीखने की गति अनियमित रूप से हो अर्थात कभी तीव्र हो तो कभी मन्द हो तो इस प्रकार के सीखने से बने वक्र को मिश्रित वक्र या सीढ़ीदार वक्र या अवग्रहास वक्र कहते हैं।

अधिगम वक्र की विशेषताएँ
1. अधिगम वक्र की अनियमितता (Irregular learning curve)
2. कार्य-कारण का सम्बन्ध ज्ञात होना
3. क्षमता की जानकारी होना (To know Ability)
4. सीखने में उन्नति (Improvement in learning)
5.प्रारंभिक, मध्य तथा अंतिम स्तर होना ।
अधिगम के वक्र के उतार चढ़ाव के कारण
अधिगम के वक्र के चढ़ाव और उतार के कुछ प्रमुख कारण हैं
(1) उत्तेजना (Excitement) – जब हम किसी कार्य को करने के लिए एकदम से उत्तेजित हो जाते है तो हम उस कार्य को जल्दी कर लेते है या जल्दी सीख जाते है तो हमारा सीखने का वक्र एकदम से ऊपर उठ जाता है इसी का उल्टा जब हम किसी कार्य मे उत्तेजित नही होते है तो हम देर में सीखते है जिससे अधिगम का वक्र नीचे जाने लगता है। इस प्रकार उत्तेजना अधिगम के वक्र में उतार चढ़ाव को बहुत अधिक प्रभावित करती है।
(2) सन्तुलन (Adaptation) – सीखने के वक्र को संतुलन बहुत प्रभावित करता है यदि हमारा किसी कार्य को करने में संतुलन बढ़िया है तो हम कार्य को आसानी से कर लेते हैं।
(3) थकान (Fatigue) – सीखते सीखते यदि हम बहुत थक जाते है तो उसके बाद हमारे सीखने की क्षमता कम हो जाती है फिर हमारा मन नहीं लगता जिससे सीखने का वक्र नीचे आने लगता है और इस प्रकार थकान भी वक्र के उतार चढ़ाव का कारण बन जाता है।
(4) अभ्यास (Excercise) – यदि हमें किसी कार्य को करने का यदि बार बार अभ्यास है तो वो कार्य जल्दी हो जाता है । इसी प्रकार यदि हम किसी काम को बहुत बार कर चुके है तो उससे जुड़ा कार्य भी हम जल्दी कर लेते है। इस प्रकार अभ्यास भी अधिगम के वक्र के उतार चढ़ाव का प्रमुख कारण है।
(5) प्रोत्साहन (Stimulation) – यदि हमें कोई किसी कार्य के प्रति जरा सा भी प्रोत्साहित कर दे तो हम पूरे जोश के साथ उस कार्य को जल्दी सीख लेते है या पूर्ण कर लेते हैं। इस प्रकार प्रोत्साहन या प्रेरणा भी सीखने के वक्र को ऊपर खींच देती है ।
अधिगम वक्र को प्रभावित करने वाले तत्त्व या कारक
Influencing Factors to Learning Curve
अधिगम वक्र पर निम्नलिखित तत्त्वों का प्रभाव पड़ता है –
1. पूर्वानुभव (Preexperience) – अगर हमें किसी कार्य को करना है और उससे जुड़े कार्य हम कई बार पहले कर चुके है अर्थात हमे उसका पूर्वानुभव है तो फिर उस कार्य को सीखने में हमे कम समय लगता है जैसे साईकल चलाने वाला बाइक जल्दी सीख लेता है।
2. आभास (Feeling) – हमे कार्य को करने का अभ्यास अगर है तो हम फिर उस कार्य को या उससे जुड़े कार्यों को बड़ी आसानी से सीखने लगते हैं।
3. सरल से कठिन की ओर (From easy to complex) – हम पहले छोटे कार्यों को करते है फिर उससे बड़े कार्यों को फिर उससे बड़े तो हमे फिर उन सभी आगे के कार्यों को करने में पहले से आसानी रहती है। जैसे कोई पहले साईकल सीखा फिर बाइक सीखा तो अब वह अगर कार सीखना चाहता है तो उसे साईकल सीखने जितना ज्यादा ही आसान होगा ।
4. कौशल (Skill) – अगर हमारे पास कौशलत्व का गुण है तब भी हम कार्यों को बड़ी आसानी से करने लगते हैं।
5. उत्साह (Excitement) – किसी कार्य को करने के लिए उत्साह का होना बहुत आवश्यक है। हम किसी कार्य के प्रति यदि खूब उत्साहित हैं या प्रेरित हैं तो हम उस कार्य को कम समय मे बड़ी आसानी से सीख लेते हैं।
सीखने के वक्र का शिक्षा में महत्त्व
शिक्षा में सीखने के वक्र का बहुत महत्त्व है। सीखने में वक्रों की उपयोगिता निम्नांकित है-
(1) शिक्षक सीखने के वक्र को देखकर बालक की सामान्य प्रगति को जान सकता है।
(2) वक्रों को देखकर शिक्षक सीखने की सामग्री का उचित रूप से संगठन कर सकता है और उपयुक्त शिक्षण-विधि का प्रयोग करके, सीखने में पठारों को रोक सकता है। पठारों के निराकरण के जो उपाय बताये गये हैं, उनका उपयोग करके सीखने में जो त्रुटियाँ पाई जाती हैं, उनको दूर कर सकता है।
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