ऐतिहासिक महापुरुष छत्रपति शिवाजी पर निबंध / essay on Maharaja Shivaji in hindi

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ऐतिहासिक महापुरुष छत्रपति शिवाजी पर निबंध / essay on Maharaja Shivaji in hindi

रूपरेखा (1) प्रस्तावना, (2) जन्म और शैशवकाल, (3) मुगलों से युद्ध, (4) उपसंहार।

प्रस्तावना –

भारत के ऐतिहासिक महापुरुषों में छत्रपति शिवाजी अग्रणीय हैं। ये विश्व के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ कहे जाते हैं। ये सच्चरित्र, उदार, शूरवीर और विद्वान् थे।

जन्म और शैशवकाल—

शिवाजी का जन्म शिवनेरी के दुर्ग में हुआ था। इनके पिता का नाम शाहजी था, जो बीजापुर के सुल्तान के यहाँ उच्च पद पर नियुक्त थे। इनकी माता का नाम जीजाबाई था। शिवाजी ने माता जीजाबाई से बचपन में रामायण, महाभारत और बड़े-बड़े वीर योद्धाओं की कहानियाँ सुनीं थीं, जिससे इनमें वीरता एवं उत्साह भर गया था। ये शैशवकाल से ही मल्ल युद्ध, भाले-बर्छे चलाना और वाण – विद्या सीखने लगे थे। थोड़े दिनों में ही ये सभी विद्याओं में निपुण हो गये थे। इनके गुरु समर्थ रामदास थे। उनकी शिक्षाओं का प्रभाव भी इन पर पड़ा। इन्होंने शैशवकाल में ही सम-वयस्क बालकों का दल बनाकर बनावटी युद्ध आरम्भ कर दिये थे।

कुछ ही समय में इन्होंने अपनी शक्ति बढ़ा ली थी। इनके पिता शाहजी की इच्छा थी कि शिवाजी भी उनकी तरह किसी उच्च पद पर पहुँचे। परन्तु शिवाजी उनकी इच्छा के विपरीत दिशा में बढ़ रहे थे। 19 वर्ष की आयु में दल बनाकर बीजापुर के दुर्गों पर धावा बोलने लगे थे। इनकी शक्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी। दो वर्ष बाद ही इन्होंने तोरण, सिंहगढ़ और पुरन्दर आदि दुर्गों पर अधिकार कर लिया और मुगलों से युद्ध शुरू कर दिया। सेना कम होने के कारण डट कर सामना करना कठिन था, अतः ये पहाड़ों में छिप-छिपकर आक्रमण किया करते थे। छापामार युद्ध शिवाजी की ही देन है।

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मुगलों से युद्ध –

दिल्ली में औरंगजेब का शासन था। उसने इनके उपद्रवों से तंग आकर राजा जयसिंह के द्वारा इन्हें अपने दरबार में बुलाया। दरबार में यथोचित सम्मान न मिलने से ये बिगड़ उठे। परिणामस्वरूप इन्हें बन्दी बना लिया गया। औरंगजेब षड्यन्त्र रचकर इन्हें मरवाने का प्रयास करने लगा। इस बात का किसी तरह इन्हें पता चल गया। इस षड्यन्त्र को विफल करने के लिए इन्होंने बीमार होने का बहाना किया। कुछ दिन बाद औरंगजेब को उन्होंने स्वस्थ होने की सूचना भेजी। इस खुशी में उन्होंने मिठाई बाँटने का विचार किया। कारागार में मिठाई के टोकरे भर-भर कर भेजे जाने लगे। अवसर पाकर ये मिठाई के टोकरे में बैठकर औरंगजेब के कारागार से बाहर निकल गये। बाहर आकर पकड़े जाने के भय से ये सिर मुँडवाकर काशी, जगन्नाथपुरी आदि तीर्थों के दर्शन करते हुए अपनी राजधानी में जा पहुँचे। कुछ समय पश्चात् फिर मुगलों के साथ युद्ध छिड़ गया। इस अवसर पर मुगलों के साथ सन्धि हो गयी। औरंगजेब ने इन्हें राजा घोषित कर दिया।

उपसंहार –

औरंगजेब की नीयत में खोट होने के कारण कुछ समय बाद फिर युद्ध प्रारम्भ हो गया। अब शिवाजी शक्तिशाली हो गये थे। इन्होंने सूरत और कई नगरों को लूटकर रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया। अभी ये अपने राज्य को भली प्रकार सम्भाल भी न पाये थे कि सन् 1680 में 53 वर्ष की अवस्था में स्वर्ग सिधार गये। भारतीय इतिहास में वे अपने व्यक्तित्व के कारण सदैव याद किये जायेंगे ।

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