ध्यान व रुचि का संबंध / अवधान और अभिरुचि का सम्बन्ध / Relation Between Attention and Interest in hindi

दोस्तों अगर आप बीटीसी, बीएड कोर्स या फिर uptet,ctet, supertet,dssb,btet,htet या अन्य किसी राज्य की शिक्षक पात्रता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो आप जानते हैं कि इन सभी मे बाल मनोविज्ञान विषय का स्थान प्रमुख है। इसीलिए हम आपके लिए बाल मनोविज्ञान के सभी महत्वपूर्ण टॉपिक की श्रृंखला लाये हैं। जिसमें हमारी साइट istudymaster.com का आज का टॉपिक ध्यान व रुचि का संबंध / अवधान और अभिरुचि का सम्बन्ध / Relation Between Attention and Interest in hindi है।

ध्यान व रुचि का संबंध / अवधान और अभिरुचि का सम्बन्ध / Relation Between Attention and Interest in hindi

ध्यान व रुचि का संबंध / अवधान और अभिरुचि का सम्बन्ध / Relation Between Attention and Interest in hindi

अवधान और अभिरुचियों का सम्बन्ध (Relation Between Attention and Interest)

अवधान और अभिरुचि का घनिष्ठ सम्बन्ध है। जिन वस्तुओं में हमारी रुचि होती है, अवधान उसी में केन्द्रित होता है। मैक्डूगल ने “अभिरुचि को गुप्त अवधान कहा है और अवधान को सक्रिय अभिरुचि बताया है।” अभिरुचि एक मानसिक संरचना (Mental Structure) है और अवधान एक मानसिक क्रिया (Mental Process) है। दोनों के सम्बन्ध में मनोवैज्ञानिकों ने निम्न विचार प्रस्तुत किये हैं-

1. अवधान अभिरुचि पर निर्भर है-अभिरुचि अवधान का संचालन करती है अर्थात् बिना अभिरुचि के अवधान की क्रिया नहीं हो सकती। व्यक्ति उन्हीं वस्तुओं पर अवधान देता है जिसमें उसकी अभिरुचि होती है। अतः अभिरुचि अवधान के रूप में प्रकट होती है। हम सदा अपनी रुचि की वस्तुओं पर अवधान प्रकट नहीं किया करते। जब अवधान प्रकट नहीं हो पाता तब वह रुचि के रूप में गुप्त या छिपा रहता है। जैसे बालक पढ़ने के समय खेल पर अवधान नहीं देते पर अवधान रुचि के रूप में छिपा रहता है।

See also  विस्मयादिबोधक अव्यय की परिभाषा एवं प्रकार / विस्मयादिबोधक अव्यय के भेद प्रयोग और उदाहरण

2. अभिरुचि अवधान पर निर्भर है— कुछ मनोवैज्ञानिकों का विचार है कि अभिरुचि अवधान पर आधारित होती है अर्थात् जब तक व्यक्ति किसी वस्तु पर ठीक से ध्यान नहीं देता, उसकी रुचि उसमें नहीं हो सकती। जैसे प्रायः बालकों को गणित विषय बहुत कठिन विषय लगता है, किन्तु यदि वे ध्यानपूर्वक गणित पढ़ना आरम्भ कर दें तो उनकी अभिरुचि उत्पन्न हो जायेगी। इस प्रकार अवधान अभाव में अभिरुचि असम्भव है।

3. अभिरुचि और अवधान एक सिक्के के दो पक्ष के समान हैं-उपर्युक्त दोनों मतों के अनुसार यह स्पष्ट होता है कि अवधान और अभिरुचि एक दूसरे पर आधारित हैं। रॉस महोदय ने कहा है कि “अवधान और अभिरुचि एक ही वस्तु को देखने के केवल दो भिन्न तरीके हैं, जैसे एक सिक्के के दो पहलू ।” इसी प्रकार मैक्डूगल ने भी कहा – “अभिरुचि गुप्त अवधान है, अवधान सक्रिय अभिरुचि है।”

अभिरुचि व्यक्ति के अन्दर छिपी रहती है और अवधान में क्रियाशीलता होती है। उपर्युक्त विवेचन से अभिरुचि और अवधान का सम्बन्ध स्पष्ट होता है, किन्तु इस सम्बन्ध में कुछ मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि अभिरुचि और अवधान के घनिष्ठ सम्बन्ध का अर्थ यह भी नहीं निकालना चाहिए कि जिस वस्तु में हम ध्यान लगाएँ उसमें हमारी अभिरुचि का होना आवश्यक है या जिसमें हमें अभिरुचि न हो उसमें हम ध्यान ही नहीं लगा सकते।

ऐसे उदाहरण दिये जा सकते हैं, जिसमें हमें अभिरुचि न होने पर भी अवधान लगाना पड़ता है। जैसे प्रायः कुछ विद्यार्थियों की पढ़ने में अभिरुचि नहीं होती पर वे किसी प्रकार परीक्षा पास करके नौकरी प्राप्त करने के उद्देश्य में पढ़ते हैं अर्थात् पढ़ने में अभिरुचि न होने पर भी ध्यान लगाते हैं। यहाँ यह कहा जा सकता है कि जिस विषय में हमें अवधान लगाना पड़ रहा है, उसमें हमारी रुचि नहीं है किन्तु परीक्षा पास करने में जो अभिरुचि है, वह पढ़ने की ओर अवधान लगाने से ही संतुष्ट हो सकती है। इसलिए हम बाध्य होकर पढ़ाई में अवधान लगाते हैं और परीक्षाफल में अभिरुचि रखते हैं।

See also  बालक पर वंशानुक्रम और वातावरण का प्रभाव / influence of heredity and environment in child in hindi

इसी प्रकार व्यक्ति को अपने व्यवसाय के कामों में अभिरुचि न होने पर भी अवधान लगाना पड़ता है। इस प्रकार से जब हम किसी विषय या वस्तु पर अवधान देते हैं, तब हमारी अभिरुचि और अवधान का सम्पर्क अप्रत्यक्ष रूप से होता है। अवधान और अभिरुचि में निश्चित सह-सम्बन्ध (Co-relation) नहीं है पर वे भिन्न नहीं हैं। अभिरुचि, अवधान का एक कारण हो सकता है पर अवधान अभिरुचि का परिणाम नहीं हो सकता। इस विवेचना के उपरान्त यह कहना उपयुक्त प्रतीत होता है कि अभिरुचि अवधान का एक आवश्यक तत्व (Element) है।

                                  निवेदन

आपको यह टॉपिक कैसा लगा , हमें कॉमेंट करके जरूर बताएं । आपका एक कॉमेंट हमारे लिए बहुत उत्साहवर्धक होगा। आप इस टॉपिक ध्यान व रुचि का संबंध / अवधान और अभिरुचि का सम्बन्ध / Relation Between Attention and Interest in hindi को अपने मित्रों के बीच शेयर भी कीजिये ।

Tags – ध्यान व रुचि का संबंध,Relation Between Attention and Interest in hindi,रुचि एवं ध्यान का सम्बंध,

Leave a Comment