स्थानीय स्वशासन व्यवस्था अथवा पंचायती राज व्यवस्था पर निबंध / essay on Panchayati Raj System in hindi

आपको अक्सर स्कूलों में निबंध लिखने को दिया जाता है। ऐसे में हम आपके लिए कई मुख्य विषयों पर निबंध लेकर आये हैं। हम अपनी वेबसाइट istudymaster.com के माध्यम से आपकी निबंध लेखन में सहायता करेंगे । दोस्तों निबंध लेखन की श्रृंखला में हमारे आज के निबन्ध का टॉपिक स्थानीय स्वशासन व्यवस्था अथवा पंचायती राज व्यवस्था पर निबंध / essay on Panchayati Raj System in hindi है। आपको पसंद आये तो हमे कॉमेंट जरूर करें।

स्थानीय स्वशासन व्यवस्था अथवा पंचायती राज व्यवस्था पर निबंध / essay on Panchayati Raj System in hindi

स्थानीय स्वशासन व्यवस्था अथवा पंचायती राज व्यवस्था पर निबंध / essay on Panchayati Raj System in hindi

रूपरेखा (1) प्रस्तावना, (2) ब्रिटिश काल में स्थानीय स्वशासन व्यवस्था,(3) स्वतन्त्रता के बाद स्थानीय स्वशासन, (4) स्थानीय स्वशासन की प्रगति, (5) उपसंहार।

प्रस्तावना-

भारत में प्राचीन काल से ही स्थानीय स्वशासन व्यवस्था चली आ रही है। वर्तमान पंचायती राज व्यवस्था इसका नवीन रूप है। पंचायती राज के अन्तर्गत ग्रामीण जनता का सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास उनके स्वयं के द्वारा किया जाता है। पंचायती राज व्यवस्था किसी-न-किसी रूप में युग में विद्यमान रही है। वैदिक युग में भी इस प्रकार की संस्था विद्यमान थी। जो समाज के उद्योग, व्यापार, प्रशासन, शिक्षा तथा धर्म से सम्बन्धित थी। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में मौर्यकालीन ग्रामीण शासन के संचालन की पर्याप्त जानकारी मिलती है।

मुगल काल में भी देश में स्थानीय शासन व्यवस्था विद्यमान थी। ब्रिटिशकाल में स्थानीय स्वशासन व्यवस्था सर्वप्रथम व्यवस्थित रूप में ब्रिटिश काल में ही स्वशासन की स्थापना हुई। सन् 1687 में ब्रिटिश सरकार ने मद्रास नगर निगम की स्थापना की। स्थानीय स्वशासन की इकाइयों को निर्वाचित स्वरूप प्रदान करना, उन्हें संगठित करना, उन्हें कर लगाने और वसूल करने का अधिकार देना ब्रिटिश काल में ही आरम्भ हुआ। लेकिन इस काल में स्थानीय स्वशासन को पूर्ण स्वायत्तता नहीं प्राप्त हो सकी, क्योंकि उस समय स्थानीय स्वशासन पूर्ण रूप से ब्रिटिश सरकार के अधीन रहा। ब्रिटिश काल में स्थानीय स्वशासन केवल नाम मात्र को था । न तो उसका उद्देश्य जन समस्याओं पर काबू पाना था और न ही क्रियाविधि को जनतान्त्रिक बनाने का था।

See also  21 वीं सदी का भारत पर निबंध / essay on 21th century of India in hindi

स्वतन्त्रता के बाद स्थानीय स्वशासन-

यह कहने में कोई संकोच नहीं कि स्थानीय स्वशासन की स्थापना एवं तद्नुसार संचालन का कार्य स्वतन्त्रता की देन है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद सरकार ने ग्रामीण पुनर्निमाण की योजना को प्राथमिकता देते हुए अपने हाथों में ले लिया। संविधान के अनुच्छेद 40 के अनुसार पंचायती राज व्यवस्था को राज्य के नीति निदेशक तत्वों के अन्तर्गत रखा गया। ग्राम पंचायतों के गठन के लिए कदम उठाये गये जो उन्हें स्वशासित इकाई के रूप में योग्य बना सका। स्वतन्त्रता के पश्चात् जब पंचवर्षीय योजना को लागू करने की बात चल रही थी तो सरकार और ग्रामीण जनता के सम्पर्क सूत्र के रूप में एक सक्रिय संगठन की आवश्यकता महसूस की गई। इस प्रकार सरकार एवं ग्रामीण जनता के सम्पर्क सूत्र की आवश्यकता ने पंचायती राज की नींव डाली।

स्थानीय स्वशासन की प्रगति—

मेहता समिति ने ग्रामीण स्वशासन के लिए त्रिस्तरीय व्यवस्था का सुझाव दिया-

(1) ग्राम स्तर पर – ग्राम पंचायत,

(2) ब्लाक स्तर पर – पंचायत समिति,

(3) जिला स्तर पर – जिला परिषद् ।

वर्षों तक गुलाम रहे भारत की स्थिति अच्छी नहीं थी। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् लागू पंचायती राज व्यवस्था सफल नहीं हो सकी। इसे पुनः प्रभावी बनाने के लिए सन् 1977 में अशोक मेहता की अध्यक्षता एक समिति गठित गई, लेकिन देश में राजनीतिक अस्थिरता के कारण इस समिति की सिफारिशों को लागू नहीं किया जा सका । सन् 1986 में ग्रामीण विकास मन्त्रालय में एल० एम० सिंघवी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया। सन् 1989 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री राजीव गाँधी के शासन काल में स्थानीय ग्रामीण शासन के पुनर्निमाण के लिए सर्वाधिक सराहनीय कार्य किया गया।

See also  घर-परिवार का महत्त्व पर निबंध / essay on importance of family in hindi

सन् 1992 में एक नए विधेयक को पुनः संसद के समक्ष 73वें संविधान संशोधन के रूप में प्रस्तुत किया गया। यह विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित होकर 24 अप्रैल, कानून के रूप हो गया। इसमें कहा गया कि ग्राम स्तर पर प्रत्यक्ष चुनाव कराये जायेंगे। इसमें अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई। महिलाओं के लिए एक तिहाई स्थान आरक्षित किये गये। अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण देने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया गया। 173वें संशोधन विधेयक में यह बात भी कही गई कि पंचायतों का चुनाव 5 वर्षों के बाद राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा सम्पन्न कराये जायेंगे।

उपसंहार—

इस प्रकार निष्कर्ष रूप में इतना कहना आवश्यक है कि मात्र संरचनात्मक संगठन की आर्थिक सुदृढ़ता के द्वारा इसके लक्ष्यों की प्राप्ति सम्भव नहीं है। इसके लिए हमें अपने नैतिक आचार-विचार एवं व्यवहार में परिवर्तन करना होगा। उसके बाद हम अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल हो सकेंगे।

👉 इन निबंधों के बारे में भी पढ़िए

                         ◆◆◆ निवेदन ◆◆◆

आपको यह निबंध कैसा लगा । क्या हमारे इस निबंध ने आपके निबंध लेखन में सहायता की हमें कॉमेंट करके जरूर बताएं । दोस्तों अगर आपको स्थानीय स्वशासन व्यवस्था अथवा पंचायती राज व्यवस्था पर निबंध / essay on Panchayati Raj System in hindi अच्छा और उपयोगी लगा हो तो इसे अपने मित्रों के साथ जरूर शेयर करें।

tags – स्थानीय स्वशासन व्यवस्था अथवा पंचायती राज व्यवस्था par nibandh,स्थानीय स्वशासन व्यवस्था अथवा पंचायती राज व्यवस्था पर निबंध,panchayati raj vyavastha pr nibandh hindi me,essay on Panchayati Raj System in hindi,Panchayati Raj System essay in hindi,स्थानीय स्वशासन व्यवस्था अथवा पंचायती राज व्यवस्था पर निबंध / essay on Panchayati Raj System in hindi 

See also  हमारी वन-सम्पदा पर निबंध / essay on forest wealth in hindi

Leave a Comment