देशरत्न राजीव गाँधी पर निबंध / essay on Rajiv Gandhi in hindi

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देशरत्न राजीव गाँधी पर निबंध / essay on Rajiv Gandhi in hindi

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देशरत्न राजीव गाँधी पर निबंध / essay on Rajiv Gandhi in hindi


रूपरेखा (1) प्रस्तावना, (2) जन्म और शिक्षा, (3) राजनीति में प्रवेश, (4) उपसंहार ।

प्रस्तावना –

राजीव गाँधी भारत के छठे प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म एक देश-भक्त परिवार में हुआ था। देशभक्ति उन्हें विरासत में मिली थी। इनके पिता श्री फिरोज गाँधी तथा माता श्रीमती इन्दिरा गाँधी थीं। इनके नाना पंडित जवाहरलाल नेहरू, माता श्रीमती इन्दिरा गाँधी, भाई संजय गाँधी तथा पिता फिरोज गाँधी-सभी सच्चे देश भक्त रहे हैं। ये ही संस्कार आपको विरासत मिले।

जन्म और शिक्षा –

राजीव गाँधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को मुंबई में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा देहली में हुई। इसके बाद आपने देहरादून में शिक्षा प्राप्त की। आप उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गये। वहीं आपने हवाई जहाज उड़ाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया। आपको पायलेट बनने की बहुत इच्छा थी। आपने हवाई जहाज की कम्पनी में पायलेट की नौकरी प्राप्त कर ली। आपने इटली निवासी ‘सोनिया’ से विवाह किया । आपकी दो सन्तान- प्रियंका और राहुल हुए ।

राजनीति में प्रवेश –

प्रारम्भ में आप की रुचि राजनीति में नहीं थी। सन् 1980 में एक मात्र भाई संजय गाँधी की विमान दुर्घटना में मृत्यु हो जाने पर इन्हें भारतीय राजनीति में भाग लेना पड़ा। सन् 1981 में आप लोक सभा के उप-चुनाव में विजय प्राप्त कर संसद सदस्य बने। राजनीति में सक्रिय भाग लेने के कारण आपको कांग्रेस का महासचिव बनाया गया । सन् 1984 में श्रीमती इन्दिरा गाँधी के आकस्मिक निधन के उपरान्त कांग्रेस ने इन्हें सर्व सम्मति से अपना नेता चुना और प्रधान मंत्री बनाया। आपने शीघ्र ही लोक सभा चुनाव की घोषणा कर दी। आपको आशा के अनुकूल तीन चौथाई से अधिक बहुमत प्राप्त हुआ । राजीव गाँधी में कोमलता, मधुर स्वभाव, ईमानदारी ऐसे गुण थे, जिनसे ऐसा लगता था कि वे राजनीति और कूटनीति के कर्त्तव्यों को अच्छी तरह नहीं निभा सकेंगे।

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उन्होंने एक के बाद एक जो उचित निर्णय लिये, उन पर सम्पूर्ण विश्व आश्चर्य चकित रह गया। सबसे पहले उन्होंने पंजाब की समस्या को निर्भीकता तथा शान्ति पूर्ण ढंग से हल किया। इसके पश्चात् असम की समस्या को, जिसे वर्षों से कोई हल नहीं कर सका था, उन्होंने अत्यन्त धैर्य पूर्वक वार्ताओं के द्वारा हल कर दिया। इसके अतिरिक्त वे देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए सदैव जागरूक रहे। आदिम जातियों, पिछड़ी जातियों और कमजोर वर्ग के लिए तो वे देवदूत ही बन गये। वे देश के दूर-सुदूर अंचलों में जाकर गरीबों की झोंपड़ियों में उनके नन्हें मुन्नों को लाड़-दुलार करते रहे। एशियाई राष्ट्रों के सम्मेलन की अध्यक्षता करने में उन्होंने अपनी बुद्धि और विवेक का परिचय दिया। उन्होंने लौह-पुरुष की तरह निर्भीकता पूर्वक सम्पूर्ण देश का भ्रमण किया। वे जहाँ भी गये, उनका अभूतपूर्व स्वागत हुआ।

उपसंहार –

राजीव गाँधी ने केवल 40 वर्ष की अवस्था में ही विश्व के कुछ गिने-चुने लोगों में बैठकर अपनी सूझ-बूझ का परिचय दिया। परन्तु ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। 21 मई, 1991 को आप एक आत्मघाती महिला के कर हाथों के शिकार हो गये। वे लोकसभा के चुनाव प्रचार के लिए तमिलनाडु के पैराम्बूर स्थान पर भाषण देने के लिए गये थे। वहाँ मानव बम से अचानक उनकी हत्या कर दी गयी। उस दिन की तिथि 21 मई, 1991 भारत में ‘अन्धकार दिवस’ के रूप में याद की जायेगी। 24 मई, 1991 को 5.25 बजे सांय उनके प्रिय पुत्र राहुल ने उनकी चिता को अग्नि प्रदान की। भाग्य क्या नहीं करा लेता ?

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