सिगमण्ड फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत / Freud’s psychoanalytic theory in hindi

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सिगमण्ड फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत / Freud’s psychoanalytic theory in hindi

सिगमण्ड फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत / Freud psychoanalytic theory in hindi

Freud’s psychoanalytic theory in hindi / सिगमण्ड फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त

1856-1938 आस्ट्रिया (वियना ):- मनोलैंगिक सिद्धान्त फ्रायड का मत है कि ‘अचेतन’ अवस्था में अधिकांश प्रवित्तियां दबी रहती हैं, जिसको वे दमित इच्छा कहते हैं। दमित इच्छा की अभिव्यक्त ही सृजनशीलता है।

फ्रायड के अनुसार मन की अवस्था

1. चेतन मन- (वर्तमान से सम्बन्धित 1/10 भाग)
2. अर्धचेतन मन- (अटकना, अचानक, भूलना, प्रयत्न द्वारा याद आना)
3. अचेतन मन- (दमित इच्छा, अतृप्त इच्छा, काम शक्ति का भण्डार 9/10 भाग)

(1) चेतन मन- (वर्तमान से सम्बन्धित 1/10 भाग)

इसको हम Super EGO या पराहम कहते है। इसे निम्न बिंदुओं से समझ सकते हैं –

a. (सामाजिक नैतिकता)
b. चेतन मन 1/10
c. आदर्शवादी, नैतिकता
d. सामाजिकता
e. इदम/अहम् पर नियंत्रण रखता है।
f. मूल्यों का आन्तरिकीकरण

(2) अर्धचेतन मन- (अटकना, अचानक, भूलना, प्रयत्न द्वारा याद आना)

इसको हम  ID या इदं कहते हैं। इसे निम्न बिंदुओं से समझ सकते हैं –

a. (पाश्विक इच्छाओं द्वारा)
b. अचेतन मन 9/10
c. हमारे अन्दर का पशु
d. मनुष्य का नियंत्रण न होना
e. काम प्रवृत्ति का भण्डार
f. इच्छाओं की जननी
g. अतृप्त इच्छाओं का भण्डार

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(3) अर्धचेतन मन- (अटकना, अचानक, भूलना, प्रयत्न द्वारा याद आना)

इसको हम EGO या अहम कहते हैं। इसे निम्न बिंदुओं से समझ सकते हैं –

a. वास्तविक सिद्धान्त द्वारा निर्देशित
b. वास्तविकता
c. उचित अनुचित में समायोजन
d. इदं के इच्छाओं को नियंत्रण करने
वाला होता है।

फ्रायड की अवस्थाएँ-

(1) मुखीय अवस्था
(2) गुदीय अवस्था
(3) लैंगिक अवस्था
(4) अदृश्य अवस्था
(5) जननेन्द्रियावस्था

                                        निवेदन

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