महिला आरक्षण पर निबंध / essay on women reservation in hindi

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महिला आरक्षण पर निबंध / essay on women reservation in hindi

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रूपरेखा (1) प्रस्तावना, (2) महिला आरक्षण की माँग, (3) स्थानीय निकायों में आरक्षण, (4) सार्वजनिक सेवाओं में आरक्षण, (5) आरक्षण का औचित्य, (6) उपसंहार।

प्रस्तावना-

भारत में आजकल आरक्षण का बहुत जोर है। जिधर देखो, उधर आरक्षण की बात चल रही है। हर जाति और वर्ग का व्यक्ति आरक्षण की माँग बड़ी शान से उठाता है। संविधान के निर्माताओं ने कुछ पिछड़ी जातियों का स्तर ऊँचा उठाने के लिए आरक्षण की जो सुविधा दस वर्ष के लिए प्रदान की थी, बाद में 10-10 वर्ष के लिए बढ़ाकर 2000 तक कर दी गई और अब तो ऐसा प्रतीत होता है कि यह हमेशा बनी रहगी।

महिला आरक्षण की माँग-

आरक्षण की माँगों में सबसे नई माँग महिला आरक्षण की है। भारत की लोकसभा तथा विधान सभाओं में महिलाओं के लिए स्थान आरक्षित करने की माँग उठी है और लगभग सभी राजनैतिक दल इस पर जोर दे रहे हैं।

स्थानीय निकायों में आरक्षण-

स्थानीय निकायों तथा ग्राम पंचायतों में महिला आरक्षण इसी नीति पर आधारित है। इसमें जातिगत आधार पर स्थान आरक्षित हैं। इस तरह के आरक्षण के कुछ दोष भी प्रकट हुए हैं। अनेक ऐसी महिलाएँ ग्राम प्रधान चुनी गई हैं, जो अशिक्षित हैं और बातचीत करने का तरीका भी नहीं जानती। उनकी ओर से उनके पति उनका कार्ये देखते हैं। ऐसा आरक्षण के कारण ही हुआ है कि कोई अयोग्य महिला किसी सार्वजनिक पद के लिए चुन ली गई है।

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सार्वजनिक सेवाओं में आरक्षण – 

सार्वजनिक सेवाओं में भी महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण की बात उठ रही है। यहाँ भी आरक्षण का आधार जातिगत ही होगा। इस प्रकार का आरक्षण सरकारी नीतियों के विरोधाभास को भी प्रकट करता है।

आरक्षण का औचित्य-

एक परिश्रमी तथा बुद्धिजीवी न्यायप्रिय सामाजिक व्यवस्था के लिए आरक्षण को समाप्त करने की आवश्यकता है। महिला आरक्षण भी इसी प्रकार अनुचित माँग है। प्रतिस्पर्द्धा के द्वारा सही व्यक्ति का चयन समाज में अपना गौरव पूर्ण पद प्राप्त करेंगी तो यह उनके तथा देश दोनों के ही हित में होगा। कमजोर वर्ग के सरक्षण का तर्क अत्यन्त कमजोर है। यदि ऐसा है तो सार्वजनिक उद्योगों को भी आरक्षण मिलना चाहिए और हानि उठाकर भी सरकार को उनको  बनाये रखना चाहिए। सार्वजनिक उद्योगों को निजी उद्योगों से प्रतिस्पर्द्धा करने की नीति और समाज में कमजोर लोगों को आरक्षण देने की नीति परस्पर विरोधी हैं। यदि प्रतिस्पर्द्धा स्वस्थ है, तो उसको सरकारी सेवाओं तथा राजनैतिक पदों पर भी जारी रखना चाहिए।

उपसंहार-

आरक्षण देना और वह भी अनिश्चित अवधि के लिए पूर्णतः अवांछित तथा समाज विरोधी है। जातिवर्ग विहीन समाज की रचना का स्वप्न देखने वाले इस देश के विद्वानों के प्रयासों को आरक्षण के कारण आघात लगा है। आरक्षण के कारण जातिवादी चिन्तन को शाक्ति प्राप्त हुई है, क्योंकि पग-पग पर व्यक्ति की जाति पूछी जा रही है, योग्यता नहीं। अब महिलाओं का एक अलग वर्ग बनाने की तैयारी चल रही है। जो भारत जैसे देश के लिए उचित नहीं है।

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                         ◆◆◆ निवेदन ◆◆◆

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