व्यक्तित्व का अर्थ व परिभाषाएं / व्यक्तित्व के प्रकार / types of personality in hindi

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व्यक्तित्व का अर्थ व परिभाषाएं / व्यक्तित्व का अर्थ व परिभाषाएं / व्यक्तित्व के प्रकार / types of personality in hindi

व्यक्तित्व का अर्थ व परिभाषाएं / व्यक्तित्व के प्रकार / types of personality in hindi

व्यक्तित्व का अर्थ

गैरिसन, कार्ल सी. और अन्य (Garrison] Karl C. and others) ने लिखा “व्यक्तित्व सम्पूर्ण मनुष्य है, उसकी स्वाभाविक अभिरुचि तथा क्षमताएँ और उसके भूतकाल में अर्जित किये गये ज्ञान (अधिगम फल), इन कारकों का संगठन तथा समन्वय व्यवहार प्रतिमानों, आदर्श, मूल्यों तथा अपेक्षाओं की विशेषताओं से पूर्ण होता है।”

व्यक्तित्व उस ढंग को कहते है, जिसके द्वारा कोई व्यक्ति अपने परिवेश के साथ अनुकूलन करता है। यदि किसी व्यक्ति का अपने परिवेश के साथ समुचित अनुकूलन है तो उसका व्यक्तित्व उत्तम है। विभिन्न व्यक्तियों का अपने परिवेश के साथ भिन्न प्रकार का अनुकूलन होता है। इसी कारण से उनका व्यक्तित्व भी भिन्न-भिन्न माना जाता है। व्यक्तित्व सदैव ही व्यवहार द्वारा ज्ञात होता है। व्यवहार व्यक्तित्व का बाहरी रूप है। व्यवहार में जितना अधिक संकलन (Integration) होगा उतना ही सुदृढ़ व्यक्तित्व माना जायेगा। विभिन्न विद्वानों के दृष्टिकोण से व्यक्तित्व के अर्थ को अग्रलिखित प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

1. दार्शनिक दृष्टिकोण (Philosophical view) –

दर्शन के अनुसार इसकी परिभाषा निम्नलिखित प्रकार से है-व्यक्तित्व आत्म-ज्ञान का ही दूसरा नाम है, यह पूर्णता का प्रतीक है। इस पूर्णता का आदर्श ही व्यक्तित्व को प्रदर्शित करता है। Personality is the ideal of perseption of it self-realization.

2. समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण (Socialogical view) –

इस दृष्टिकोण के अनुसार- व्यक्तित्व उन सभी तत्त्वों का संगठन है, जिनके द्वारा व्यक्ति को समाज में कोई स्थान प्राप्त होता है, इसलिये व्यक्तित्व का एक सामाजिक प्रभाव है। फारिस (Faris) के अनुसार- “व्यक्तित्व संस्कृति का वैयक्तिक पक्ष है।” “Personality is the subjective side of culture.”

3. मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण (Psychological view) –

इस दृष्टिकोण के अनुसार व्यक्तित्व का अर्थ वंशानुक्रम एवं वातावरण का ही एक रूप है। मार्टन के अनुसार-“व्यक्तित्व व्यक्ति के जन्मजात तथा अर्जित स्वभाव, मूल प्रवृत्तियों, भावनाओं तथा इच्छाओं आदि का समुदाय है।” वुडवर्थ (Woodworth) के शब्दों में-“व्यक्ति के व्यवहार का समूचा सार ही उसका व्यक्तित्व होता है।” “Personality is the total quality of individual behaviour.”

4. मनोविश्लेषणात्मक दृष्टिकोण (Psycho-analysis view) –

इस दृष्टिकोण के जन्मदाता फ्रायड हैं, जिन्होंने व्यक्तित्व को तीन भागों में बाँटा है-इदम् (Id), अहम् (Ego ) तथा परम अहम् (Super ego ) । इदम् चेतन मन में स्थित प्राकृत शक्तियाँ हैं, जो अबोध या अज्ञान की अवस्था में मृत हैं। इन्हें शीघ्र ही सन्तुष्टि मिलनी चाहिये। अहम् वह चेतन तथा चेतन शक्ति है, जिसमें तर्क और बुद्धि का समावेश है। इसका सम्बन्ध इद्म तथा अहम् दोनों से है। परम अहम् व्यक्ति का आदर्श होता है। वह नैतिकता के आधार पर अहम् की आलोचना करता है तथा उसे सही मार्ग दिखाता है।

5. सामान्य दृष्टिकोण (Layman view) –

व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति के प्रभाव के उन गुणों से लिया जाता है, जो दूसरों के हृदय पर विजय पाने में सहायक होते हैं। इसी के कारण कहा जाता है कि-व्यक्तित्व वह उद्दीपक मूल्य है, जो एक व्यक्ति दूसरे के लिये रखता है। Personality is the stimulus value which one individual has for another.

इस प्रकार मनुष्य के व्यक्तित्व के पक्षों में शारीरिक पक्ष, बौद्धिक पक्ष, भावात्मक पक्ष, सामाजिक पक्ष, संकलनात्मक पक्ष तथा नैतिक पक्ष आदि सम्मिलित होते हैं।

व्यक्तित्व की परिभाषाएँ
Definitions of Personality

व्यक्तित्व के सम्बन्ध में विभिन्न शिक्षाशास्त्रियों के द्वारा दी गयी परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं –

(1) मन (Munn) के अनुसार-“व्यक्तित्व एक व्यक्ति के गठन, व्यवहार के तरीकों, रुचियों, दृष्टिकोण, क्षमताओं और तरीकों का सबसे विशिष्ट संगठन है।” “Personality may be defined as the most characteristic integration an individual’s structures, modes of behaviour, interest, attitudes, capacities, abilities and aptitudes.

(2) वारेन (Warren) के अनुसार-“व्यक्तित्व व्यक्ति का सम्पूर्ण मानसिक संगठन है, जो उसके विकास की किसी भी अवस्था में होता है।” “Personality is the entire mental organisation of human being at any stage of his development.”

(3) रैक्स (Rex) के अनुसार, “व्यक्तित्व समाज द्वारा मान्य तथा अमान्य गुणों का संगठन है।” “Personality is the balance between socially approved and disapproved traits.”

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(4) डैशील (Daisheel) के अनुसार-“व्यक्तित्व, व्यक्ति की सम्पूर्ण प्रतिक्रियाओं एवं प्रतिक्रियात्मक सम्भावनाओं का संस्थान है; जैसा कि उसके परिवेश में जो सामाजिक प्राणी है, उसके द्वारा आँका जाता है। यह व्यक्ति के व्यवहारों का एक समायोजित संकलन है, जो व्यक्ति अपने सामाजिक व्यवस्थापन के लिये करता है। “

(5) प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक मन (Mann N.L.) के शब्दों में, “व्यक्तित्व की परिभाषा एक व्यक्ति के ढाँचे, व्यवहार के रूपों, रुचियों, अभिवृत्तियों, सामथ्य, योग्यताओं और अभिरुचि के सबसे अधिक लाक्षणिक संकलन के रूप में की जा सकती है।” “Personality may be defined as the most characteristic integration of an individual’s structures,modes of behaviour, interests, attitudes, capacities, abilities and aptitudes.”

(6) आलपोर्ट (Alport) के अनुसार, “व्यक्तित्व व्यक्ति के भीतर उन मनोदैहिक गुणों का गत्यात्मक संगठन है जो परिवेश के प्रति होने वाले उसके अपूर्व अभियोजनों का निर्णय करते हैं।” “Personality is the dynamic organization with in the individual of those psychological systems that determine his unique adjustment to his environment.”

(7) मार्टन प्रिंस (Mortain Prince) के शब्दों में, “व्यक्तित्व समस्त शारीरिक तथा अर्जित वृत्तियों का योग है।” “Personality is the sum total of all the biological innate and acquired tendencies.”

(8) गुथरी (1944) (Guthrie) के अनुसार, “व्यक्तित्व की परिभाषा सामाजिक महत्त्व की उन आदतों तथा आदत संस्थानों के रूप में की जा सकती है जो स्थिर तथा परिवर्तन के अवरोध वाली होती है।” “Personality is defined as those habits and habit systems of social importance that are stable and resistant to change.”

(9) एस. सी. वारेन (H.C. Warren) के शब्दों में, “व्यक्तित्व व्यक्ति के विकास की किसी भी अवस्था में होने वाला समग्र मानसिक संगठन है।” “Personality is the entiremental organization of a human being at any stage of his development.”

(10) वाट्सन (Watson) के अनुसार, “हम जो कुछ करते हैं, वही व्यक्तित्व है।” “Personality is everything that we do.”

(11) मे एवं हार्टशार्न (May and Hartshorn) के अनुसार, “व्यक्तित्व, व्यक्ति का वह स्वरूप है जो उसे प्रभावशाली बनाता है और दूसरों को प्रभावित करता है।” “Personality is that which makes one effective and gives influence over others.”

(12) बिग एवं हण्ट (Bigge and Hunt) के शब्दों में, “व्यक्तित्व एक व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यवहार-प्रतिमान और विशेषताओं के योग का उल्लेख करता है।” “Personality refers to the whole behavioural pattern of an individual to the totality of its characteristics.”

(13) आइजनेक (1970) (H.J.Eysenek) के मत में, “व्यक्ति की अभि-प्रेरणात्मक व्यवस्थाओं का व्यक्तित्व सापेक्ष रूप से वह स्थिर संगठन है जिसकी उत्पत्ति जैविक अन्तनोंदों, सामाजिक तथा भौतिक वातावरण को अन्तःक्रिया के फलस्वरूप होती है।” “Personality is the relatively stable organization of person’s motivational dispositions,arising from the interaction between biological drives and social and physical environment.”

(14) परविन (Pervin) (1971) के अनुसार, “व्यक्तित्व किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के उन रचनात्मक और गत्यात्मक गुणों का प्रतिनिधित्व करता है जो किसी परिस्थिति के प्रति विशिष्ट प्रतिक्रियाओं द्वारा परिलक्षित होते हैं।”

व्यक्तित्व के पहलू
Aspects of Personality

गैरिसन तथा अन्य (Garrison and Other) ने व्यक्तित्व के निम्नलिखित पहलू बताये हैं-

1. क्रियात्मक पहलू (Action aspect) – व्यक्तित्व के इस पहलू का सम्बन्ध मानव की क्रियाओं से है। ये क्रियाएँ व्यक्ति की भावुकता, शान्ति, विनोदप्रियता, मानसिक श्रेष्ठता आदि को व्यक्त करती है।

2. सामाजिक पहलू (Social aspect) – व्यक्तित्व के इस पहलू का सम्बन्ध मानव द्वारा दूसरों पर डाले जाने वाले सामाजिक प्रभाव से है। इस पहलू में उन सभी बातों का समावेश हो जाता है, जिनके कारण मानव दूसरों पर एक विशेष प्रकार का प्रभाव डालता है।

3. कारण-सम्बन्धी पहलू (Cause aspect) – व्यक्तित्व के इस पहलू का सम्बन्ध मानव के सामाजिक या असामाजिक कार्यों के कारणों और उन कार्यों के प्रति लोगों की प्रतिक्रियाओं से है। यदि व्यक्ति के कार्य अच्छे हैं तो लोग उसे पसन्द करते हैं, अन्यथा नहीं।

4. अन्य पहलू (Other aspect) – व्यक्तित्व के अन्य पहलू हैं – दूसरों पर हमारा प्रभाव, हमारे जीवन में होने वाले बातों और घटनाओं का हम पर प्रभाव, हमारे गम्भीर विचार, भावनाएँ और अभिवृत्तियाँ।

निष्कर्ष रूप में, गैरिसन एवं अन्य (Garrison and Other) ने लिखा है – ये सभी पहलू महत्त्वपूर्ण हैं, परन्तु इनमें से कोई एक या सम्मिलित रूप से सब पूर्ण व्यक्तित्व का वर्णन नहीं करते। व्यक्तित्व इन सबका और इनसे भी अधिक का योग है। यह सम्पूर्ण मानव है।”

व्यक्तित्व के ये पहलू उसके विभिन्न गुणों तथा पक्षों पर प्रकाश डालते हैं। ये पक्ष व्यक्तित्व के संगठनात्मक स्वरूप पर प्रकाश डालते हैं। इसीलिये बीसेन्ज एवं बीसेन्ज के शब्दों में, “व्यक्तित्व मनुष्य की आदतों, दृष्टिकोण तथा विशेषताओं का संगठन है। यह जीव-शास्त्रीय सामाजिक तथा सांस्कृतिक कारण के संयुक्त कार्यों द्वारा उत्पन्न होता है।”

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व्यक्तित्व के प्रकार
Types of Personality

व्यक्तित्व के सन्दर्भ में अलग-अलग शिक्षाशास्त्रियों ने अपने विचार पृथक्-पृथक् प्रकट किये हैं, जिनका विवरण नीचे दिया जा रहा है-

(1) क्रेश्मर के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार

क्रेश्मर (Kreschmer) ने व्यक्तित्व के चार प्रकार बताये हैं-

1. पिकनिक (Picnic) – इस प्रकार के व्यक्ति साहसी, छोटे, पुष्ट और गोल आकृति के होते हैं।

2. एस्थेनिक (Asthenic) –इस प्रकार के व्यक्ति पतले, चपटे, गोल, कोमल शारीरिक गठन वाले, लम्बे अंग वाले, चपटे तथा तंग सीने वाले होते हैं।

3. एथलेटिक (Atheletic) -इस प्रकार के व्यक्ति अच्छी माँसपेशी वाले होते हैं। इनके कन्धे चौड़े, हाथ लम्बे और पुष्ट अंगों वाले होते हैं। मनोरोगी होने पर इस प्रकार के व्यक्ति मनोविदलता से पीड़ित हो सकते हैं।

4. डिस्प्लास्टिक (Dysplastic) – यह व्यक्ति अनुचित शारीरिक अनुपात वाले तथा विशेष शारीरिक गठन रखने वाले होते हैं। इस प्रकार के व्यक्तित्व के व्यक्तियों में शारीरिक विकास की अनेक असमान्यताएँ भी पायी जाती हैं।

केश्मर ने यह निष्कर्ष निकाला है कि एस्थेटिक तथा एथलेटिक शारीरिक रचना वाले व्यक्ति शर्मीले, अकेले रहने वाले तथा संवेदनशील होते हैं। वे सामाजिक सम्पर्कों से अलग रहते हैं। वे दिवास्वप्न में अपना अधिक समय बिताते हैं। संवेगात्मक रूप से दमित तथा समस्याओं के प्रति सैद्धान्तिक एवं आदर्शवादी होते हैं। पिकनिक प्रकार के व्यक्ति बातूनी,दयालु तथा सामाजिक सम्पर्क रखने वाले होते हैं।

(2) शेल्डन के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार

शेल्डन ने तीन प्रकार के व्यक्तित्व बताये हैं-

1. एण्डोमार्फिक (Andomarphic) – इस प्रकार के शारीरिक गठन वाले व्यक्ति गोल-मटोल तथा नरम होते हैं। ऐसे व्यक्ति आराम पसन्द, भावुक तथा सुख चाहने वाले होते हैं।

2. मेसोमार्फिक (Mesomarphic) – ऐसे व्यक्ति गठीले तथा मजबूत शरीर वाले होते हैं। यह व्यक्ति स्वभाव से क्रियाशील, शक्तिशाली तथ आक्रामक एवं फुर्तीले स्वभाव के होते हैं। इनमें उपलब्धि का स्तर उच्च होता है।

3. एक्टोमार्फिक (Ectomarphic) – इस प्रकार के गठन वाले व्यक्ति दुबले-पतले  तथा कमजोर शरीर वाले होते हैं। स्वभाव से संवेदनशील, नाजुक, बौद्धिक और पलायनवादी होते हैं।

(3) विलियम जेम्स के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार

विलियम जेम्स ने दो प्रकार के व्यक्ति बताये हैं-

1. कोमल हृदय वाले (Self minded) –इनका व्यवहार अमूर्त सिद्धान्तों के द्वारा निर्देशित होता है। ऐसे व्यक्ति बुद्धिजीवी, आशावादी, आदर्शवादी, आस्तिक तथा पूर्वाग्राही होते हैं।

2. कठोर हृदय वाले (Tough hearted) –ऐसे व्यक्ति विचारों की अपेक्षा शारीरिक संवेदनाओं में अधिक रुचि रखते हैं। ऐसे व्यक्ति भौतिकवादी, निराशावादी, अधार्मिक तथा संशयवादी होते हैं।

(4) न्यूमैन तथा स्टर्न के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार

न्यूमैन तथा स्टर्न ने व्यक्तित्व को दो भागों में वर्गीकृत किया है-

(1) विश्लेषणात्मक तथा (2) संश्लेषणात्मक।

विश्लेषणात्मक व्यक्ति किसी बात के सूक्ष्मतम अध्ययन में बड़ी रुचि रखते हैं,

संश्लेषणात्मक व्यक्ति समीक्षा करना प्राय: पसन्द नहीं करते।

(5) शेल्डन के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार

शैल्डन ने शारीरिक गुणों के आधार पर इसे तीन भागों में बाँटा है-

(1) कोमल एवं गोलाकार, (2) आयताकार तथा (3) लम्बाकार।

(6) युंग के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार

मनोविश्लेषणवादी युंग ने व्यक्तित्व को दो भागों में बाँटा है-

(1) अन्तर्मुखी (Introvert) तथा (2) बहिर्मुखी (Extrovert)।

1. अन्तर्मुखी व्यक्तित्व (Introvert personality)-ऐसा व्यक्ति चिन्तनशील होता है, अपनी ही ओर केन्द्रित रहता है, कर्त्तव्यपरायण होता है, प्रतिक्रियावादी होता है तथा कष्टों के प्रति सजग रहता है।

अन्तर्मुखी व्यक्तित्व की विशेषताएँ (Characteristics of introvert personality) –

अन्तर्मुखी व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

(1) बाह्य जगत की वस्तुओं से कम अनुराग होता है।

(2) वे एकांकी होते हैं।

(3) कर्त्तव्यपरायण होते हैं तथा समय का सदैव ध्यान रखते हैं।

(4) यह व्यवहार कुशल नहीं होते, हँसी मजाक एवं व्यर्थ के छलों आदि में नहीं फँसते। सस्ती लोकप्रियता के इच्छुक नहीं होते।

(5) युंग ने अन्तर्मुखी व्यक्तियों को विचार प्रधान, भाव प्रधान, तर्क प्रधान तथा दिव्यदृष्टि प्रधान चार रूपों में विभक्त किया जाता है।

(6) चिन्ताग्रस्त होते हैं, अपनी वस्तुओं तथा कष्टों के प्रति सजग होते हैं।

(7) भाव प्रधान होते हैं, आत्मचिन्तन करते हैं, आत्मोद्वार हेतु लीन होते देखे गये हैं।

(8) कर्त्तव्यपरायण एवं आज्ञाकारी होते हैं, परन्तु शीघ्र ही घबराने लगते हैं।

(9) कम वाचाल होते हैं, लज्जावान होते हैं और पुस्तकों एवं पत्र-पत्रिकाओं में रुचि लेते हैं।

(10) स्वयं के लिये चिन्तनशील होते हैं, शान्त मुद्रा में रहते हैं।

(11) अच्छे लेखक होते हैं, परन्तु अच्छे वक्ता नहीं, क्योंकि चिन्तन का धरातल प्रबल होता है। इनके उदाहरण हैं, जैसे-काण्ट, टैगोर, न्यूटन आदि।

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(12) ये प्राय: प्रतिक्रियावादी होते हैं। अपने विचारों को यथार्थ की ओर ले जाने में कोई श्रद्धा नहीं, परन्तु यथार्थ को अपने स्वभाव के अनुरूप ढालने का प्रयास करते हैं।

2. बहिर्मुखी व्यक्तित्व (Extrovert personality) -ऐसे व्यक्तित्व वाले व्यक्ति की रुचि बाह्य जगत में होती है। आध्यात्मिक विषयों में उसकी रुचि नहीं होती। इसकी निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

(1) इनमें कार्यकुशलता की मात्रा अन्तर्मुखी व्यक्ति से अधिक होती है।

(2) अचेतन मन स्वार्थी होता है, परन्तु चेतन मन में स्वार्थ के प्रति घृणा होती है।

(3) ये सबको प्रसन्न करने वाले होते हैं तथा प्रशंसकों से घिरे रहने की कामना करते हैं।

(4) व्यवहारकुशल होते हैं, विचार प्रधान होते हैं तथा निर्णय भी भावों के अनुरूप ही लेते हैं।

(5) साहस का कार्य करने वाले एवं कार्य के प्रति दृढ़ता का भाव रखने वाले होते हैं।

(6) शासन करने का स्वभाव होता है, कष्टों अथवा परेशानियों से घबराते नहीं हैं।

(7) आशावादी तथा परिस्थिति के अनुरूप अपने को ढालने वाले होते हैं।

(8) वातावरण के प्रभाव से शीघ्र प्रभावित होते हैं तथा वातावरण के साथ आसानी से अनुकूलन कर लेते हैं।

(9) आत्मचिन्तनशील नहीं होते, परन्तु सभी के विचारों के आधार पर अपना विचार प्रकट करते हैं।

(10) बाह्य जगत में लगाव रहता है, बाह्य क्रियाओं की ओर संवेदनशील होते हैं।

(11) अनियन्त्रित, अभिमानी तथा आक्रमक होते हैं।

(12) स्वयं की पीड़ा, परिस्थिति की चिन्ता नहीं करते, प्रायः चिन्तामुक्त होते हैं।

(13) सबसे मैत्रीपूर्ण व्यवहार करने वाले तथा धारा प्रवाह बोलने वाले होते हैं।

(14) संसार में उन्हें प्रशंसा मिले तथा लोग आदर की दृष्टि से देखें, यह उनकी आकांक्षा रहती है। इसे बनाये रखने हेतु वे सदैव अच्छे गुणों को व्यवहार में लाते हैं।

उभयमुखी व्यक्तित्व (Double faced personality) –कुछ ऐसे भी व्यक्ति होते हैं,जो दोनों का सम्मिश्रण होते हैं, उन्हें उभयोमुखी (Double-faced) या विकासोन्मुखी (Ambivert ) कहते हैं। उभयमुखी व्यक्तित्व में अन्तर्मुखी एवं बर्हिमुखी दोनों के गुण पाये जाते हैं।
उभयमुखी व्यक्ति परिस्थितियों के अनुसार अपने व्यक्तित्व को अन्तर्मुखी या बर्हिमुखी बना लेते हैं। इनका झुकाव दोनों ओर समान रूप से रहता है और परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

(7) व्यक्तित्व का आधुनिक वर्गीकरण

आधुनिक वर्गीकरण तीन प्रकार के व्यक्तित्व पर आधारित है-

(1) भावुक व्यक्ति (Men of feelings) -ये व्यक्ति अधिक भावुक होते हैं। इनकी क्रियाएँ भावनाओं से संचालित होती हैं।

(2) कर्मशील व्यक्ति (Men of actions) – इन व्यक्तियों की रुचि रचनात्मक कार्यों में अधिक होती है। अतः ये व्यक्ति हर समय अपने को किसी न किसी रचनात्मक कार्य में लगाये रखते हैं।

(3) विचारशील व्यक्ति (Men of thoughts) -ये व्यक्ति उच्चकोटि के विचारक होते हैं। ये लोग किसी कार्य को करने से पूर्व भली-भाँति सोच-विचार करते हैं।

व्यक्तित्व के तत्त्व या गुण
(Factors or Trais of Personality)

व्यक्तित्व की परिभाषा के आधार पर व्यक्तित्व के समस्त गुणों का गत्यात्मक संगठन है। ये गुण निम्न हो सकते हैं –

(i) भौतिक गुण (Physical Traits)
(ii) मानसिक गुण (Mental Traits)
(iii) सामाजिक गुण (Social Traits)
(iv) उपरोक्त तीनों गुणों में सशक्तता (Forcefulness)

                                        निवेदन

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