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निपात की परिभाषा एवं प्रकार / निपात के भेद प्रयोग और उदाहरण
Nipat ki paribhasha aur prakar / निपात के भेद प्रयोग और उदाहरण
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निपात या अवधारक की परिभाषा / निपात किसे कहते हैं
निपात या अवधारक वे पद हैं, जिनका कोई स्वतंत्र अर्थ नहीं होता है। फिर भी वे वाक्य में किसी शब्द या पद के बाद प्रयुक्त होकर वाक्य में एक विशेष बल या अवधारणा को व्यक्त करते हैं।
जैसे– हाँ, जी, जी हाँ, जी नहीं, भी, ही, तो, तक, बार, मार,मत, क्या, न, सा, काश, तक, भर, केवल, मात्र, सिर्फ,ठीक, लगभग, करीब, जितना, और भी, फिर भी, पर भी,जैसे भी, सिर्फ इत्यादि ।
ये अवधारक इसलिए कहे जाते हैं, क्योंकि ये अति लघु और अस्थिर स्थान वाले होने के बावजूद भी पूरे वाक्य के कथ्य को अकेले ही प्रभावित करते हैं।
जैसे– आप आइएगा न!
हाँ तो!
निपात की विशेषताएँ
1. निपात नये भाव को प्रकट करने के लिए प्रयुक्त होते हैं।
2. निपात सहायक शब्द होते हुए भी वाक्य का अंग नहीं होते हैं।
3. वाक्यों में निपात के प्रयोग से उस वाक्य का समग्र अर्थ व्यक्त होता है।
4. निपात के लिंग और वचन नहीं होते हैं।
5. निपात का प्रयोग अव्ययों के लिए होता है।
निपात का कार्य
1. प्रश्न करने में प्रयोग
2. किसी शब्द पर बल देने के लिए प्रयोग
3. अस्वीकृति प्रकट करने में प्रयोग
4. विस्मय प्रकट करने में प्रयोग
निपात के प्रकार एवं उनके उदाहरण
(1) स्वीकृति बोधक – हाँ,जी,जी हाँ, हाँ जी आदि
उदाहरण – हाँ, आप आ जाइए।
जी, मैं सुन रहा हूँ।
जी हाँ, मैं बोल रहा हूँ।
हाँ जी, बोलिये।
(2) नकारात्मक – न,नहीं,जी नहीं आदि
उदाहरण – न पहले आप सुनिए।
नहीं, आप नहीं जायेंगे।
जी नहीं, आज मैं नहीं मिल सकता।
(3) निषेधात्मक – मत
उदाहरण – यहाँ मत आओ।
(4) प्रश्नबोधक – क्या,न आदि
उदाहरण – आप आयेंगे, क्या?
तुम पढ़ते हो, न?
(5) तुलनाबोधक – सा
उदाहरण – बच्चों-सा उछलना अब ठीक नहीं।
(6) आदरबोधक – जी
उदाहरण – जी में ही कर दूंगा।
(7) विस्मयादिबोधक – काश
उदाहरण – काश! मैं उससे मिल पाता।
(8) सीमावाचक – तक,भर,केवल,मात्र आदि
उदाहरण – मैं उसकी ओर देखता तक नहीं।
मैंने उसे देखा भर था।
केवल तू आ जा ।
मात्र दस दिन रहा था।
(9) बलार्थ – ही,भी
उदाहरण – उसे मरना ही था।
मुझे भी पता है।
निपातों के कहने की भंगिमा या तरीके के साथ अनेकार्थक और
विविध प्रयोग होते हैं; जैसे- क्या का प्रयोग-
1. क्या तुम आओगे? ( प्रश्न को तीक्ष्ण बनाता क्या। )
2.तुम क्या आओगे। ( यानी तय है कि तुम नहीं आओगे। )
3. तुम आओगे क्या? (आने के सम्बंध में तुम्हारी क्या योजना है?)
4. वाह, क्या पुस्तक है। ( विस्मयकारी विशेषताओं से युक्त। )
अवधारक या निपात की अपनी विशेषता होती है, क्योंकि ये पारंपरिक अर्थगत् अवधारणाओं के बंधन से बड़ी आसानी से अपने को मुक्त कर सर्वथा नवीन और प्रसंगानुकूल व्यंजना प्रस्तुत करते हैं। क्या, न, हाँ आदि के अपने पारंपरिक अर्थ हैं, परंतु निपात के रूप में वे उन अर्थों की सीमा तोड़ डालते हैं; जैसे-
1. तुम अभी खा लो न! ( आदेशात्मक – अनुरोधात्मक )
2. अच्छा खाता हूँ न! ( अवकाश याचनामूलक स्वीकृति )
3. आइएगा न? ( स्वीकृति याचनामूलक )
★★★ निवेदन ★★★
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