प्रत्यय किसे कहते हैं / प्रत्यय के प्रकार एवं उदाहरण

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प्रत्यय किसे कहते हैं / प्रत्यय के प्रकार एवं उदाहरण

प्रत्यय किसे कहते हैं / प्रत्यय के प्रकार एवं उदाहरण

प्रत्यय की परिभाषा

वह शब्दांश (अव्यय), जो किसी अन्य शब्द या धातु के पीछे (अन्त
में) जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन कर नये शब्दों की रचना करता
प्रत्यय कहलाता है; जैसे-
समाज + इक = सामाजिक
सुगन्ध + इत = सुगंधित
भूलना + अक्कड़ = भुलक्कड़
मीठा + आस = मिठास

अतः प्रत्यय लगने पर शब्द एवं शब्दांश में सन्धि नहीं होती
बल्कि शब्द के अन्तिम वर्ण में मिलने वाले प्रत्यय के स्वर की
मात्रा लग जायेगी, व्यंजन होने पर वह यथावत् रहता है; जैसे-

लोहा + आर = लुहार
नाटक + कार = नाटककार

प्रत्यय को न तो सार्थक खण्डों में विभक्त किया जा सकता है और
न ही स्वतंत्र रूप में प्रयोग किया जा सकता है। शब्दों में प्रत्ययों
के योग से संज्ञा, विशेषण, क्रिया विशेषण आदि शब्दों का
निर्माण होता है।

प्रत्यय के प्रकार

प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं- (i) कृदन्त प्रत्यय (ii) कृदन्त प्रत्यय

1. कृदन्त प्रत्यय

वह प्रत्यय, जो क्रिया या धातु के अन्त में जुड़कर उसके अर्थ में
परिवर्तन कर देता है, वह कृदन्त प्रत्यय कहलाता है। कृदन्त प्रत्यय को धातु नाम या क्रियावाचक शब्द भी कहा जाता है; जैसे- बनावट,
चलनसार, त्यागी, बचत आदि।

कृदन्त प्रत्यय के प्रकार

कृदन्त प्रत्यय छः प्रकार के होते हैं-

(i) भाववाचक कृदन्त
(ii) कर्मवाचक कृदन्त
(iii) कर्तृवाचक कृदन्त
(iv) करणवाचक कृदन्त
(v) कर्तृवाचक कृदन्तीय विशेषण
(vi) क्रियाद्योतक कृदन्तीय विशेषण

(i) भाववाचक कृदन्त प्रत्यय

वह कृदन्त शब्द, जो क्रिया से
भाववाचक सज्ञा का निर्माण करता हो, भाववाचक कृदन्त प्रत्यय
कहलाता है; जैसे-
आ – घाटा, गुजारा
आन – मिलान, लदान
आव – घुमाव, चुनाव
इया – बढ़िया, घटिया
औनी – कमौनी, गवौनी
ती – घटती, बढ़ती
न – पुरातन उद्घाटन
र – ठोकर, जोकर
हट – आहट, चिल्लाहट
आई – भलाई, लड़ाई
आप – मिलाप, विलाप
आस – विकास, प्यास
ई – पढ़ाई लिखाई
त – बचत, खपत
न्नी – चलन्नी, गिरन्ती
नी – मरनी, भरनी
वट – लिखावट, सजावट

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(ii) कर्म वाचक कृदन्त प्रत्यय

वह कृदन्त प्रत्यय जो कर्म के अर्थ
को प्रकट करता है, कर्मवाचक कृदन्त प्रत्यय कहलाता है; जैसे-

औना – खिलौना, बिछौना
ना – खाना, गाना
आना – पढ़ाना, लिखाना
आवत – कहावत, महावत
औनी – मिचौनी
नी – चटनी, जननी

(iii) करणवाचक कृदन्त प्रत्यय

वह कृदन्त प्रत्यय जो क्रिया के
कारण को बताता है, करणवाचक कृदन्त प्रत्यय कहलाता है;
जैसे-
आ – झूला, घेरा
ऊ – झाड़ू
ना – ओढ़ना, घोटना
ई – फाँसी, खांसी
न – बेलन, झाड़न

(iv) कर्तृवाचक

वे प्रत्यय, जो कर्त्तावाचक शब्द बनाते हैं, जैसे-
अक – लेखक, नायक, गायक, पाठक
अक्कड़ – भुलक्कड़, घुमक्कड़, पियक्कड़, कुदक्कड़
आक – तैराक, लड़ाक
आलू – झगड़ालू
आकू – लड़ाकू
इयल – अड़ियल, मरियल, सड़ियल
यल – अड़ियल, मरियल
एरा – लुटेरा, बसेरा, डाकिया, नौसिखिया
ऐया – गवैया
ओड़ा – भगोड़ा, चटोरा, कठफोड़ा
ता – दाता
ऐत – डकैत, दंगैत, लरछैत, भलैत/लठैत
औता/औती – कसौटी, चुकौता, चुनौती
औना/औनी – खिलौना, मिचौनी
वाला – करनेवाला, कहनेवाला
अ – चर्-चर, सृप्-सर्प
अन – नंदन, पावन
इन् – आरक्षी, त्यागी
विद्/वेत्ता (पंडित, विशेषज्ञ) – इतिहासविद्, कलाविद्

(v) क्रियाद्योतक कृदन्तीय विशेषण

वह कृदन्त शब्द, जिसके
द्वारा क्रिया का बोध होता है, क्रियाद्योतक कृदन्तीय विशेषण
कहलाता है; जैसे-

ना – झरना, पालना
औना – बिछौना, खिलौना
औनी – मिचौनी
आवनी – छावनी, उठावनी
का – छिलका
की – डुबकी, फिरकी
आ – दाना, मुकाबिला, रिहा
इंदा – आइन्दा बाशिन्दा, परिन्दा
ई – आमदनी
इश – कोशिश, ख्वाहिश, परवरिश

2. तद्धित प्रत्यय

वह शब्द, जो धातुओं को छोड़कर शेष सभी शब्दों (संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण) के पीछे (अन्त में) प्रत्यय लगाने से बनते हैं, तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं; जैसे-
लूटना – लूट
पहुँचना – पहुँच
समझना – समझ

हिन्दी के तद्धित रूप तद्भव तथा देशज शब्दों के अन्त में प्रत्यय
जुड़कर बनते हैं।

हिन्दी में तद्धित प्रत्यय के प्रकार

हिन्दी में तद्धित प्रत्यय मुख्यतः छः प्रकार के हैं-
(i) भाववाचक
(ii) कर्तृवाचक
(iii) गुणवाचक
(iv) ऊनतावाचक
(v) स्थानवाचक
(vi) स्त्रीवाचक

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(i) भाववाचक तद्धित प्रत्यय

वह प्रत्यय, जो संज्ञा, सर्वनाम या
विशेषण के साथ जुड़कर भाववाचक संज्ञा का निर्माण करता है,
भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहलाता है; जैसे-
आ – जोड़ा, बोझा
आइंद – सड़ाइद
आई – भलाई, बुराई
आन – घमासान
आयत – बहुतायत, पंचायत
आवट – मिलावट, घिसावट
आस – मिठास, खटास
आहट – गरमाहट, चिकनाहट
औती – चुनौती, बपौती
त – चाहत, रगत
कौशल, गुरू-गौरव
एकांतर, मध्यांतर
तार्किक, वैदिक
ती – बढ़ती, घटती
पन – लड़कपन, पागलपन, अधापन, उपजाऊपन
पा – बुढ़ापा, मोटापा
इमा – अग्रिमा, कालिमा
ता – अधिकता, आवश्यकता
स – आपस,तमस
अ (कुशल) – कौशल, गुरु गौरव
इक – तार्किक, वैदिक
इकी – उद्योग-औद्योगिकी, भूत-भौतिकी,
ई – क्रोधी, रोगी, किसानी, खेती
त्व – अमरत्व, अस्तित्व

(ii) कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय

वह प्रत्यय, जो किसी संज्ञा, सर्वनाम
या विशेषण में जुड़कर कर्त्तावाचक शब्द का निर्माण करता हो,
कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाता है; जैसे-
आर – सुनार, लुहार
इया – रसोइया, मुखिया
ई – नर्तकी, तेली
उआ – मछुआ, टहलुआ
एरा – सँपेरा, ठठेरा
वाला – चायवाला, सब्जीवाला
हार – मनिहार, पनिहार
हारा – लकड़हारा, चुड़िहारा

(iii) गुणवाचक तद्धित प्रत्यय

वह प्रत्यय, जिसे किसी शब्द में
लगाने से किसी पदार्थ के गुण का बोध (अर्थात् विशेषण रूप में
परिणत हो जाय) हो, गुणवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाता है; जैसे-
आ – भूखा, झूठा
आर – गँवार, दुधार
आल – भठियाल, लठियाल
आऊ – बटाऊ, धराऊ
इक – कार्मिक, धार्मिक
ई – भारी, धनी
ईला – खर्चीला, गर्वीला
उआ – मछुआ, फगुआ
ऊ – पेटू, गरजू
ऐल – खपरैल, दुधैल
ला – लाडला, अगला
पन्त – गुणवन्त, शीलवन्त
हरा – सुनहरा, इकहरा
हला – सुनहला, रूपहला

(iv) ऊनतावाचक तद्धित प्रत्यय

वह प्रत्यय, जिसे किसी शब्द में
लगाने से किसी पदार्थ की तुलनात्मक दृष्टि से न्यूनता (कम)
प्रकट होती है, ऊनतावाचक तद्धित प्रत्यय कहलाता है; जैसे-
इया – खटिया, डिबिया
ई – घाटी, पहाड़ी
की – कनकी, टिमकी
टा – कलूटा, चोट्टा
टी – चोटी, कलूटी
ड़ी – टॅगड़ी, पँखड़ी
ड़ा – चमड़ा, मुखड़ा
री – छतरी, टोकरी
वा – बचवा, बिरवा
सा – लालसा, एकसा

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(v) स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय

वह प्रत्यय, जिसके किसी शब्द
में जुड़ने से संज्ञा (स्थान विशेष) सूचक शब्द बन जाता है,
स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाता है, जैसे-
आना – तेलंगाना राजपूताना
आड़ी – अगाड़ी, पिछाड़ी
इया – कानौजिया, बम्बईया

(vi) स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय

वह प्रत्यय, जो किसी संज्ञा,
सर्वनाम या विशेषण में लगकर उनके स्त्रीलिंग का बोध करता
हो स्त्रीवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाता हैं; जैसे-
आनी – देवरानी, नौकरानी
इन – नागिन, मालकिन
नी – मोरनी, सिंहनी
इया – बुढ़िया, बंदरिया
ई – नानी, मामी

उर्दू तद्धित प्रत्यय

हिन्दी की उदारता के कारण उर्दू के कुछ प्रत्यय हिन्दी में भी प्रयुक्त होने लगे है; जैसे-

अंदाज – तीरंदाज, नजरंदाज
आबाद – इलाहाबाद, गाजियाबाद
ची – खजाँची, तोपची
आनह, आना – जुर्माना, दस्ताना
इन्दा – कारिन्दा, शर्मिंदा
इयत – असलियत, इंसानियत
इस्तान, स्तान – पाकिस्तान, हिन्दुस्तान
ई – इंसानी, दश्मनी
ईना – कमीना, महीना
कार – सलाहकार, पेशकार
बाज – चालबाज, दगाबाज
वान – गाड़ीवान, दरवान
बीन – तमाशबीन, दूरबीन
वार – उम्मीदवार, माहवार
चा, इचा – चमचा, बगीचा
खोर – चुगलखोर, सूदखोर
गर (वाला) – बाजीगर, जादूगर
गार (वाला) – गुनाहगार, मददगार, यादगार
गाह (स्थान) – ईदगाह, बन्दरगाह
गी – जिन्दगी, बन्दगी
गीर – जहाँगीर, आलमगीर
त – जरूरत, रहमत
दार – खुशबूदार, चकमदार
नशीन – परदानशीन, तख्तनशीन
नाक – खतरनाक, दर्दनाक
नामा – वसीयतनामा, इकरारनामा
बंद – कमरबंद, हथियारबंद
वर (वाला) – ताकतवर, हिम्मतवर
मंद (वाला) – अक्लमंद, जरूरतमंद

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