संज्ञा की परिभाषा एवं प्रकार / संज्ञा के भेद प्रयोग और उदाहरण

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संज्ञा की परिभाषा एवं प्रकार / संज्ञा के भेद प्रयोग और उदाहरण

संज्ञा की परिभाषा एवं प्रकार / संज्ञा के भेद प्रयोग और उदाहरण

संज्ञा की परिभाषा / Noun in hindi

परिचय – संज्ञा का शाब्दिक अर्थ है-‘सम् + ज्ञा’ अर्थात् सम्यक् ज्ञान कराने वाला। अतः किसी भी वस्तु, व्यक्ति,गुण, भाव, स्थिति का परिचय कराने वाले शब्द को ‘संज्ञा’ कहते हैं। संज्ञा का दूसरा पर्याय है-नाम । अतः किसी भी व्यक्ति, वस्तु, स्थिति या गुण के नाम को संज्ञा कहा जाता है।

संज्ञा की पहचान

संज्ञा को निम्नलिखित लक्षणों से पहचाना जा सकता है-

1. कुछ संज्ञा शब्द प्राणिवाचक होते हैं और कुछ अप्राणिवाचक।
प्राणिवाचक संज्ञाएँ-जैसे लड़का, कबूतर, मनुष्य, रमेश, कांता आदि।
अप्राणिवाचक संज्ञाएँ-जैसे-पुस्तक, घर, जहाज, नदी, कंकड़ आदि ।

2. कुछ संज्ञा शब्द गणनीय होते हैं और कुछ अगणनीय।
गणनीय संज्ञाएँ-जैसे-अमरूद, युवक, कलम आदि।
अगणनीय संज्ञाएँ जैसे दूध, हवा, प्रेम आदि ।

3. संज्ञा पद वाक्य में कर्ता, कर्म या पूरक की भूमिका निभाते हैं। जैसे-
मोहन पढ़ रहा है। (कर्ता के रूप में)
राम अमरूद खा रहा है। (कर्म के रूप में)
श्याम अफसर है। (पूरक के रूप में)

4.संज्ञा पद के बाद परसर्ग (ने, को, से, में, पर आदि) आ सकते हैं। जैसे-मोहन ने, फल को, चम्मच से, थाली में, छत पर

5.संज्ञा शब्द से पहले विशेषण का प्रयोग हो सकता है। जैसे-
मीठा आम, लाल कुर्ता, चाँदनी रात, सुंदर नारी में, मीठा, लाल, चाँदनी और सुंदर क्रमशः आम, कुर्ता, रात और नारी (संज्ञा) के विशेषण हैं।

संज्ञा के विकारक तत्व

(noun )संज्ञा में तीन प्रकार से विकार उत्पन्न होते हैं जिन तत्वों के आधार पर संज्ञा (संज्ञा,सर्वनाम,विशेषण) का रूपांतर होता है, वे विकारक तत्व कहलाते हैं।  यह विकार लिंग वचन और कारक के कारण ही होता है। अतः संज्ञा के तीन विकारक तत्व होते है :– (1) लिंग (2) वचन (3) कारक

संज्ञा के प्रकार || संज्ञा के भेद | sangya ke prakar

(1) व्युत्पत्ति के आधार पर संज्ञा के प्रकार

(a) रूढ़ संज्ञा
(b) यौगिक संज्ञा
(c)  योगरूढ़ संज्ञा

(2) रचना के आधार पर संज्ञा के प्रकार

(a) व्यक्तिवाचक संज्ञा
(b) जातिवाचक संज्ञा
(c) भाववाचक संज्ञा

जाति वाचक संज्ञा के अंतर्गत द्रव्यवाचक संज्ञा या पदार्थवाचक संज्ञा और समूह वाचक संज्ञा या समुदाय वाचक संज्ञा आती हैं।

NOTE –

(1)संज्ञा के मूल प्रकार 3 हैं – व्यक्तिवाचक संज्ञा,  जातिवाचक संज्ञा, भाववाचक संज्ञा आदि।

(2) संज्ञा के प्रकार 5 हैं – व्यक्तिवाचक संज्ञा,  जातिवाचक संज्ञा, द्रव्यवाचक संज्ञा,समूहवाचक संज्ञा , भाववाचक संज्ञा आदि।

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(3) अंग्रेज़ी भाषा के अनुसार संज्ञा के 2 प्रकार हैं – गणनावाचक संज्ञा और अगणनावाचक संज्ञा ।

संज्ञा के भेद / संज्ञा के प्रकार

संज्ञा के तीन भेद माने जाते हैं-

1. व्यक्तिवाचक संज्ञा

जो शब्द किसी विशेष व्यक्ति विशेष वस्तु, विशेष स्थान या विशेष प्राणी के नाम का बोध कराते हैं, उन्हें व्यक्तिवाचक कहते हैं। जैसे- गौतम बुद्ध, जवाहरलाल नेहरू, सीता, संतोष, प्रियंक, सुरभि (व्यक्तियों के नाम) ऐरावत (हाथी), कपिला (गाय), सोना (हिरनी) (प्राणियों के नाम) दिल्ली, अमेरिका, भारत, मद्रास, आसाम (स्थानों के नाम) कावेरी, रामायण, कुरान, नीलगिरि (वस्तुओं के नाम)

आइये जानते हैं व्यक्तिवाचक संज्ञा के अन्य रूप

व्यक्तियों के नाम – राम, मोहन, रोहित आदि।

दिशाओं के नाम – पूरब, पश्चिम, उत्तर,दक्षिण  ।

देशों के नाम –अमेरिका, रूस,भारत, भूटान  ।

नदियों के नाम –गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा ।

समुद्रों के नाम – हिंद महासागर, अरब सागर ।

दिनों के नाम – सोमवार,मंगलवार,बुधवार……।

महीनों के नाम – मई, जून,जुलाई ……… ।

त्योहारों के नाम – होली, दीवाली, ईद,रक्षाबंधन ।

नगरों, चौकों, सड़कों के नाम – मेरठ, आगरा, सदर चौक,गांधी मार्ग ।

पुस्तकों तथा समाचार पत्रों के नाम – महाभारत, गीता, बाइबिल, कुरान, दैनिक जागरण आदि।

2. जातिवाचक संज्ञा

जो शब्द किसी प्राणी, पदार्थ या समुदाय की पूरी जाति का बोध कराते हैं, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-मनुष्य, नर, नारी, ग्रंथ, पर्वत, कुत्ता, हाथी, फल, नगर, प्रांत, देश, नदी, झरना आदि। ये सब शब्द पूरी जाति के परिचायक हैं, किसी एक मनुष्य, एक नर, एक ग्रंथ या एक प्रांत के नहीं।

जानते हैं जातिवाचक संज्ञा के अन्य रूप

प्राणी – मनुष्य,महिला,पुरुष,बच्चा,युवक,किशोर )

वस्तु – मेज,कुर्सी,पुस्तक,कप,प्लेट ।

स्थान – मैदान,भवन,रेगिस्तान,जंगल,शहर,गांव ।

पशु – पक्षी – घोड़ा, गाय, तोता, कबूतर ।

प्राकृतिक तत्व – नदी,पहाड़,पर्वत,तूफान,बिजली,वर्षा, भूकंप ।

सम्बन्धी – बहन,भाई,पिता,मामा ।

व्यवसाय,पद,कार्य – जुलाह,मंत्री,ठग,शिक्षक,राज्यपाल,लेखक ।

जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत द्रव्यवाचक तथा समूहवाचक संज्ञाएँ भी सम्मिलित हैं।

द्रव्यवाचक संज्ञा – वह शब्द (संज्ञा) जिसके माध्यम से किसी द्रव्य (पदार्थ) का बोध होता है, जिसे मापा या तौला जा सके परंतु गणना न की जा सके, द्रव्यवाचक संज्ञा कहलाता है; जैसे- धातुओं या खनिजों के नाम (लोहा, सोना, चाँदी आदि), खाद्य पदार्थों के नाम (दूध, पानी, घी आदि) ।

समूहवाचक संज्ञा-जिस शब्द से किसी समूह या समुदाय का ज्ञान होता है, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे- सेना, कक्षा, परिवार, झुंड, भीड़, जुलूस, श्रृंखला आदि।

समुदायवाचक संज्ञा के उदाहरण (शब्द) 

(1) सेना  (2) भीड़ (3) जनता (4) कक्षा (5) सभा
(6) झुंड (7) गुच्छा (8) गोष्ठी (9) समिति (10) परिवार
(11) पुस्तकालय (12) दल (13) बाजार (14) ढेर

NOTE – समूहवाचक संज्ञा का प्रयोग सदैव एकवचन में होता है।

3. भाववाचक संज्ञा

किसी गुण, दशा, कार्य, भाव या स्वभाव का बोध कराने वाले शब्दों को भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-
गुण-दोष – चीड़ाई, लंबाई, सुंदरता, कुरूपता, चतुरता
दशा – बुढ़ापा, यौवन, प्यास
भाव – आशा, स्वार्थ, शत्रुता, क्रोध, शांति
कार्य – सहायता प्रशंसा सलाह।

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नोट – कुछ संज्ञाएँ मूल रूप से ही भाववाचक होती हैं, जैसे-प्रेम, घृणा, सत्य, झूठ, सुख, दुख, करुणा आदि।

संज्ञाओं का प्रयोग ( एक संज्ञा का दूसरी संज्ञा के रूप में )

(1) व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक के रूप में प्रयोग

कई बार कोई व्यक्तिवाचक संज्ञा जातिवाचक के रूप में प्रयुक्त होने लगती है।

जैसे– विभीषणों से बचो।
इन्हीं जयचंदों के कारण देश पराधीन हुआ।

यहाँ ‘विभीषण’, ‘जयचंद’ क्रमशः ‘घरभेदियों तथा ‘गद्दारों’ के लिए प्रयुक्त हुए हैं।

(2) जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक रूप में प्रयोग

कई बार जातिवाचक संज्ञा का प्रयोग किसी व्यक्ति विशेष के लिए होने लगता है।

उदाहरणतया- उन दिनों पंडित जी देश के प्रधानमंत्री थे।
महात्मा जी ने अहिंसात्मक आंदोलन का पक्ष लिया।
शास्त्री जी भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री थे।

यहाँ ‘पंडित जी’ सभी पंडितों के लिए न प्रयुक्त होकर पंडित नेहरू के लिए प्रयुक्त हुआ है। ‘महात्मा जी’ महात्मा गाँधी के लिए तथा ‘शास्त्री जी’ लालबहादुर शास्त्री के लिए प्रयुक्त हुआ है।

(3) भाववाचक संज्ञा का जातिवाचक रूप में प्रयोग

जब भाववाचक संज्ञा बहुवचन में प्रयुक्त होती है तो वह जातिवाचक रूप धारण कर लेती है।

उदाहरण –
बुराई से बुराइयां – बुराइयों से बचो।
दूरी से दूरियाँ –  जाने कब हम दोनों के बीच दूरियाँ बढ़ गई।

संज्ञा के रूपांतरण (लिंग, वचन और कारक में सम्बंध )

संज्ञा विकारी शब्द है। विकार शब्दरूपों को परिवर्तित अथवा
रूपांतरित करता है। संज्ञा के रूप लिंग, वचन और कारक
चिह्नों (परसर्ग) के अनुसार परिवर्तित होते हैं।

लिंग के अनुसार

लिंग के आधार पर संज्ञाओं का रूपांतरण-
लड़का पढ़ता है- लड़की पढ़ती है।
इन वाक्यों में लड़का पुल्लिंग, जबकि लड़की स्त्रीलिंग है।

वचन के अनुसार

वचन के आधार पर संज्ञाओं का रूपांतरण-
लड़की पढ़ती है- लड़कियाँ पढ़ती है।
इन वाक्यों में लड़की एक के लिए और लड़कियाँ शब्द एक
से अधिक के लिए प्रयोग हुआ है।

कारक के विभक्ति चिह्नों के अनुसार

कारक के विभक्ति चिह्नों के आधार पर संज्ञाओं का रूपांतरण-
लड़के ने खाना खाया।
लड़का खाना खाता है
इन वाक्यों में लड़का खाता है, में लड़का पुल्लिंग एकवचन है।
और लड़के ने खाना खाया में भी लड़के पुल्लिंग एकवचन है, परन्तु
दोनों के रूप में भेद है। इस रूपांतर का कारण कर्त्ता कारक का चिह्न
ने है, जिससे एकवचन होते हुए भी लड़के रूप हो गया है।
बिना कारक चिह्न के लड़के खाना खाते हैं।
कारक चिह्नों के साथ – लड़कों ने खाना खाया।

भाववाचक संज्ञाओं की रचना

भाववाचक संज्ञाएँ रूढ़ भी होती हैं तथा निर्मित भी । निर्मित भाववाचक संज्ञाएँ पाँच प्रकार के शब्दों से बनती हैं-
नीचे कुछ महत्त्वपूर्ण भाववाचक संज्ञाएँ दी जा रही हैं-

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(1) व्यक्तिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना

शिव – शिवत्व
गांधी – गांधीवाद
हिटलर – हिटलरशाही
मार्क्स – मार्क्सवाद

(2) जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना

मनुष्य – मनुष्यत्व,मनुष्यता
शिशु – शिशुता,शिशुत्व
नेता – नेतृत्व
युवा – यौवन
व्यक्ति – व्यक्तित्व
लड़का – लड़कपन
चित्रकार – चित्रकारी
भक्त – भक्ति
मित्र – मित्रता
संस्कृति – संस्कार
पिता – पितृत्व
जवान – जवानी
ठग – ठगी
चिकित्सक – चिकित्सा
चोर – चोरी
किशोर – कैशोर्य
भाई – भाईचारा
युवक – यौवन

(3) सर्वनामों से भाववाचक संज्ञा बनाना

अहं – अहंकार
स्व – स्वत्व
आप – आपा
अपना – अपनापन
सर्व – सर्वस्व
मम – ममता,ममत्व
निज – निजता,निजत्व
पराया – परायापन

(4) विशेषणों से भाववाचक संज्ञा बनाना

अच्छा – अच्छाई
कड़वा – कड़वाहट
चतुर – चतुराई
गदा – गंदगी
मैला – मैल
सफ़ेद – सफ़ेदी
मधुर – माधुर्य,मधुरता
सुंदर – सौंदर्य, सुंदरता
काल – कालिमा, कालिख
लाल – लालिमा,ललाई
हरा – हरियाली
महंगा – मंहगाई
आलसी – आलस्य
अमर – अमरता
उपयोगी – उपयोगिता
कंजूस – कंजूसी
कायर – कायरता
एक – एकता
चौड़ा – चौड़ाई
दुष्ट – दुष्टता
बुद्धिमान – बुद्धिमत्ता
मुक्त – मुक्ति
हिंसक – हिंसा

(5) क्रियाओं से भाववाचक संज्ञा बनाना

लिखना – लेख
चुनना – चुनाव
लगना – लगन
फैलाना – फैलाव
धोना – धुलाई
लड़ना – लड़ाई
पहुँचना – पहुँच
जीतना – जीत
देखना – दिखावा
पढ़ना – पढ़ाई
कहना – कथन
थकना – थकावट
जीतना – जीत
बुनना – बुनावट
खेलना – खेल
फैलना – फैलाव
हँसना –हँसी
झुंझलाना – झुंझलाहट
काटना – कटाई
उभरना – उभार
उड़ना – उड़ान

(6) अव्ययों से भाववाचक संज्ञा बनाना

शीघ्र – शीघ्रता
निरंतर – निरंतरता
शाबाश – शाबाशी
दूर – दूरी
ऊपर – ऊपरी
समीप – समीपता
निकट – निकटता
मना – मनाही
नीचे – निचाई






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