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सर्वनाम की परिभाषा एवं प्रकार / सर्वनाम के भेद प्रयोग और उदाहरण
definition and types of pronoun / सर्वनाम के भेद प्रयोग और उदाहरण
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सर्वनाम का अर्थ है-सबका नाम अर्थात् जो शब्द सबके नामों के स्थान पर प्रयुक्त होते हैं या हो सकते हैं,उन्हें सर्वनाम कहते हैं। दूसरे शब्दों में संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं।
सर्वनामों की उपयोगिता-सर्वनाम भाषा को सहज, सुंदर और सुविधाजनक बनाते हैं। उदाहरण के लिए, सर्वनाम केबबिना भाषा की स्थिति देखिए-
मोहिनी स्कूल गई है। स्कूल से आते ही मोहिनी मोहिनी की सखी के साथ घर जाएगी। फिर मोहिनी मोहिनी का और सखी सखी का काम करेगी। फिर मोहिनी और सखी खेलेंगी। तब मोहिनी घर लौटेगी।
यह वाक्य कितना अटपटा, अनगढ़ और असुंदर है। अब सर्वनामों से युक्त वाक्य देखिए- मोहिनी स्कूल गई है। वहाँ से आते ही वह अपनी सखी के साथ उसके घर जाएगी। फिर दोनों अपना-अपना काम करेंगी। फिर दोनों खेलेंगी। तब मोहिनी घर लौटेगी।
सर्वनाम के भेद (Kinds of Pronoun)
सर्वनाम के निम्नलिखित छः भेद हैं-
1. पुरुषवाचक सर्वनाम (Personal Pronoun )
2. निश्चयवाचक सर्वनाम (Demonstrative Pronoun )
5. अनिश्चयवाचक सर्वनाम (Indefinite Pronoun)
4. प्रश्नवाचक सर्वनाम (Interrogative Pronoun)
5.संबंधवाचक सर्वनाम (Relative Pronoun)
6. निजवाचक सर्वनाम (Reflexive Pronoun)
1. पुरुषवाचक सर्वनाम (Personal Pronoun)
किसी भी प्रसंग में वक्ता के सामने तीन प्रकार के पुरुष (व्यक्ति) आते हैं। पहला वह स्वयं । दूसरा सुनने वाला। तीसरा कोई अन्य व्यक्ति, जिसके बारे में बातचीत हो रही हो। हिंदी में इन्हें क्रमशः उत्तम पुरुष सर्वनाम, मध्यम पुरुष सर्वनाम और अन्य पुरुष सर्वनाम कहा जाता है।
(क) उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम (First Person)-बोलने वाला और लिखने वाला (वक्ता या लेखक) अपने से संबंध रखने वाले जिन सर्वनामों का प्रयोग करता है, वे उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। जैसे- मैं, मेरा, हम, हमारा, मुझको, हमको, मैंने, हमने, मुझे, हमें।
(ख) मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम (Second Person)-वक्ता या लेखक सुनने वाले अथवा पढ़ने वाले के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग करता है, उन्हें मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे- तू, तुम, तेरा, तुम्हारा, तुझको, तुमको, तुझे, तुम्हें, आपको, अपने आदि।
(ग) अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम (Third Person)-वक्ता या लेखक सुनने या पढ़ने वालों के अलावा अन्य व्यक्तियों के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग करता है, उन्हें अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे- वह, वे, उसे, उन्हें आदि।
नोट – (1) आप, तू-हिंदी में ‘आप’ का प्रयोग या तो निजवाचक के रूप में (स्वयं के लिए) होता है; या आदरार्थक मध्यम पुरुष के लिए होता है। जैसे – आइए, आप यहाँ बैठिए।
(2) किंतु कहीं कहीं ‘आप’ का प्रयोग आदरार्थक अन्य पुरुष के लिए भी होता है। यथा- ‘गाँधी जी सच्चे स्वतंत्रता सेनानी थे। आपका जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को हुआ यह ‘आप’ का विशिष्ट प्रयोग है।
(3) ‘तू’ सर्वनाम का प्रयोग या तो अत्यंत समीपता, आत्मीयता, प्यार और दुलार प्रकट करने के लिए होता है; या निरादर और हीनता दिखाने के लिए।
जैसे-हे भगवान ! तेरी माया भी निराली है। (समीपता)
माँ तू जल्दी आ (आत्मीयता)
अरे नालायक ! तू इधर क्या कर रहा है। (अपमान)
2. निश्चयवाचक सर्वनाम (Demonstrative Pronoun)
किसी निश्चित व्यक्ति, वस्तु, घटना या कर्म के लिए प्रयुक्त होने वाले सर्वनाम निश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। जैसे – यह, ये, वह, वे, उन्हें इन्हें आदि। यह, ये, इन्हें, इनका समीप की वस्तुओं के लिए प्रयुक्त होते हैं, जबकि वह, वे, उन्हें, उनका दूर की वस्तुओं,व्यक्तियों और घटनाओं के लिए प्रयुक्त होते हैं। उदाहरणतया-
शर्मा जी का घर यह नहीं है, वह है।
मैं कुछ पुस्तकें लाया हूँ, इन्हें तुम रख लो।
विश्वास न हो, तो यह तुम भी पड़ लो।
3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम (Indefinite Pronoun)
किसी अनिश्चित व्यक्ति, अनिश्चित वस्तु, घटना या व्यापार के लिए प्रयुक्त होने वाले सर्वनाम अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। जैसे-
कोई, किसी, कुछ। प्राणियों के लिए ‘कोई’, ‘किसी’ सर्वनाम लगते हैं तथा पदार्थों के लिए ‘कुछ’ । उदाहरणतया-
शायद, दरवाज़े पर कोई है।
रास्ते में कुछ खा लेना।
हम किसी को कुछ नहीं कह सकते।
कोई कुछ भी कहे, हमें क्या !
4. प्रश्नवाचक सर्वनाम (Interrogative Pronoun)
जिन सर्वनामों से किसी व्यक्ति, वस्तु, घटना या व्यापार के बारे में प्रश्न का बोध हो, उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। कौन, किसे, किसने, क्या, कब आदि प्रश्नवाचक सर्वनाम हैं। प्राणिवाचक संज्ञाओं के लिए कौन, किसे, किसने का प्रयोग होता है तथा अप्राणिवाचक संज्ञाओं के लिए ‘क्या’ का प्रयोग होता है।
उदाहरण –
दीवार के ऊपर कौन बैठा है?
पुस्तक किससे मँगाऊँ ?
दिल्ली जाने के लिए किसे कहूँ?
किन-किन का नाम सूची में है?
मुझे सुबह किन्होंने कहा था?
मित्र, तुम्हें क्या चाहिए?
तुम कॉलेज कब जाओगे?
5. संबंधवाचक सर्वनाम (Relative Pronoun)
जिन सर्वनाम शब्दों से दो भिन्न बातों का संबंध प्रकट होता है अथवा जो सर्वनाम प्रधान वाक्य से आश्रित वाक्यों का संबंध जोड़ते हैं, उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे-
जो-सो, वह-जो, जिसे-वही, जिसको-उसको, जिसे-उसे, जिसकी-उसकी, तेते-जेती, जैसी-वैसी, जिसने-उसने आदि संबंधवाचक सर्वनाम हैं। इनका प्रयोग युग्म रूप में होता है। उदाहरणतया-
जो करेगा, सो भरेगा।
जैसा करोगे, वैसा भरोगे।
मेरा जो भाई तुम्हें मिला था, वह सामने खड़ा है।
जिसे भी देखता हूँ, वही व्यस्त है।
6. निजवाचक सर्वनाम (Reflexive Pronoun)
निजवाचक सर्वनाम वस्तुतः पुरुषवाचक सर्वनाम का ही एक भेद है। परंतु कुछ विद्वान इसे अलग मानते हैं।
परिभाषा-वक्ता या लेखक स्वयं अपने लिए जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग करता है, उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते हैं। आप, अपने-आप, स्वयं, खुद, स्वतः, निज आदि प्रमुख निजवाचक सर्वनाम हैं।
उदाहरणतया-
मैं अपना काम स्वयं करता हूँ।
मैं अपना काम आप करता हूँ।
हम खुद ही इधर आ गए।
दफ्तर का काम निजी देखभाल में चलता है।
नोट – 1. ‘आप’, ‘स्वयं’, ‘खुद’ का प्रयोग तोनों पुरुषों (उत्तम, मध्यम, अन्य) में होता है।
2. ‘आप’ का प्रयोग निजार्थक और आदरार्थक दोनों रूपों में होता है। यथा-
आदरार्थक-आपका शुभ नाम क्या है ?
निजार्थक-मैं आप दंग रह गया।
3.जब यह, वह, कोई, कुछ, जो, सो, एकल रूप आते हैं,
तो वे सर्वनाम होते हैं जबकि यह, वह, कोई, कुछ अगर किसी
संज्ञा के साथ आते हैं. तो वे विशेषण हो जाते हैं।
निजवाचक आप का प्रयोग दूसरे व्यक्ति के निराकरण के लिए भी
होता है; जैसे- उन्होंने मुझे यहाँ ठहरने को कहा और आप
(स्वयं) चलते बने।
सर्वसाधारण के अर्थ में भी आप का प्रयोग होता है; जैसे- आप
(स्वयं) भला तो जग भला।
अवधारण के अर्थ में कभी-कभी आप निजवाचक सर्वनाम के साथ
ही जोड़ा जाता है; जैसे- मैं आप (स्वयं) ही चला आता था।
सर्वनाम शब्दों का रूपांतर
नियम
1. अन्यपुरुष सर्वनाम वह, यह, ये, वे के साथ ‘ने’ लगने पर इनके रूप क्रमशः उसने, इसने, इन्होंने हो जाते हैं।
2. पुरुषवाचक सर्वनामों के साथ ‘को’ लगने पर उनके रूप में अंतर आ जाता है। जैसे-
मैं (को) मुझको या मुझे
तू (को) तुझको या तुझे
यह (को) इसको या इसे
ये (को) इनको या इन्हें
वह (को) उसको या उसे
ये (को) उनको या उन्हें
3. सर्वनामों के रूपों में वचन और संबंध कारक के कारण ही परिवर्तन होता है। जैसे-
मैं-हम तुम तुम्हारा-तुम्हें वह-वे
उसका उनका तू-तुम तेरा-तुम्हारा आदि।
4. लिंग-भेद से केवल संबंध कारक में ही परिवर्तन होता है।
जैसे-
यह मेरी पुस्तक है।
यह मेरा खिलौना है।
उसका बेटा आया है।
उसकी बेटी आई है।
अन्य सर्वनामों में लिंग संबंधी कोई विकार नहीं आता।
जैसे-
मैं पढ़ता हूँ।
मैं पढ़ती हूँ।
तुम स्कूल जाती हो।
तुम स्कूल जाते हो।
इन सर्वनामों के लिंग का ज्ञान उनके क्रिया-रूपों से होता है।
5. सर्वनाम जिस संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होता है, उसी के अनुसार उसके लिंग और वचन होते हैं।
6. सर्वनाम का प्रयोग एकवचन और बहुवचन दोनों में होता है।
सर्वनामों के पुनरुक्ति रूप
कुछ सर्वनाम पुनरावृत्ति के साथ प्रयोग में आते हैं। ऐसे स्थलों पर अर्थ में विशिष्टता या भिन्नता आ जाती है।
उदाहरणतया-
जो-जो-जो आता जाए, उसे बिठाते जाओ।
कोई-कोई-कोई तो बिना बात भागा चला जा रहा था।
क्या-हमारे साथ क्या-क्या हुआ, यह न पूछो।
कौन-स्कूल में कौन-कौन चलेगा ?
किस-किस-किसको भूख लगी है ?
कुछ-मुझे कुछ-कुछ याद आ रहा है।
अपना-अपना-अपना सामान लो और चलते बनो।
आप-यजमान आप-आप खाए जा रहे थे, मेहमानों की कहीं कोई पूछ नहीं थी।
वह-जिसे मिठाई न मिली हो, वह-वह रह जाओ।
कहाँ-पिता ने बेटे को कहाँ-कहाँ नहीं खोजा।
कुछ सर्वनाम संयुक्त रूप में प्रयुक्त होते हैं।
उदाहरणतया-
कोई-न-कोई-रात के समय कोई-न-कोई गाड़ी तो चलेगी ही।
कुछ-न-कुछ-घबराओ नहीं, कुछ-न-कुछ प्रबंध तो अवश्य हो जाएगा।
जो-कुछ-चोरों को जो-कुछ मिला, ले गए।
जो कोई-जो कोई बोलेगा, वही फँसेगा।
कहीं कोई-आजकल योग्य व्यक्ति को कहीं कोई नहीं पूछता।
सर्वनामों का संयुक्त रूप –
कभी-कभी दो सर्वनाम संयुक्त होकर
भी प्रयुक्त होते हैं। इससे अर्थ में विशिष्टता आ जाती है; जैसे-
जो + कोई – जो कोई इधर से निकलेगा पकड़ा जाएगा।
जो + कुछ – जो कुछ भी लाए हो, यहीं रख दो।
सर्वनाम से जुड़ीं अन्य महत्वपूर्ण बातें –
1. सर्वनाम की विभक्तियाँ शब्दों से मिलाकर लिखी जाती हैं। जैसे-
मुझसे, मैंने, उसने, उसको, हमपर आदि।
2. ‘मैं’, ‘हम’ और ‘तुम’ के साथ ‘का’, ‘के’, ‘की’ की जगह ‘रा’, ‘रे’, ‘री’ प्रयुक्त होते हैं। जैसे- मेरा, मेरी, मेरे, तुम्हारा, तुम्हारे, तुम्हारी, हमारा, हमारी, हमारे।
3. आदरार्थक संज्ञा शब्दों के लिए सर्वनाम भी आदरार्थक बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं। जैसे-
मेरे पिताजी बाहर गए हैं। वे आते ही होंगे।
महादेवी जी आई तो थीं पर वे बोली नहीं।
4.अधिकार अथवा अभिमान प्रकट करने के लिए आजकल ‘मैं’ की बजाय ‘हम’ का प्रयोग चल पड़ा है, जो व्याकरण की दृष्टि से अशुद्ध है। जैसे-
शांत रहिए, अन्यथा हमें कड़ा रुख अपनाना पड़ेगा।
पिता के नाते हमारा भी कुछ कर्तव्य है।
5. जहाँ ‘मैं’ की जगह ‘हम’ का प्रयोग होने लगा है, वहाँ ‘हम’ के बहुवचन के रूप में ‘हम लोग’ या ‘हम सब का प्रयोग प्रचलित है।
6. ‘तुम’ सर्वनाम के बहुवचन के रूप में ‘तुम सब का प्रचलन हो गया है। जैसे-
रमेश तुम यहाँ आओ।
अरे रमेश, सुरेश, दिनेश ! तुम सब यहाँ आओ।
7. मुझ, हम, तुझ, तुम, इस, इन, उस, उन, किस, किन में निश्चयार्थी ‘ई’ (ही) के योग से मुझी, हमीं, तुझी, तुम्हीं, इसी,इन्हीं, उसी, उन्हीं, किसी, किन्हीं आदि निश्चयार्थी रूप बनते हैं।
8. ‘कोई’ और ‘कुछ’ के बहुवचन ‘किन्हीं’ और ‘कुछ’ होते हैं। ‘कोई’ और ‘किन्हीं’ का प्रयोग सजीव प्राणियों के लिए होता है, तथा ‘कुछ’ का प्रयोग निर्जीव प्राणियों के लिए होता है। कीड़े-मकोड़े आदि तुच्छ अनाम प्राणियों के लिए भी ‘कुछ’ का प्रयोग होता है।
9. ‘क्या’ का रूप सदा एक-सा रहता है।
यथा-
क्या लिख रहे हो ?
क्या खाया था ?
★★★ निवेदन ★★★
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