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वचन की परिभाषा एवं प्रकार / वचन के प्रयोग एवं नियम
वचन की परिभाषा और प्रकार
परिभाषा– शब्द के जिस रूप से उसके एक अथवा अनेक होने का बोध हो, उसे वचन कहते हैं।
वचन के प्रकार / वचन के भेद
हिंदी में दो वचन हैं – एकवचन और बहुवचन ।
एकवचन-शब्द के जिस रूप से उसके एक (संख्या में) होने का बोध हो, उसे एकवचन कहते हैं। जैसे- लड़का, पतंग, पुस्तक, गाड़ी, पुरुष आदि।
बहुवचन-शब्द के जिस रूप से एक से अधिक व्यक्तियों अथवा वस्तुओं का बोध हो, उसे बहुवचन कहते हैं। जैसे- लड़के, पतंगें, पुस्तकें, गाड़ियाँ, पुरुषों आदि ।
गणनीय और अगणनीय संज्ञाएँ
वचन का एक भेद गणनीय और अगणनीय भी है। कुछ संज्ञाएँ गिनी जा सकती हैं। जैसे- मेजें, पुस्तकें, सेब, संतरे, मकान आदि ।
इन्हें गणनीय संज्ञाएँ कहते हैं। इनके बहुवचन रूप एकवचन से भिन्न होते हैं। कुछ संज्ञाएँ गिनी नहीं जा सकतीं। उनका माप-तोल हो सकता है। जैसे- सोना, चाँदी, आटा, तेल, घी आदि ।
इन्हें अगणनीय संज्ञाएँ कहते हैं। इनके एकवचन तथा बहुवचन रूप एक जैसे होते हैं।
वचन संबंधी नियम / वचन से सम्बंधित नियम
साधारणतः एक संख्या के लिए एकवचन का और अधिक के लिए बहुवचन का प्रयोग किया जाता है, लेकिन-
1. आदर प्रकट करने के लिए एकवचन के स्थान पर बहुवचन का प्रयोग किया जाता है।
जैसे- (क) महात्मा बुद्ध महान थे।
(ख) गाँधी जी अहिंसा के पुजारी थे।
2. अपना अधिकार, अभिमान या बड़प्पन जताने के लिए भी ‘मैं’ के स्थान पर कभी-कभी लोग ‘हम’ बहुवचन का प्रयोग करते हैं। मालिक नौकर से प्रायः ऐसे ही बात करता है।
जैसे- अकबर ने कहा-हमें शांति चाहिए।
3. कुछ संज्ञा शब्द सदा बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं। जैसे – लोग, दर्शन, प्रजा, रोम, प्राण, बाल, होश, आँसू, हस्ताक्षर आदि।
जैसे – (क) कृपया अपने आँसू पोंछ डालिए।
(ग) पुलिस को देखकर जगमोहन के होश उड़ गए।
(ख) भय से उसके तो प्राण ही निकल गए।
(घ) मेरे बाल झड़ते हैं।
(ङ) आजकल लोग सीधे मुँह बात तक नहीं करते।
(च) आज बेटे के दर्शन हुए।
4. आजकल ‘तू’ एकवचन सर्वनाम का अपमानार्थ या अत्यंत छोटे अथवा अत्यंत प्रिय के लिए ही प्रयोग किया जाता है। सम्मान प्रकट करने के लिए ‘तू’ के स्थान पर ‘तुम’ संबोधन किया जाता है।
5. जनता, वर्षा, पानी, दूध, आग, पुलिस, भीड़ आदि शब्द सदा एकवचन में प्रयुक्त होते हैं।
जैसे- (क) जनता ने आंदोलन छेड़ दिया है।
(ख) कल बहुत वर्षा हुई थी।
(ग) मुझे ठंडा पानी चाहिए।
(घ) उसे गर्म दूध दो।
(ङ) मकान को आग ने घेर लिया।
(च) पुलिस आ गई तो भीड़ रुक गई।
6. कुछ एकवचन शब्द गण, लोग, जन, वृंद आदि समूहवाचक शब्दों के साथ जुड़कर बहुवचन के रूप में प्रयुक्त होते हैं।
जैसे- (क) अध्यापकगण यहाँ बैठें।
(ख) मजदूर लोग अपने काम पर जाएँ।
(ग) प्रजाजन अनुशासन का महत्त्व समझें।
(घ) छात्रवृंद आजकल ग्रीष्मावकाश का आनंद ले रहे हैं।
जिन शब्दों के साथ जाति, दल, सेना, समूह आदि प्रयुक्त होता है, उनका प्रयोग एकवचन में होता है।
जैसे-(क) मनुष्य-जाति को स्त्रियों का सम्मान करना चाहिए।
(ख) जन-समूह कल यहाँ एकत्र होगा।
(ग) छात्र-दल विश्राम कर रहा 1
(घ) छात्र-सेना मुकाबले के लिए तैयार है।
7. भाववाचक संज्ञाएँ एकवचन में प्रयुक्त होती हैं।
जैसे- (क) प्रेम किया नहीं जाता, हो जाता है।
(ख) इन आमों में मिठास है।
(ग) कार्यक्रमों की सुंदरता मन को मोह लेती है।
8. धातुओं का बोध कराने वाली जातिवाचक संज्ञाएँ एकवचन में प्रयुक्त होती हैं।
जैसे- (क) सोना बहुत चमकीला है और लोहा मज़बूत हैं।
(ख) चाँदी सस्ती है और स्टील सुंदर।
वचन बदलने के नियम / एकवचन से बहुवचन बनाने के नियम
नीचे लिखे वाक्य देखिए-
उनके पास कारें हैं। वे कारों पर सवार हैं।
अनेक लड़के जा रहे थे। अनेक लड़कों ने जाने का कार्यक्रम बनाया।
इन वाक्यों में कारें, कारों, लड़के, लड़कों बहुवचन के रूप हैं। अंतर यह है कि ‘कारें’ और ‘लड़के’ विभक्ति-रहित हैं, जबकि ‘कारों’ और ‘लड़कों’ विभक्ति-सहित हैं। अतः बहुवचन दो प्रकार के होते हैं-
(क) विभक्ति-रहित बहुवचन ।
(ख) विभक्ति-सहित बहुवचन ।
(क) विभक्ति-रहित बहुवचन बनाने के नियम
(i) पुल्लिंग संज्ञाओं में वचन-परिवर्तन
आकारांत संज्ञाओं के अंतिम ‘आ’ के स्थान पर ‘ए’ कर दिया जाता है।
जैसे-
कपड़ा – कपड़े
गढ़ा – गढ़े
घोड़ा – घोड़े
बेटा – बेटे
भेड़िया – भेड़िए
रास्ता – रास्ते
(ii) स्त्रीलिंग संज्ञाओं में वचन-परिवर्तन
(a) ‘अ’ को ऍ-अकारांत स्त्रीलिंग संज्ञाओं के अंत में आने वाले ‘अ’ को ‘एँ कर देते हैं। जैसे-
आँख – आँखें
गाय – गायें
बात – बातें
कलम – कलमें
बोतल – बोतलें
पुस्तक – पुस्तकें
(b) ई का याँ-इकारांत स्त्रीलिंग संज्ञाओं के अंत में ‘याँ’ जोड़कर एकवचन को बहुवचन बनाया जाता है। जैसे-
जाति – जातियाँ
राशि – राशियाँ
तिथि – तिथियाँ
लिपि – लिपियाँ
(c) ‘ई’ को ‘इयाँ‘-ईकारांत स्त्रीलिंग संज्ञाओं की अंतिम ‘ई’ को ‘इयाँ’ कर दिया जाता है। जैसे-
घोड़ी – घोड़ियाँ
टोपी – टोपियाँ
थाली – थालियाँ
नदी – नदिया
बेटी – बेटियाँ
लड़की – लड़कियाँ
(d) अनुनासिक– (*) -‘या’ से अंत होने वाली संज्ञाओं को बहुवचन बनाने के लिए अंत में अनुनासिक (*) जोड़ दिया जाता है। जैसे-
कुतिया – कुतियाँ
चिड़िया – चिड़ियाँ
पुड़िया – पुड़ियाँ
गुड़िया – गुड़ियाँ
डिबिया – डिबियाँ
बुढ़िया – बुढ़ियाँ
(e) ‘ए’-ऊकारांत, आकारांत, औकारांत आदि शेष स्त्रीलिंग संज्ञाओं के अंत में ‘एँ’ जोड़कर बहुवचन बनाए जाते हैं। अंतिम ‘ऊ’ को ह्रस्व कर दिया जाता है। जैसे-
अध्यापिका – अध्यापिकाएँ
बहू – बहुएँ
कथा – कथाएँ
भावना – भावनाएँ
धेनु – धेनुएँ
आत्मा – आत्माएँ
(ख) विभक्ति-सहित संज्ञाओं के बहुवचन बनाने के नियम-
(i) ‘ओं’ का समावेश-संज्ञाओं के अंतिम ‘अ’ तथा ‘आ’ के स्थान पर ‘ओं’ हो जाता है। जैसे-
घोड़ा – घोड़ों
बूढ़ा – बूढ़ों
खरबूजा – खरबूजों
घर – घरों
बन्दर – बंदरों
मूर्ख – मूर्खों
(ii) ‘आ’ से समाप्त होने वाले जिन शब्दों के विभक्ति-रहित रूपों के बहुवचन में कोई परिवर्तन नहीं होता, उनके विभक्ति-सहित रूपों के अंत में बहुवचन बनाने के लिए ‘ओं’ प्रत्यय लगता है। जैसे-
राजा – राजाओं
पिता – पिताओं
माता – माताओं
लता – लताओं
(iii) उकारांत या ऊकारांत शब्दों के अंत में ‘ओं’ लगाकर बहुवचन बनाए जाते हैं। ऐसी स्थिति में ‘ऊ’ का ह्रस्व ‘उ’ हो जाता है। जैसे-
गुरू – गुरुओं
भालू – भालुओं
डाकू – डाकुओं
वधू – वधुओं
(iv) ओ-‘अ’ और ‘आ’ से समाप्त होने वाले शब्दों में संबोधन करते समय अंतिम स्वर बदलकर ‘ओ’ हो जाता है। जैसे-
कन्या – कन्याओ !
बहन – बहनो !
लड़का – लड़को !
लोग। – लोगो !
(v) यों-‘इ’ तथा ‘ई’ से अंत होने वाले विभक्ति-युक्त बहुवचन में ‘यों’ लगता है। ऐसी स्थिति में ‘ई’ का ह्रस्व ‘इ’ हो जाता है। जैसे-
कहानी – कहानियों
गली। – गलियों
मुनि – मुनियों
रात्रि – रात्रियों
(vi) यो-संबोधन करते समय इकारांत और ईकारांत शब्दों में ‘यो’ का समावेश हो जाता है। जैसे-
भाई – भाइयो !
मुनि – मुनियो !
वचन सम्बंधी विशेष निर्देश
(1) सम्बोधन वाचक शब्दों में ओं न लगाकर ओ की मात्रा का
प्रयोग करना चाहिए; जैसे- भाइयो!, बहनो!, मित्रो!, बच्चो!,
साथियो!
(2) भाववाचक और गुणवाचक संज्ञाओं का प्रयोग एकवचन में
होता है; जैसे- मैं उसकी सज्जनता पर मुग्ध हूँ।
(3) जहाँ संख्या या प्रकार का बोध हो, वहाँ गुणवाचक और
भाववाचक संज्ञाएँ बहुवचन में भी प्रयुक्त हो सकती हैं; जैसे-
इस ग्रंथ की अनेक विशेषताएँ या खूबियाँ हैं।
(4) दूसरी भाषाओं के तत्सम या तद्भव शब्दों का प्रयोग हिन्दी
व्याकरण के अनुसार होना चाहिए। उदाहरणत: अंग्रेजी के फुट
का बहुवचन फीट होता है, किन्तु हिन्दी में इसका बहुवचन
संख्यात्मक रूप से बनाया जाता है; जैसे- दो फुट लम्बी दीवार
है। (न कि दो फीट लम्बी दीवार है।)।
(5) भगवान के लिए या निकटता सूचित करने के लिए तू का प्रयोग
किया जाता है; जैसे- हे ईश्वर! तू बड़ा दयालु है।
(6) आदर या सम्मान दिखाने के लिए हमेशा बहुवचन शब्द का प्रयोग होता है;
जैसे- तुलसी श्रेष्ठ कवि थे।
माताजी दिल्ली जा रही हैं।
(7) कभी-कभी कुछ शब्दों के बहुवचन बनाने के लिए मूल शब्दों
के साथ वर्ग, वृन्द, गण, लोग, जन आदि शब्द जोड़े जाते हैं;
जैसे- युवावर्ग, मुनिवृन्द, कृषकगण, युवजन आदि।
(8) अनेक शब्द का प्रयोग हमेशा बहुवचन के लिए होता है। प्रत्येक
तथा हर एक का प्रयोग सदा एकवचन में होता है;
जैसे- प्रत्येक व्यक्ति यही कहेगा।
हर एक कुआँ मीठे जल का नहीं होता।।
(9) द्रव्यवाचक संज्ञाओं का प्रयोग एकवचन में होता है;
जैसे – उनके पास बहुत सोना है।
न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी।
(10) यदि द्रव्य के भिन्न-भिन्न प्रकारों का बोध हो, तो द्रव्यवाचक
संज्ञा बहुवचन में प्रयुक्त होगी;
जैसे- यहाँ बहुत तरह के लोहे मिलते हैं;
चमेली, गुलाब, तिल आदि के तेल अच्छे होते हैं।
(11) संज्ञा पद का तात्पर्य केवल जातिवाचक और व्यक्तिवाचक ही
नहीं बल्कि भाववाचक भी है, जो वचन से प्रभावित होता है;
जैसे- खाइयाँ, चढ़ाइयाँ, विशेषताएँ, ऊँचाइयाँ, मूर्खताएँ, आवश्यकताएँ,अनुभूतियाँ आदि।
(12) वचन के प्रभाव से परिवर्तित पुल्लिंग संज्ञा-रूपों के स्त्रीलिंग रूप से भिन्न होते हैं;
जैसे- लड़का लड़के
लड़की – लड़कियाँ
(13) अकारांत पुल्लिंग संज्ञा के रूप में वचन का प्रभाव बहुवचन पर
भी नहीं पड़ता परन्तु अकारांत स्त्रीलिंग पर पड़ता है; जैसे-
फूल खिल रहा है – फूल खिल रहें हैं।
गाय चर रही है – गायें चर रहीं हैं।
(14) समाचार, ओंठ और हस्ताक्षर के पूर्व कोई विशेषण लगाकर
इनका एकवचन रूप बनाया जा सकता है;
जैसे- यह तो कल का प्रमुख समाचार था।
एक ओंठ कट गया था।
आपका एक ही हस्ताक्षर था जबकि चाहिए तीन ।
(15) वे व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ, जो किसी गुण या दोष विशेष के लिए
प्रसिद्ध हो गई हैं तथा उनका जातिवाचक की तरह प्रयोग करने
पर बहुवचन में उनके अनेक रूपांतर होते हैं,
जैसे- आज रावणों की संख्या बढ़ती जा रही है।
हरिश्चन्द्रों को हर युग में कष्ट भोगना पड़ता है।
★★★ निवेदन ★★★
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