वाक्य के प्रकार / वाक्यों का परिवर्तन / उपवाक्य के प्रकार

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वाक्य के प्रकार / वाक्यों का परिवर्तन / उपवाक्य के प्रकार

वाक्य के प्रकार / वाक्यों का परिवर्तन / उपवाक्य के प्रकार

उपवाक्य के प्रकार / वाक्य के प्रकार / वाक्यों का परिवर्तन

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वाक्य की परिभाषा

ऐसा सार्थक शब्द-समूह, जो व्यवस्थित हो तथा पूरा आशय प्रकट कर सके, वाक्य कहलाता है। अर्थात् जिस शब्द-समूह से वक्ता का आशय व्यक्त होता है, वह वाक्य कहलाता है। उदाहरण– राम ने धर्म की स्थापना की। यह शब्द-समूह सार्थक है; व्याकरण के नियमों के अनुसार व्यवस्थित है तथा पूरा आशय प्रकट कर रहा है। अतः यह
एक वाक्य है।

वाक्य के गुण || वाक्य की विशेषतायें

(1) वाक्य शब्द से मिलकर बनते हैं।
(2) वाक्यों का एक सार्थक अर्थ होता है।
(3) वाक्यों में शब्दों का एक निश्चित क्रम होता है।
(4) वाक्यों में सार्थकता एवं योग्यता का गुण पाया जाता है।
(5) वाक्य में व्याकरण के सभी नियम विद्यमान होते हैं।

वाक्य निर्माण के अनिवार्य तत्व

वाक्य निर्माण के लिए 3 अनिवार्य तत्व हैं –

(1) योग्यता या सार्थकता – वाक्य निर्माण में योग्यता का तात्पर्य है, पदों के अर्थबोधन का सामर्थ्य। जब वाक्य का प्रत्येक पद या शब्द अर्थबोधन में सहायक हो, तो समझना चाहिए कि वाक्य में योग्यता वर्तमान है; जैसे- शिक्षक छड़ी से लिखते हैं। उपर्युक्त वाक्य में योग्यता का अभाव है, क्योंकि छड़ी से लिखा नहीं जाता। छड़ी के स्थान पर कलम या चॉक का प्रयोग होता वाक्य की योग्यता संगत होती।

(2) आकांक्षा – वाक्य के किसी एक अंश (भाग) को सुनकर या जानकर शेष अंश को सुनने या जानने की जो स्वाभाविक उत्कण्ठा जागृत होती है, उसे आकांक्षा कहते हैं; जैसे- वह जा रहा था कि
उपर्युक्त वाक्य में उत्सुकता बनी है कि, इसके बाद क्या हुआ।
अतः उक्त शब्द समूह को वाक्य का रूप देने के लिए कहना
होगा- वह जा रहा था कि इतने में शेर दिखाई दिया। अब यह
वाक्य पूरा हो गया।

(3) निकटता या आशक्ति – यह वाक्य के पदों के बीच समुचित समीपता के माध्यम से वाक्य के अर्थबोधन को पुष्टि तथा स्पष्टता प्रदान करती है। सार्थक वाक्य निर्माण के लिए आवश्यक है कि, उसका पद (शब्द) व्यवस्था में देश (स्थान) और काल (समय) का
ध्यान रखा जाए। लेखन में यदि एक पद एक पृष्ठ पर दूसरा किसी अन्य पृष्ठ पर रखा जाए या बोलने में शहर अभी बोला जाए और में कल बोला जाए तथा सुबह परसों बोला जाए तो सब कुछ ठीक रहने के बाद भी अर्थबोधन पूर्णतः बाधित हो जाएगा।

वाक्य के अंग या घटक (Components of Sentence)

जिन अवयवों को मिलाकर वाक्य की रचना होती है, उन्हें वाक्य के अंग या घटक कहते हैं। वाक्य के मूल एवं अनिवार्य घटक हैं-कर्ता एवं क्रिया। इनके बिना वाक्य की रचना संभव नहीं है। उदाहरणतया सबसे संक्षिप्त वाक्य इस प्रकार का हो सकता है-सीता मिली। गीता गाएगी। तुम जाओ। तू आ । आप पढ़ें। आदि। उपर्युक्त सभी वाक्यों में एक कर्ता (सीता, गीता, तुम, तू, आप) है तथा एक क्रिया (मिली, गाएगी, जाओ, आ, पढ़ें) है। इनकी सहायता से वाक्य-रचना संभव है। अतः कर्ता और क्रिया वाक्य के अनिवार्य घटक हैं। इनके अतिरिक्त वाक्य के अन्य घटक भी होते हैं। जैसे-विशेषण, क्रियाविशेषण, कारक आदि। ये घटक आवश्यकतानुसार आते हैं। इन्हें ऐच्छिक घटक कहा जाता है।

1.उद्देश्य
2.विधेय

उद्देश्य की परिभाषा व विस्तार

वाक्य का वह भाग जिसमें किसी व्यक्ति या वस्तु के विषय/बारे में कुछ कहा जाय, उसे सूचित करने वाले शब्द उद्देश्य कहलाते
हैं अर्थात् वाक्य में जो कर्त्ता हो उसे उद्देश्य कहा जाता है; जैसे-
परिश्रम करने वाला व्यक्ति सदा सफल होता है। उपर्युक्त वाक्य में परिश्रम करने वाला व्यक्ति उद्देश्य है। उद्देश्य के रूप में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया विशेषण द्योतक और वाक्यांश आदि आते हैं; जैसे-

संज्ञा – (मोहन) गेंद खेलता है।
सर्वनाम – (वह) घर जाता है।
विशेषण – (बुद्धिमान) सदा सच बोलते हैं।
क्रियार्थक संज्ञा – (तैरना) एक अच्छा व्यायाम है।
वाक्यांश – (भाग्य के भरोसे) बैठना कायरों का काम है।
कृदन्त – (लकड़हारा) लकड़ी बेचता है।

उद्देश्य का विस्तार – उद्देश्य की विशेषता प्रकट करने वाले शब्द या शब्द समूह को उद्देश्य का विस्तार कहते हैं। उद्देश्य के विस्तारक शब्द विशेषण, सम्बन्ध वाचक सामानाधिकरण, क्रिया द्योतक तथा वाक्यांश आदि होते हैं;

विशेषण – (दुष्ट लड़के) अधर्मी होते हैं।
सबंधकारक – (राम का घोड़ा) घास खाता है।
विशेषणवत् प्रयुक्त शब्द – (सोये हुए शेर) को जगाना अच्छा नहीं होता।
क्रियाद्योतक – (खाया मुँह) और (नहाया बदन) छिपता नहीं है।
वाक्यांश – (दिन भर का थका हुआ लड़का) लेटते ही सो गया।
प्रश्न से – (कैसा काम) होता है?
सम्बोधन – (हे राम!) तुम कहाँ हो ?

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विधेय की परिभाषा व प्रकार

किसी वाक्य में उद्देश्य (कर्ता) के बारे में जो कुछ कहा जाय
अर्थात् वाक्य के कर्त्ता (उद्देश्य) को अलग करने के बाद वाक्य
में जो कुछ शेष रह जाता है, वह विधेय कहलाता है; जैसे-
मैनें उसे पीटा। तोता डाल पर बैठा है। उपर्युक्त दोनों वाक्यों में क्रमश: उसे पीटा तथा डाल पर बैठा है।
विधेय है।

विधेय के प्रकार

(a) साधारण विधेय: साधारण विधेय में केवल एक क्रिया होती
है; जैसे- सोनू पढ़ता है।

(b) जटिल विधेय : जब विधेय के साथ पूरक शब्द प्रयुक्त होते
हैं, तो उस विधेय को जटिल विधेय कहते हैं; जैसे- सोनू आज पढ़ता है। पूरक के रूप में आने वाले शब्द संज्ञा, विशेषण, सम्बंध वाचक कारक तथा क्रिया विशेषण होता है।

विधेय का विस्तार – विधेय की विशेषता प्रकट करने वाले शब्द समूह को विधेय का विस्तार कहा जाता है। विधेय का विस्तार निम्न प्रकार से होता है-

कर्म द्वारा – वह (रामायण) पढ़ता है।
विशेषण द्वारा – वह (प्रसन्न) हो गया।
क्रिया विशेषण द्वारा – मोहन (धीरे-धीरे) लिखता है।
सम्बंध सूचक द्वारा – नाव यात्रियों (सहित) डूब गयी।
क्रियाघोतक द्वारा – वह हाथ में (गेंद लिए) जाता है।
क्रियाविशेषणवत् प्रयुक्त शब्द द्वारा – वह (अच्छा) गाता है।
पूर्वकालिक क्रिया द्वारा – मोहन (पढ़कर) सो गया।
पद वाक्यांश द्वारा – (सोहन) भोजन के बाद ही सो गया।

वाक्य के प्रकार / वाक्य के भेद

(1) रचना की दृष्टि से वाक्य के प्रकार

1. सरल वाक्य
2. संयुक्त वाक्य
3. मिश्र वाक्य

(2) अर्थ की दृष्टि से वाक्य के प्रकार

(i) विधान वाचक वाक्य
(ii) निषेध वाचक वाक्य
(iii) आज्ञा वाचक वाक्य
(iv) प्रश्न वाचक वाक्य
(v) इच्छा वाचक वाक्य
(vi) संदेह वाचक वाक्य
(vii) विस्मय वाचक वाक्य
(viii) संकेत वाचक वाक्य

(3) क्रिया के आधार पर वाक्य के प्रकार

1.कर्तरि वाक्य
2.कर्मणि वाक्य
3.भावे वाक्य

(1) रचना की दृष्टि से वाक्य के प्रकार

(i) सरल वाक्य – सरल वाक्य (Simple Sentence) जिन वाक्यों में एक मुख्य क्रिया हो, उन्हें सरल वाक्य कहते हैं।
जैसे- पानी बरस रहा है।
बच्चे मैदान में खेल रहे हैं।
मोहन पुस्तकें खरीदकर घर से होता हुआ आपके पास पहुँचेगा। ऊपर के सभी बाक्यों में मुख्य क्रिया एक ही है, जैसा कि टेढ़े छपे अंशों से स्पष्ट है। आकार में छोटे-बड़े होते हुए भी रचना की दृष्टि से ये सरल वाक्य हैं। इन्हें साधारण वाक्य भी कहा जाता है।

ध्यान रहे कि क्रिया-पदों की संख्या एक भी हो सकती है, दो भी तीन, चार और पाँच भी।

उदाहरणतया-
(a) एक क्रिया-पद के उदाहरण-
वह साधु है।
वह फुटबाल खेला।
बच्चा हँसा।

(b) दो क्रिया-पदों के उदाहरण-
वह विद्यालय जाता है।
बच्चा रोज रोता था।
लोग इस बात पर हँसते होंगे।

(c) तीन क्रिया-पदों के उदाहरण-
वह खाता जाता है।
मोहन जा रहा होगा।

(d) चार क्रिया-पदों के उदाहरण-
वह दूध पिए जा रहा है।
वह भागता जा रहा था।
डाकू दौड़ता जा रहा होगा।

(e) पाँच क्रिया-पदों के उदाहरण-
वह पढ़ता चला जा रहा था।
मोहन भोजन करता चला जा रहा था।
वह अवश्य डाँटता चला जा रहा होगा।

उपर्युक्त सभी प्रकार के वाक्य सरल हैं। कारण यह है कि इनमें एक ही मुख्य क्रिया है। मुख्य क्रिया के अतिरिक्त जो अन्य पद सहायक बनते हैं, उन्हें सहायक क्रिया कहते हैं। ये सहायक क्रियाएँ अनेक प्रकार की होती हैं।
यथा-
1. समापिका क्रिया
2. रंजक क्रिया
3. पक्ष, वृत्ति (मूड) आदि बोधक क्रिया।

दो से अधिक क्रियाओं वाले सरल वाक्य सरल वाक्य की शर्त यह है कि उसमें एक मुख्य क्रिया हो । परंतु क्रिया-पद एक से अधिक हो सकते हैं। जैसे-
वह रोटी खाकर विद्यालय जाता है।
वह नाच-नाचकर गाएगा /

स्पष्टीकरण-इन दोनों वाक्यों में दो-दो क्रियाएँ हैं-
मुख्य क्रिया-जाता है। और गाएगा।
पूर्वकालिक क्रिया- खाकर और  नाच नाच कर

पूर्वकालिक क्रिया मुख्य वाक्य का अंग है। उसका अलग अस्तित्व नहीं है। उससे वाक्य को पूर्णता नहीं मिलती। इसलिए वह मुख्य क्रिया नहीं है। कुछ वाक्यों में दो से भी अधिक क्रियाएँ होती हैं। जैसे-वह गाकर, हँसकर, रीझकर और मुसकराकर सबका दिल जीत लेता है।
यहाँ हँसकर, रीझकर, मुसकराकर-तीन पूर्वकालिक क्रियाएँ हैं। ‘जीत लेता है’ मुख्य क्रिया है। मुख्य क्रिया एक होने के कारण यह वाक्य सरल वाक्य है।
मुख्य क्रिया की पहचान मुख्य क्रिया की पहचान यह है कि उससे वाक्य समाप्त होता है। अर्थ को पूर्णता मिलती है। उपर्युक्त वाक्य में जब तक ‘जीत लेता है’ क्रिया नहीं होगी, तब तक वाक्य पूर्ण नहीं हो सकता। है। शेष क्रियाएँ वाक्य के लिए अनिवार्य नहीं, ऐच्छिक अंग हैं। इनके बिना भी वाक्य पूरा अर्थ दे सकते हैं। इसलिए यह मुख्य क्रिया

(ii) संयुक्त वाक्य (Compound Sentence) –जहाँ दो या दो से अधिक उपवाक्य किसी समुच्चयबोधक (योजक) अव्यय शब्द से जुड़े होते हैं, वे संयुक्त वाक्य कहलाते हैं।
जैसे– हमने सुबह से शाम तक बाजार की खाक छानी, किंतु काम नहीं बना।
जल्दी चलिए अन्यथा बहुत देर हो जाएगी।
इधर अध्यापक पहुँचे और उधर छात्र एक-एक करके खिसकने लगे।

ऊपर लिखे उदाहरणों में टेढ़े छपे शब्दों ‘किंतु’, ‘अन्यथा’, ‘और’ अव्यय शब्दों से वाक्य जुड़े हुए हैं। यदि इन योजक अव्यय शब्दों को हटा दिया जाए, तो प्रत्येक में दो-दो स्वतंत्र वाक्य बनते हैं। योजकों की सहायता से जुड़े हुए होने के कारण इन्हें संयुक्त वाक्य कहते हैं।

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अन्य उदाहरण –
(a) ‘और’ (तथा, एवं) से जुड़े संयुक्त वाक्य-
रात हुई और तारे निकले।
बरसात हुई और हम भागने लगे।
मैं उत्तेजित हुआ और उसे पीटने लगा।

(b) ‘इसलिए’ (अतः) से जुड़े संयुक्त वाक्य-
वह सोया रहा, इसलिए गाड़ी न पकड़ सका।
मुझे गाड़ी पकड़नी थी, इसलिए सुबह उठना पड़ा।
मोहन बीमार है, इसलिए आ नहीं सका।

(c)  ‘परंतु’ (किंतु) से जुड़े संयुक्त वाक्य-
उसने तेज दौड़ लगाई किंतु गाड़ी न मिल सकी।
सोमेश आया था किंतु बिना बोले चला गया।
आज मैच जीतने के आसार थे किंतु बारिश हो गई।
उसने समझाया था परंतु मैं न समझ सका।

(d) ‘या’ से जुड़े संयुक्त वाक्य-
में स्कूल जाऊँगा या शादी पर जाऊँगा।
तू पढ़ ले या टी.वी. देख ले।
आप दूध पी लीजिए या खीर खा लीजिए।
वे सात सितंबर को आएँगे या नौ नवंबर को

(e) ‘नहीं तो’, ‘अन्यथा’ या ‘वरना’ वाले संयुक्त वाक्य-
बरसात आ गई वरना मैं जीत जाता।
हवा चल पड़ी वरना जीना कठिन हो जाता।
तुम मान जाओ अन्यथा पिटोगे।

(iii) मिश्र वाक्य – जिन वाक्यों की रचना एक से अधिक ऐसे उपवाक्यों से हुई हो, जिनमें एक उपवाक्य प्रधान और अन्य गौण हों, उन्हें मिश्र वाक्य कहते हैं। जैसे-
मालिक ने कहा कि कल की छुट्टी रहेगी।
श्यामलाल, जो गाँधी गली में रहता है, मेरा मित्र है।
हिरण ही एक ऐसा वन्य पशु है, जो कुलांचें भरता है।

ऊपर लिखित उदाहरणों में टेढ़े छपे अंश गौण वाक्य है और दूसरे अंश प्रधान वाक्य। अतः ये सभी मिश्र वाक्यों के उदाहरण हैं।

पहचान-प्रायः मिश्र वाक्यों में ‘कि’, ‘जो-वह’, ‘जिसे-उसे’, ‘ऐसा-जो’, ‘वही-जिसे’, ‘यदि-तो’ जैसे व्यधिकरण योजक होते हैं।

अर्थ के आधार पर वाक्यों के प्रकार

(1) विधानवाचक या विधिवाचक वाक्य – जिस वाक्य में किसी क्रिया (काम) का होना पाया जाए वह विधानवाचक वाक्य कहलाता है; जैसे-
शिक्षक स्नान कर रहे हैं।
छात्र व्यायाम कर चुके।
माता रोटी बेल रही हैं।
कर्त्ता (शिक्षक, छात्र, माँ) के द्वारा कार्य किये जाने का अर्थ
निकलता है। इसलिए इस वाक्य को विधिवाचक वाक्य कहेंगे।

(2) निषेधवाचक वाक्य – विधि शब्द का विपरीतार्थक शब्द निषेध होता है। अर्थात् जिस वाक्य से किसी क्रिया (काम) का न होने का बोध हो, वह निषेधवाचक वाक्य कहलाता है; जैसे- मैनें दूध नहीं पिया।

(3) आज्ञावाचक वाक्य – इस वर्ग के वाक्य आज्ञार्थक होते हैं। उपदेश, चेतावनी,प्रार्थना या अनुरोध के अर्थवाले वाक्य भी आज्ञार्थक ही कहे जाते हैं; जैसे- व्याकरण पढ़ो!

(4) प्रश्नवाचक वाक्य – जिस वाक्य से किसी कार्य के होने या न होने के सम्बंध में प्रश्नात्मकता का अर्थ निकले उसे प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे– क्या आप भोजन कर रहे थे?

(5) इच्छावाचक वाक्य – जिस वाक्य के द्वारा इच्छा, आशीष, शुभकामना आदि के भाव (ज्ञान) का पता चले, वह इच्छावाचक वाक्य कहलाता है; जैसे- आप दीर्घायु हों।

(6) संदेहवाचक वाक्य – जिस वाक्य के द्वारा संदेह, शंका या संभावना का बोध हो, वह संदेहवाचक वाक्य कहलाता है; जैसे- हो सकता है, वह चला जाए।
संदेह वाचक वाक्य प्रश्नवाचक का भ्रम पैदा करते हैं। इसलिए
संदेहवाचक वाक्य लिखते समय प्रश्न सूचक चिह्न कभी नहीं
देना चाहिए। इसमें विस्मयादिबोधक चिह्न (!) का प्रयोग
करना चाहिए।

(7) विस्मयवाचक वाक्य – जिस वाक्य के द्वारा आश्चर्य, घृणा, क्रोध, शोक आदि भावों की अभिव्यक्ति हो, वह विस्मयवाचक वाक्य कहलाता है; जैसे- अहा! कैसा सुहावना मौसम है।

(8) संकेतवाचक वाक्य – जिन वाक्यों से संकेत या शर्त सूचित हो, संकेतवाचक वाक्य कहलाता है। इन वाक्यों में एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर होता है; जैसे- अगर वर्षा होगी तो फसल भी
अच्छी होगी।

क्रिया के आधार पर वाक्य के प्रकार

(1) कर्तरि वाक्य – वे वाक्य, जिनमें क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्त्ता के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होते हैं, कर्तरि वाक्य (कर्ता प्रधान) कहलाते हैं; जैसे- भगवान सब देखता है।

(2) कर्मणि वाक्य – वे वाक्य, जिनमें क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होते हैं, कर्मणि वाक्य (कर्म प्रधान) कहलाते हैं; जैसे- सूचना दे दी जाएगी।

(3) भावे वाक्य – वे वाक्य, जिनमें कर्त्ता तथा कर्म दोनों से अलग यदि भाव की प्रधानता होते हैं, भावे वाक्य कहलाते हैं। भावे वाक्य में क्रिया अनिवार्यतः एकवचन पुल्लिंग में होती हैं; जैसे– रात में सोया नहीं गया।

उपवाक्य के प्रकार / उपवाक्य के भेद

(1) प्रधान उपवाक्य
(2) आश्रित या गौण उपवाक्य

प्रधान उपवाक्य – जो उपवाक्य प्रधान या मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय से बना हो उसे प्रधान उपवाक्य कहते हैं; जैसे- मैं जानता हूँ कि तुम्हारे अक्षर नहीं बनते हैं।

आश्रित उपवाक्य – वह उपवाक्य, जो प्रधान उपवाक्य पर आश्रित रहता हो, आश्रित उपवाक्य कहलाता है; जैसे- मैं जानता हूँ कि तुम्हारे अक्षर नहीं बनते हैं।

प्रधान वाक्य और आश्रित उपवाक्य की पहचान

1. प्रधान उपवाक्य वह होता है जिसकी क्रिया मुख्य होती है।
2. आश्रित उपवाक्यों का आरंभ प्रायः ‘कि’, ‘जो’, ‘जिसे’, ‘यदि’, ‘क्योंकि’ आदि से होता है।
3. मिश्र वाक्य का एक सरल वाक्य में रूपांतरण कीजिए। जो क्रिया वाक्यांत में बनी रहेगी, वही उपवाक्य प्रधान उपवाक्य होगा। रूपांतरित होने वाली क्रिया वाला उपवाक्य आश्रित उपवाक्य होगा।
उदाहरणतया-
‘मोहन परिश्रम करता तो अवश्य सफल होता।’
इस वाक्य का सरल वाक्य इस प्रकार बनेगा-
‘मोहन परिश्रम करने पर अवश्य सफल होता।’

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ध्यान कीजिए, यहाँ ‘परिश्रम करता’ क्रिया रूपांतरित हो गई है। अतः यह आश्रित उपवाक्य है। दूसरी ओर, सफल होता’ क्रिया ज्यों-की-त्यों विद्यमान रही। अतः यह प्रधान उपवाक्य है।

गौण उपवाक्य के प्रकार

मिश्र वाक्य में प्रयुक्त होने वाले गौण उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं-
(क) संज्ञा उपवाक्य (Noun Clause)
(ख) विशेषण उपवाक्य (Adjective Clause )
(ग) क्रियाविशेषण उपवाक्य (Adverbial Clause)

(क) संज्ञा उपवाक्य – जो उपवाक्य प्रधान वाक्य की किसी संज्ञा या संज्ञा-पदबंध के स्थान पर प्रयुक्त हुआ हो, उसे संज्ञा उपवाक्य कहते हैं। जैसे –
राम ने कहा कि हम लड़ाई नहीं चाहते।
यहाँ ‘हम लड़ाई नहीं चाहते’ उपवाक्य ‘राम ने कहा’ उपवाक्य के कर्म के रूप में प्रयुक्त हुआ है। अतः यह संज्ञा उपवाक्य है।
अन्य उदाहरण-
मैंने देखा कि कुछ लोग मेरी ओर बढ़े आ रहे थे।
मैंने निश्चय किया कि मुझे विज्ञान मेला देखने के लिए अवश्य जाना है।
संदीप ने देखा कि एक साँप रेंगता हुआ घास में छिप गया।

★ पहचान-सामान्य रूप से संज्ञा उपवाक्य ‘कि’ से आरंभ होते हैं।

(ख) विशेषण उपवाक्य – जो आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है, उसे विशेषण उपवाक्य कहते हैं। जैसे-
यह वही आदमी है, जिसने कल चोरी की थी।
जो मेहनत करता है, उसे अवश्य सफलता मिलती है।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘जिसने कल चोरी की थी’ और ‘जो मेहनत करता है’ ऐसे आश्रित उपवाक्य हैं, जो क्रमशः ‘आदमी’ संज्ञा तथा ‘उसे’ सर्वनाम की विशेषताएँ बताते हैं।
विशेषण उपवाक्य का प्रारंभ सर्वनाम ‘जो’ अथवा इसके किसी रूप (यथा-जिसने, जिसे, जिससे, जिनको, जिनके लिए आदि) से होता है।

अन्य उदाहरण-
जो विद्यार्थी समय गँवाते हैं, वे एक दिन बहुत पछताते हैं।
जो लोग दूसरों के साथ मीठा बोलते हैं, उन्हें सब प्यार करते हैं। ऐसा कोई नहीं है जो कुश्ती में खली को जीत सके।

(ग) क्रियाविशेषण उपवाक्य – जिस आश्रित उपवाक्य का प्रयोग क्रियाविशेषण की भाँति किया जाता है। अर्थात् जो आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की क्रिया की विशेषता बताता है, उसे क्रियाविशेषण उपवाक्य कहते हैं। जैसे-
जब तुम स्टेशन पर पहुँचे, तब मैं घर से चला।
यदि बोलना नहीं आता, तो चुप रहना चाहिए।
उपर्युक्त वाक्यों में (टेढ़े छपे) शब्द मुख्य उपवाक्यों की क्रियाओं (चलना और चुप रहना) की विशेषताएँ (समय और शर्त) बता रहे हैं, अतः ये क्रियाविशेषण उपवाक्य हैं।

इसके पाँच भेद होते हैं-

(i) कालसूचक उपवाक्य-
जब प्रशांत मेरे पास आया, तब लगभग पाँच बजे थे।
जब मैं घर पहुँचा तब वर्षा हो रही थी।
ज्यों ही मैं स्कूल से बाहर आया, खेल आरंभ हो गया।
★ पहचान-ज्यों ही, जब आदि से आरंभ होने वाले वाक्य कालवाचक क्रियाविशेषण उपवाक्य होते हैं।

(ii) स्थानवाचक उपवाक्य-
वह लड़का जिस तरह चल रहा है, उस तरह किसी स्वस्थ व्यक्ति को नहीं चलना चाहिए।
वह गोरा लड़का जहाँ खड़ा है, वहाँ बड़ी धूप है।
वहाँ इस वर्ष अकाल पड़ सकता है, जहाँ वर्षा नहीं हुई।
★ पहचान – जहाँ, जिधर, जिस जगह आदि क्रियाविशेषणों वाले उपवाक्य आश्रित उपवाक्य होते हैं।

(iii) रीतिवाचक उपवाक्य-
वह ऐसे अटक-अटक कर चोल रहा है, जैसे उसके मुंह में घाव है।
आपको वैसे करना चाहिए जैसे मैं कहता हूँ।
बच्चे वैसे करते हैं जैसे उन्हें सिखाया जाता है।
★ पहचान-जैसा, जिस तरह, जैसे आदि क्रियाविशेषणों वाले उपवाक्य आश्रित उपवाक्य होते हैं।

(iv) परिमाणवाचक उपवाक्य-
वह उतना ही थकेगा, जितना अधिक दौड़ेगा।
उसने जितना परिश्रम किया, उतना ही अच्छा परिणाम मिला।
जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी, वैसे-वैसे धूप में खड़ा रहना कठिन हो जाएगा।
★ पहचान-जितना, जितनी, जैसे-जैसे आदि क्रियाविशेषणों वाले उपवाक्य आश्रित उपवाक्य होते हैं।

(v) परिणाम अथवा हेतुसूचक उपवाक्य-
यदि वर्षा अच्छी होती, तो उपज बढ़ जाती।
वह जरूर परिश्रम करेगा ताकि अच्छे अंक ले सके।
वह इसलिए आएगा ताकि आपसे बात कर सके।
यद्यपि तू पहलवान है, तो भी मुझसे नहीं जीत सकता।
★ पहचान-यदि, यद्यपि, ताकि से आरंभ होने वाले उपवाक्य आश्रित उपवाक्य होते हैं।

वाक्यों का परिवर्तन

(1) सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य

सरल वाक्यसंयुक्त वाक्य
बालक रो-रोकर चुप हो गया।
मुझसे मिलने के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।
कठोर होकर भी सहृदय बनो।
सूर्योदय होने पर पक्षी बोलने लगे।
वह फल खरीदने के लिए बाज़ार गया।
रात को आकाश में तारों का मेला लग गया।
बालक रोता रहा और चुप हो गया।
मुझसे मिल लेना परंतु प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।
कठोर बनो परंतु सहृदय रहो।
सूर्योदय हुआ और पक्षी बोलने लगे।
उसे फल खरीदने थे, इसलिए वह बाज़ार गया।
रात हुई और आकाश में तारों का मेला लग गया।

(2) सरल वाक्य से मिश्र वाक्य

सरल वाक्यमिश्र वाक्य
स्वावलंबी व्यक्ति सदा सुखी रहते हैं।
धनी व्यक्ति हर चीज़ खरीद सकता है।
वह जूते खरीदने के लिए बाज़ार गया।
दंड क्षमा कराने के लिए प्रार्थना-पत्र लिखो।
तुम गाड़ी रुकने के स्थान पर चले जाओ।
परिश्रमी व्यक्ति अवश्य सफल होता है।
जो व्यक्ति स्वावलंबी होते हैं, वे सदा सुखी रहते हैं।
जो व्यक्ति धनी है, वह हर चीज़ खरीद सकता है।
क्योंकि उसे जूते खरीदने थे, इसलिए बाज़ार गया।
एक ऐसा पत्र लिखो, जिसमें दंड क्षमा कराने के लिए प्रार्थना हो ।
तुम वहाँ चले जाओ, जहाँ गाड़ी रुकती है।
जो व्यक्ति परिश्रमी होता है, वह अवश्य सफल होता है।

(3) संयुक्त वाक्य से सरल वाक्य

संयुक्त वाक्यसरल वाक्य
तुम बाहर गए और वह सो गया।
उसने झूठ बोला, इसलिए दंड पाया।
माँ ने मारा, तो बालक रूठ गया।
शशि गा रही है और नाच रही है।
मज़दूर परिश्रम करता है लेकिन उसका लाभ उसे नहीं मिलता।
वह बाज़ार गया और केले लाया।
तुम्हारे बाहर जाते ही वह सो गया।
झूठ बोलने पर उसने दंड पाया।
माँ के मारने पर बालक रूठ गया।
शशि गा और नाच रही है।
मजदूर को अपनी मेहनत का लाभ नहीं मिलता।
वह बाज़ार जाकर केले लाया।

(4) संयुक्त वाक्य से मिश्र वाक्य

संयुक्त वाक्यमिश्र वाक्य
नीरजा ने कहानी सुनाई और नमिता रो पड़ी।
तुम महान हो क्योंकि सच बोलते हो ।
आपने कठिन परिश्रम किया और उत्तीर्ण हो गए।
मेरे पाठ्यक्रम में गोदान उपन्यास है जिसके लेखक मुंशी प्रेमचंद हैं।
नीरजा ने ऐसी कहानी सुनाई कि नमिता रो पड़ी।
तुम इसलिए महान हो क्योंकि सच बोलते हो।
आप इसलिए उत्तीर्ण हो गए क्योंकि आपने कठिन परिश्रम
किया।
मेरे पाठ्यक्रम में गोदान नामक वह उपन्यास है जिसे मुंशी प्रेमचंद ने लिखा है।

(5) मिश्र वाक्य से सरल वाक्य

मिश्र वाक्यसरल वाक्य
रोगी ने ज्योंही दवाई पी, उसे उलटी हो गई।
मुझे बताओ कि तुम्हारे भाई का परीक्षा परिणाम कैसा रहा ?
क्योंकि वह अँधेरे में पढ़ता रहा, इसलिए अपनी आँखें गँवा बैठा ?
वह मुझसे कहता है कि आओ।
यह वही बच्चा है, जिसे बैल ने मारा था।
उसने कहा कि मैं परिश्रमी हूँ।
रोगी को दवाई पीते ही उलटी हो गई।
मुझे अपने भाई के परीक्षा परिणाम के विषय में बताओ।
अँधेरे में पढ़ते रहने के कारण वह अपनी आँखें गँवा बैठा।
वह मुझे आने के लिए कहता है ।
यही बैल से आहत बच्चा है।
उसने स्वयं को परिश्रमी कहा।

(6) मिश्र वाक्य से संयुक्त वाक्य

मिश्र वाक्यसंयुक्त वाक्य
सुषमा इसलिए स्कूल नहीं गई क्योंकि वह बीमार है।
यदि आप उससे मिलना चाहते हैं तो द्वार पर प्रतीक्षा करें।
मेरे पिताजी वे हैं जो पलंग पर लेटे हैं।
जो विद्यार्थी परिश्रमी होता है, वह अवश्य सफल होता है।
सुषमा बीमार है इसलिए स्कूल नहीं गई।
आप उससे मिलना चाहते हैं इसलिए द्वार पर प्रतीक्षा करें।
वे मेरे पिताजी हैं और पलंग पर लेटे हैं।
विद्यार्थी परिश्रमी होता है तो अवश्य सफल होता है।








                          ★★★ निवेदन ★★★

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