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विज्ञान : वरदान या अभिशाप पर निबंध / essay on science : bloom or curse in hindi
रूपरेखा-(1) प्रस्तावना, (2) विज्ञान का कल्याणकारी पक्ष, (3) विज्ञान का विनाशकारी पक्ष, (4) उपसंहार।
प्रस्तावना-
दिन के साथ रात, प्रकाश के साथ अन्धकार और सुख के साथ दुख जुड़े हुए हैं। संसार में अच्छाई के साथ बुराई है, पुण्य के साथ पाप भी है, वरदान के साथ अभिशाप भी है। दुनिया की हर वस्तु की भाँति विज्ञान भी दुरंगा है। वह मानव को विकास की ओर भी ले जा रहा है और विनाश की और भी।
विज्ञान का कल्याणकारी पक्ष-
आज विज्ञान के बढ़ते हुए चरण निरन्तर मानव के लिए कल्याण का पक्ष प्रशस्त कर रहा है। यन्त्रों के विकास के कारण मनुष्य के समय और श्रम की बहुत बचत हो गयी है। इसका उपयोग अब वह जीवन को और अधिक सुखमय बनाने के लिए कर सकता है। भौगोलिक दूरियाँ कम हो जाने से विश्व-बन्धुत्व की भावना को बल मिला है। एक देश की घटना दूसरे देश को तुरन्त प्रभावित करती है। विज्ञान ने हमें अनेक भौतिक सुख-सुविधाएँ प्रदान की हैं।
इनकी गणना करना कठिन है। वैभव और विलास की अनन्त सामग्री जुटाकर विज्ञान ने धरती पर स्वर्ग उतार दिया है। विज्ञान ने मनुष्य को सर्वशक्तिशाली बना दिया है। ज्ञान के नये-नये क्षितिज खोल दिये हैं। वस्तुतः धन है। विज्ञान ने भूखे को रोटी और नंगे को वस्त्र दिये हैं। अन्धे को आँखे दी हैं,लंगड़े को पर्वत लाँघने की शक्ति दी हैं। वह निर्बल का बल और निर्धन का धन है।
विज्ञान का विनाशकारी पक्ष
यह दुर्भाग्य की बात है कि इसी विज्ञान के कारण महाविनाश की विकराल छाया भी मानव के सिर पर मँडराने लगी है। आज वैज्ञानिक यन्त्रों और सुख सुविधाओं के कारण मनुष्य निकम्मा और आलसी होता जा रहा है। वह केवल मशीनों का दास बनकर रह गया है। भौतिसक भोग-विलास के पीछे मनुष्य भाग रहा है। स्वार्थ, लोभ, क्रूरता, दम्भ, बर्बरता आदि राक्षसी प्रवृत्तियाँ पनप रही हैं। मनुष्य में आज त्याग, स्नेह, करुणा,सहानुभूति, सत्य, अहिंसा आदि सद्गुणों का निरन्तर अभाव होता जा रहा है।
ईश्वर को वह मानता नहीं, धर्म में उसका विश्वास नहीं रहा है। मानव के रूप में वह दानव होता जा रहा है और सबसे बड़ी बात तो यह है कि कहा नहीं जा सकता, किस पल सर्वस्व स्वाहा हो जाय। भयंकर आणविक अस्त्रों के भण्डार किसी भी क्षण संसार को समाप्त कर सकते हैं। तब न ये विज्ञान के आविष्कार रहेंगे और न उनसे आनन्द उठाने वाला मानव ही रहेगा। एक पाश्चात्य विचारक ने ठीक ही कहा है कि अगला विश्व युद्ध अणु शस्त्रों से लड़ा जायेगा और उससे अगले युद्ध में तीर कमान का प्रयोग होगा अर्थात् सम्पूर्ण वैज्ञानिक प्रगति समाप्त हो जायेगी। धरती पर आदिम युग लौट आयेगा।
उपसंहार-
विज्ञान के इन दोनों पक्षों पर दृष्टि डालने से यह स्पष्ट हो जाता है कि विज्ञान मनुष्य के लिए मंगलमय भी है और अमंगलमय भी, उसने हमें बाहर से सुखी किया है, भीतर से अशान्त और व्याकुल बना दिया है। शरीर को जिन्दा रखने की चेष्टा की है, आत्मा को जहर दे दिया है। लगता है विज्ञान मनुष्य को स्वर्ग में रहने का वरदान देने के साथ-साथ ही नरक भोगने का शाप भी दिया है।
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◆◆◆ निवेदन ◆◆◆
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