विशेषण की परिभाषा एवं प्रकार / विशेषण के भेद प्रयोग और उदाहरण

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विशेषण की परिभाषा एवं प्रकार / विशेषण के भेद प्रयोग और उदाहरण

विशेषण की परिभाषा एवं प्रकार / विशेषण के भेद प्रयोग और उदाहरण

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विशेषण की परिभाषा

संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता प्रकट करने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं। जैसे- काली गाय अधिक दूध देती है।
चरित्रवान व्यक्ति अच्छे कर्म करता है।

उपर्युक्त वाक्यों में काली ‘गाय’ का विशेषण है; अधिक ‘दूध’ का; चरित्रवान विशेषण ‘व्यक्ति’ का तथा अच्छे विशेषण ‘कर्म’ की विशेषता बता रहा है।

विशेषण और विशेष्य

जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता प्रकट की जाती है, उसे विशेष्य; और जो विशेषता-सूचक शब्द होता है, उसे विशेषण कहते हैं। विशेषण शब्द प्रायः विशेष्य से पहले आता है।
जैसे- मुझे मीठे व्यंजन अच्छे लगते हैं।
काली बिल्ली को देखो।
एक किलो चीनी लाओ।

उपर्युक्त वाक्यों में क्रमशः ‘व्यंजन’, ‘बिल्ली’ और ‘चीनी’ विशेष्य तथा ‘मीठे’, ‘काली’, और ‘एक किलो’ शब्द विशेषण हैं। कभी-कभी विशेषण शब्द विशेष्य के बाद भी प्रयुक्त होते हैं।
जैसे- यह छात्र बुद्धिमान है।
ये फल बहुत मीठे हैं।

उद्देश्य/विशेष्य-विशेषण और विधेय विशेषण

विशेष्य से पूर्व आने वाले विशेषण विशेष्य-विशेषण या उद्देश्य-विशेषण कहलाते हैं तथा विशेष्य के बाद आने वाले विशेषण को ‘विधेय विशेषण’ कहते हैं।
उदाहरणतया-
चतुर बालक अपना काम कर लेते हैं। (विशेष्य विशेषण)
सफ़ेद घोड़ा तेज भागता है। (विशेष्य विशेषण)
कठोर वचन मत कहो। (विशेष्य विशेषण)
उसकी चाल तेज है। (विधेय विशेषण)

‘विधेय विशेषण’ वाक्य के विधेय भाग का अंश होता है। जबकि ‘उद्देश्य विशेषण’ उद्देश्य भाग का अंश होता है।

” ध्यातव्य-विशेषण चाहे ‘उद्देश्य-विशेषण’ हो, चाहे ‘विधेय विशेषण’ परंतु दोनों ही स्थितियों में उनका रूप संज्ञा या सर्वनाम के अनुसार बदलता है।

प्रविशेषण

जो विशेषण विशेषणों की भी विशेषता बतलाते हैं, वे प्रविशेषण कहलाते हैं। यथा-
मोहन बहुत सुंदर बालक है।
यहाँ ‘सुंदर’ विशेषण है तथा ‘बहुत’ प्रविशेषण है। ‘बहुत’ सुंदर (विशेषण) की भी विशेषता बता रहा है। अतः यह विशेषण का भी विशेषण अर्थात् ‘प्रविशेषण’ है।

प्रविशेषणों के अन्य उदाहरण-
(i) मोहनी अत्यंत सुंदरी है। (‘अत्यंत प्रविशेषण)
(ii) अपूर्व घोर परिश्रमी बालक है। (‘घोर’ प्रविशेषण)
(iii) मुझे बहुत अधिक शोर बुरा लगता है। (‘बहुत’ प्रविशेषण)

विशेषण के भेद (Kinds of Adjective)

विशेषण के चार भेद होते हैं-
1. गुणवाचक विशेषण (Adjective of Quality)
2. परिमाणवाचक विशेषण (Adjective of Quantity)
3. संख्यावाचक विशेषण (Numeral Adjective)
4. सार्वनामिक विशेषण (या संकेतवाचक अथवा निर्देशवाचक विशेषण) (Demonstrative Adjective)

1. गुणवाचक विशेषण (Adjective of Quality)

‘विशेषण’ का अर्थ ही है-‘गुण’ । परंतु ‘गुण’ का तात्पर्य केवल अच्छी विशेषताओं से नहीं है। यहाँ ‘गुण’ का तात्पर्य है-किसी भी वस्तु या व्यक्ति की विशेष स्थिति, विशेष दशा, विशेष दिशा, रंग, गंध, काल, स्थान, आकार, रूप, स्वाद, बुराई, अच्छाई आदि। अतः जो विशेषण किसी संज्ञा या सर्वनाम की उपर्युक्त विशेषताओं का बोध कराए, उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं। कुछ प्रचलित विशेषण निम्नलिखित हैं-

गुण-दोष-अच्छा, बुरा, सरल, परिश्रमी, ईमानदार, सच्चा, झूठा, दानी, दयालु, कृपण आदि ।

रंग-काला, पीला, नीला, हरा, लाल, सुनहरा, चमकीला, गुलाबी आदि ।

आकार-छोटा, बड़ा, गोल, ऊँचा, लंबा, चौड़ा, तिकोना, चौकोर आदि।

स्वाद – खट्टा मीठा, मधुर, कड़वा, नमकीन, तिक्त, कसैला आदि।

स्पर्श-कठोर, नरम, खुरदरा, कोमल, चिकना, स्निग्ध आदि।

गंध-सुगंधित, दुर्गधपूर्ण, खुशबूदार, बदबूदार, सोंधा, गंधहीन आदि ।

दिशा-उत्तरी, पूर्वी, पश्चिमी, दक्षिणी, पश्चिमोत्तरी, पाश्चात्य आदि।

दशा-नया, पुराना, स्वस्थ, बीमार, रोगी, फटा हुआ आदि।

अवस्था-युवा, बूढ़ा, अधेड़, प्रौढ़, तरुण आदि ।

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स्थान-ग्रामीण, भारतीय, रूसी, बनारसी, देशी विदेशी, बाहरी आदि।

काल-आधुनिक, प्राचीन, ताज्ञा, पुराना, बासी, ऐतिहासिक आदि ।

गुणवाचक विशेषण के प्रकार

कालबोधक गुणवाचक विशेषण : वह विशेषण जिसके द्वारा
किसी वस्तु का गुण उसके काल (समय) से पता चलता हो वह
कालबोधक गुणवाचक विशेषण कहलाता है; जैसे- नया कपड़ा,
पुराना घर, मौसमी फल, ताजा दूध, प्राचीन मंदिर आदि।

रंगबोधक गुणवाचक विशेषण : वह विशेषण जिसके द्वारा
किसी वस्तु का गुण, रंग के माध्यम से पता चले, वह
रंगबोधक गुणवाचक विशेषण कहलाता है; जैसे- लाल
गुलाब, पीला कपड़ा, हरा रंग, बैंगनी पर्दा आदि।

दशाबोधक गुणवाचक विशेषण : वह विशेषण जिसके द्वारा
किसी वस्तु के गुण का पता, उसकी दशा (स्थिति) के
माध्यम से चले उसे दशाबोधक गुणवाचक विशेषण कहा जाता है;
जैसे- मोटा लड़का, पतला ब्रश, युवा महोत्सव, वृद्ध आश्रम,
सूखा रंग आदि।

गुणबोधक गुणवाचक विशेषण : वह विशेषण जिसके द्वारा
किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण का पता उसके गुण के माध्यम से
चले, उसे गुणबोधक गुणवाचक विशेषण कहा जाता है; जैसे-
अच्छा खाना, भला व्यक्ति, बुरा व्यवहार, सच्चा मित्र, न्यायी
सरपंच, सीधा व्यक्ति आदि।

आकार बोधक गुणवाचक विशेषण : जिस विशेषण (शब्द)
के माध्यम से किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण का पता उसके
आकार के माध्यम से चले, उसे आकार बोधक गुणवाचक
विशेषण कहा जाता है; जैसे- गोल बिंदी, तिकोना प्लॉट, चौड़ा
रास्ता, लम्बा डण्डा आदि।

स्थानबोधक गुणवाचक विशेषण : वह विशेषण जिसके द्वारा
किसी व्यक्ति या वस्तु की स्थानीयता के गुण का बोध हो,
स्थानबोधक गुणवाचक विशेषण कहलाता है; जैसे- भारतीय
लोग, भीतरी दीवार, बाहरी खाना, दायाँ बायाँ इत्यादि।

नोट : गुणवाचक विशेषणों में सा सादृश्यवाचक पद जोड़कर गुणों
को कम भी किया जाता है; जैसे- बड़ा-सा, ऊँची-सी, पीला-सा,
छोटी-सी।

2. परिमाणवाचक विशेषण (Adjective of Quantity)

जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की माप-तोल संबंधी विशेषता को प्रकट करे, उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरणतया- पहलवान रोज़ चार किलो दूध पीता है।
वह बाद में कुछ घी खाता है।

यहाँ चार किलो दूध का माप है। कुछ घी का माप है। इन दोनों वस्तुओं को गिना नहीं जा सकता, केवल मापा जा सकता है। इसलिए ये परिमाणवाचक विशेषण हैं।

परिमाणवाचक विशेषण के प्रकार

परिमाणवाचक विशेषण दो प्रकार के होते हैं-
(i) निश्चित परिमाणवाचक-जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम के निश्चित परिमाण का बोध कराते हैं, उन्हें निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं। जैसे- पाँच किलो, दस क्विंटल, एक तोला सोना, दस मीटर कपड़ा आदि।

कुछ वाक्य-प्रयोग देखिए-
(i) हमें तो बस एक किलो चावल चाहिए।
(ii) जाते ही दो कप चाय तैयार मिली।

(ii) अनिश्चित परिमाणवाचक-जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम के निश्चित परिमाण का नहीं, अपितु अनिश्चित परिमाण का बोध कराते हैं, उन्हें अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
यथा– ढेर सारा मक्खन, बहुत-सी लस्सी, कई किलो दही, पचासों मन गेहूँ, तनिक अचार, थोड़ी चटनी, ज़रा-सा पापड़ आदि।

कुछ वाक्य-प्रयोग देखिए-
(i) कुछ चावल तो रखे हैं।
(ii) वहाँ बहुत मिठाइयाँ रखी थीं।

3. संख्यावाचक विशेषण (Numeral Adjective)

जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की संख्या संबंधी विशेषता का बोध कराते हैं, उन्हें संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरणतया-
(i) यहाँ पाँच सेब रखे हैं।
(ii) मैं तुमसे तिगुना खा सकता हूँ।
(iii) सचिन ने दोहरा शतक जमाया।

संख्यावाचक विशेषण के प्रकार

संख्यावाचक विशेषण भी दो प्रकार के होते हैं-

(क) निश्चित संख्यावाचक विशेषण – ये शब्द (विशेषण) संज्ञा या सर्वनाम की किसी निश्चित संख्या का बोध नहीं कराते, बल्कि उसका अस्पष्ट अनुमान प्रस्तुत करते हैं। इसके भी निम्नलिखित छः भेद होते हैं-
(a) अंकबोधक-जिससे अंक या गिनती का बोध हो। जैसे एक, तीन, आधा, चौथाई, साढ़े पाँच आदि।
(b) क्रमबोधक-जिस विशेषण से क्रम का बोध हो। उसे क्रमबोधक विशेषण कहते हैं। यथा-पहला, चौथा आदि।
(c) आवृत्तिबोधक-जिस विशेषण से किसी संज्ञा सर्वनाम की तहों या गुणन का बोध हो, उसे आवृत्ति-बोधक कहते हैं। जैसे-दुगुना, चौगुना, इकहरा, दुहरा, तिहरा आदि ।

(d) समुदायबोधक-जिस विशेषण से कुछ संख्याओं के इकट्ठे समूह का बोध हो, उसे समुदायबोधक विशेषण कहते हैं। जैसे-दोनों, तीनों, चारों, तीनों के तीनों, सभी, सब-के-सब आदि।
(e) समुच्चयबोधक-संज्ञा या सर्वनाम के किसी प्रचलित समुच्चय को प्रकट करने वाले विशेषण समुच्चयबोधक कहलाते हैं। जैसे-दर्जन, युग्म, जोड़ा, पच्चीती, सैकड़ा, शतक, चालीसा, सतसई आदि ।
(f) प्रत्येकबोधक विशेषण-जिस विशेषण से प्रत्येक का अथवा विभाग का बोध होता है, उसे प्रत्येकबोधक विशेषण कहते हैं। जैसे-प्रत्येक, हरएक, हरमास, हरवर्ष, एक-एक, चार-चार आदि।

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(ख) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण-ये शब्द (विशेषण) संज्ञा या सर्वनाम की किसी निश्चित संख्या का बोध नहीं कराते, बल्कि उसका अस्पष्ट अनुमान प्रस्तुत करते हैं। जैसे कुछ, कई, काफी, थोड़े, बहुत आदि ।

परिमाणवाचक और संख्यावाचक विशेषणों में अंतर-यदि विशेष्य गिनी जाने वाली वस्तु हो, तो उसके साथ प्रयुक्त विशेषण संख्यावाचक माना जाता है, अन्यथा उसे परिमाणवाचक विशेषण माना जाता है।
जैसे– आज मैंने अधिक केले खा लिए। (संख्या)
कुछ दूध मेरे लिए छोड़ देना। (परिमाण)
मैंने चार संतरे खाए। (संख्यावाचक)
मैंने एक लीटर पानी पिया (परिमाणवाचक)

4. सार्वनामिक विशेषण (Demonstrative Adjective)

जो सर्वनाम विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं, वे सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-वह खंभा गिर जाएगा। यहाँ वह सर्वनाम ‘खंभा’ की विशेषता प्रकट कर रहा है। अतः यह सार्वनामिक विशेषण है।
सार्बनामिक विशेषण के चार भेद हैं

(i) निश्चयवाचक/संकेतवाचक सार्वनामिक विशेषण-ये संज्ञा या सर्वनाम की ओर निश्चयात्मक संकेत करते हैं।
यथा– यह किताब उठा दो।
उस घर में मोहन रहता है।

(ii) अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण-ये संज्ञा या सर्वनाम की ओर अनिश्चयात्मक संकेत करते हैं। यथा-
कोई आदमी मिलने आया है।
दूध में कुछ चीज़ गिर गई है।

(iii) प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण-ये विशेषण संज्ञा या सर्वनाम से संबंधित प्रश्नों का बोध कराते हैं।
जैसे– कौन लड़का खड़ा है ?
किस खिलाड़ी ने सर्वाधिक रन बनाए ?

(iv) संबंधवाचक सार्वनामिक विशेषण-ये विशेषण एक संज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य में प्रयुक्त अन्य संज्ञा या सर्वनाम शब्द के साथ जोड़ते हैं।
यथा– जो लड़का कल आएगा, उसे अभी पहचान लो ।
मैंने उसकी किताब वापस कर दी।

सार्वनामिक विशेषण और सर्वनाम में अंतर-यदि सार्वनामिक विशेषण का प्रयोग संज्ञा या सर्वनाम शब्द से पहले हो, तो यह सार्वनामिक विशेषण कहलाएगा और यदि अकेले (संज्ञा के स्थान पर) प्रयुक्त हो तो सर्वनाम कहलाएगा।
जैसे- यह लड़का बहुत चालाक है। (सार्वनामिक विशेषण)
यह काफी कमज़ोर है। (सर्वनाम)
आप किसकी बात कर रहे हैं (सर्वनाम)
आप किसकी किताब उठाए हुए हैं ? (सार्वनामिक विशेषण)

विशेषणों की अवस्थाएं / तुलना
(Degrees of Comparison)

विशेषणों की तुलना के आधार पर तीन अवस्थाएँ मानी जाती हैं-मूलावस्था, उत्तराबस्था तथा उत्तमावस्था ।

1. मूलावस्था (Positive Degree)-इसमें किसी प्रकार की तुलना नहीं होती, केवल विशेषण का सामान्य कथन होता है।
जैसे- अरुण अच्छा लड़का है।

2. उत्तरावस्था (Comparative Degree)- इसमें दो व्यक्तियों या पदार्थों की तुलना करके एक को दूसरे से अधिक या न्यून बताया जाता है।
जैसे- अरुण राजीव से अच्छा है।
वह तुम्हारी अपेक्षा समझदार है।

3. उत्तमावस्था (Superlative Degree) – इसमें दो या दो से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं की तुलना की जाती है तथा एक को सबसे बढ़कर या सबसे कम बताया जाता है।
उदाहरणतया- अरुण सब छात्रों से अच्छा है।

मूलावस्था                    उत्तरावस्था                      उत्तमावस्था

अधिक                      अधिकतर                      अधिकतम
उच्च                          उच्चतर                         उच्चतम
उत्कृष्ट                       उत्कृष्टतर                       उत्कृष्टम
कुटिल                       कुटिलतर                       कुटिलतम
अच्छा                        बेहतर                          बेहतरीन

विशेषणों की रचना
(Construction of Adjectives)

हिंदी में मूल रूप से विशेषण शब्द बहुत कम हैं। कुछ मूल विशेषण हैं-बुरा, अच्छा, लंबा, छोटा, बड़ा आदि। अधिकांश विशेषण संज्ञा, क्रिया, सर्वनाम या अव्यय से उत्पन्न हुए हैं।
उदाहरणतया-

(a) संज्ञा शब्दों से व्युत्पन्न विशेषण-अधिकांश विशेषण संज्ञा शब्दों से ही व्युत्पन्न होते हैं। जैसे – लखनवी,नागरिक,आदरणीय,नमकीन आदि।

(b) सर्वनामों से व्युत्पन्न विशेषण
जैसे – ऐसा, जैसा, वैसा,

( c ) क्रिया से विशेषण बनाना
जैसे – चालू,गोड़ा,पठित,हँसोड़,भुलक्कड़,

(d) अव्यय शब्दों से विशेषण बनाना
जैसे – ऊपरी,पिछला,अगला,निचला,

कुछ शब्दों के विशेषण शब्द

शब्द                                         विशेषण

अंक                                          अंकित
अंश                                          आंशिक
अनुकरण                                    अनुकरणीय
अर्थ                                           आर्थिक
आत्मा                                         आत्मिक
आदर                                          आदरणीय
आश्रय                                         आश्रित
इतिहास                                        ऐतिहासिक
ईश्वर                                             ईश्वरीय
ऊपर                                             ऊपरी 
कर्तव्य                                          कर्तव्यपरायण
कल्पना                                          काल्पनिक
किताब                                          किताबी
कृपा                                              कृपालु
खेल                                              खिलाड़ी
चमक                                             चमकीला
चिकित्सा                                        चिकित्सक
ज्योति                                            ज्योतिर्मय
जीव                                              जैविक
जोश                                             जोशीला
तप                                                तपस्वी
धर्म                                               धार्मिक
नमक                                             नमकीन
प्यास                                              प्यासा
परलोक                                          पारलौकिक
प्रमाण                                            प्रमाणिक
बल                                                बलवान

विशेषण, लिंग, वचन और कारक का विशेषण पर प्रभाव

विशेषण विकारी होते हैं। उनमें तीन कारणों से विकार आता है-
I. लिंग-भेद के कारण
II. वचन-भेद के कारण
III. कारक-भेद के कारण

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नीचे तीनों के कारण ‘विशेषण’ के स्वरूप में होने वाले परिवर्तन दिखाए जा रहे हैं-

I. लिंग का विशेषण पर प्रभाव-

यदि मूल विशेषण आकारांत हो तो वह स्त्रीलिंग विशेष्य के अनुसार ईकारांत हो जाता है।
उदाहरणतया-
‘अच्छा’ का ‘अच्छी’
‘भला’ का ‘भली’
‘बुरा’ का ‘बुरी’
वान से वती
मान से मती
मय से मयी

वाक्य प्रयोग द्वारा इस तथ्य को समझें–

पुल्लिंग प्रयोग                            स्त्रीलिंग प्रयोग

यह प्रसंग अनूठा है।                      यह घटना अनूठी है। 
रमेश ठिगना युवक है।                   रीना ठिगनी युवती है।
रोमिल अच्छा कवि है।                  रोमिल अच्छी कवयित्री है।
सोहन लंबा है।                            सोनी लंबी है।
यह कमरा चौड़ा है।                       यह गली चौड़ी है।
तकिया मैला हो गया है।                 चादर मैली हो गई है।
उसका पति रूपवान है।                 उसकी पत्नी रूपवती है।
महेश बलवान युवक है।                 सरिता बलवती युवती है।
यह दृश्य गरिमामय है।                   यह स्थिति गरिमामयी है।
अध्यापक बुद्धिमान है।                   अध्यापिका बुद्धिमती है।

‘आकारांत’ को छोड़कर अन्य विशेषणों पर लिंग का कोई प्रभाव नहीं होता।
उदाहरणतया-
पुल्लिंग                               स्त्रीलिंग

ग्रामीण लड़का                     ग्रामीण लड़की
नमकीन केला                      नमकीन मूली
शहरी युवक                        शहरी युवती
दयालु पुरुष                        दयालु स्त्री
बिकाऊ घर                        बिकाऊ जमीन

II. वचन का विशेषण पर प्रभाव-

विशेषण विकारी शब्द होता है। इसके रूप में वचन के कारण भी परिवर्तन आता है।
उदाहरणतया-
पीला कपड़ा                    पीले कपड़े
लंबा युवक                      लंबे युवक
मेरा लड़का                      मेरे लड़के
मैला कुरता                      मैले कुरते ।

यह परिवर्तन केवल आकारांत पुल्लिंग विशेषण रूपों में होता है। स्त्रीलिंग विशेषणों के बहुवचन रूपों में कोई परिवर्तन नहीं होता।
उदाहरणतया-
पीली साड़ी                      पीली साड़ियाँ
लंबी युवती                      लंबी युवतियाँ
गुणवती स्त्री                      गुणवती स्त्रियाँ
छोटी लड़की                      छोटी लड़कियाँ

आकारांत को छोड़कर अन्य विशेषणों के बहुवचन रूप भी अपरिवर्तित रहते हैं। उदाहरणतया-
शरारती बच्चा                      शरारती बच्चे
बहादुर लड़का                      बहादुर लड़के
रोचक पुस्तक                      रोचक पुस्तकें
बातूनी लड़की                      बातूनी लड़कियाँ

आकारांत पुल्लिंग विशेषणों के वाक्य-प्रयोग

एकवचन बहुवचन
ठिगना युवक अंदर आ जाए। ठिगने युवक अंदर आ जाएँ।

अच्छा कवि कौन है ? अच्छे कवि कौन हैं ?
यह फर्श चिकना है। ये फर्श चिकने हैं।
उसका घर छोटा है। वहाँ छोटे-छोटे घर हैं।
मेरा लड़का शर्माला है। मेरे लड़के शर्मीले हैं।
यह रास्ता पथरीला है। ये रास्ते पथरीले हैं।
रेतीला किनारा ढह गया। रेतीले किनारे ढह गए।

III . कारक का विशेषण पर प्रभाव

कारक के कारण विशेषण के प्रयुक्त स्वरूप में अंतर आता है। उदाहरणतया-
कर्ता कारक-अच्छा बालक गीता पढ़ता है।
अच्छे बालक ने गीता पढ़ी।

(यहाँ कर्ता के दो रूप हैं- ‘ने’ रहित तथा ‘ने’ सहित। दोनों में ‘अच्छा’ विशेषण का रूप परिवर्तित हो गया ।)

कर्म कारक- राम ने मीठा फल खाया।
राम ने मीठे फल को खाया।

(यहाँ ‘फल’ कर्म के दो रूप हैं- ‘को’ रहित तथा ‘को’ सहित। दोनों में मीठा’ विशेषण का रूप परिवर्तित हो गया।

IV. विशेषण का विशेषण पर प्रभाव-

एक वाक्य में एकाधिक विशेषण हों तो उनमें एक अंतःसंबंध होता है। सभी विशेषण लिंग और वचन का अनुसरण करते हैं। इस बारे में कुछ नियम इस प्रकार हैं-
यदि एक विशेषण पुल्लिंग हो तो शेष विशेषण भी पुल्लिंग होते हैं। स्त्रीलिंग में भी यही संगति बनी रहती है।
उदाहरणतया-
रमेश अच्छा भला लंबा-तगड़ा विनम्र युवक है।
(इसमें प्रयुक्त सभी विशेषण पुल्लिंग-बोधक हैं।)
रीमा अच्छी भली लंबी-तगड़ी विनम्र युवती है।
(इसमें प्रयुक्त सभी विशेषण स्त्रीलिंग वाची हैं। ध्यातव्य है कि ‘विनम्र’ उभयलिंगी है।)



                      ★★★ निवेदन ★★★

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