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व्यतिरेक अलंकार की परिभाषा एवं उदाहरण / व्यतिरेक अलंकार के उदाहरण व स्पष्टीकरण
व्यतिरेक अलंकार की परिभाषा
जहाँ उपमेय को उपमान से श्रेष्ठ बताया जाय और उसका कारण भी दिया जाये,वहाँ व्यतिरेक अंलकार होता है।
उदाहरण – ‘साधू ऊँचे शैल सम, किन्तु प्रकृति सुकुमार
स्पष्टीकरण – यहाँ सज्जनों को पर्वतों के समान ऊँचा बताया गया है, पर उनमें यह बात अधिक बतायी गयी कि उनकी प्रकृति कोमल होती है जबकि पर्वतों की प्रकृति कोमल नहीं कठोर होती है।
व्यतिरेक अलंकार के अन्य उदाहरण –
(1) जनम सिन्धु, पुनि बंधु विष, दिन मलीन, सकलंक।
सिय मुख समता पात्र किमि, चन्द बापुरो रंक ॥
(2) संत हृदय नवनीत समाना, कहा कविन पै कहत न जाना।
(3) चन्द्र सकलंक ,मुख निष्कलंक, दोनों में समता कैसी ?
(4) जनम सिधु, पुनि बंधु विप, दिन मलीन, सकलंक।
सिय मुख समता पाव किमि चन्द्र बापुरो रंक ।
(5) “साधू ऊंचे रौल सम, किन्तु प्रकृति सुकुमार |
(6) सम सुबरन सुखमाकर सुजस न थोर ।
सिय अंग सखि कोमल कनक कठोर ।।
(7) गुण मयंक सो है, सखि मधुर वचन सविशेष।
★★★ निवेदन ★★★
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