श्रृंगार रस की परिभाषा एवं उदाहरण / श्रृंगार रस के उदाहरण व स्पष्टीकरण

हिंदी व्याकरण विभिन्न परीक्षाओं जैसे UPTET,CTET, SUPER TET,UP POLICE,लेखपाल,RO/ARO,PCS,LOWER PCS,UPSSSC तथा प्रदेशों की अन्य परीक्षाओं की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी विषय है। हमारी वेबसाइट istudymaster.com आपको हिंदी व्याकरण के समस्त टॉपिक के नोट्स उपलब्ध कराएगी। दोस्तों हिंदी व्याकरण की इस श्रृंखला में आज का टॉपिक श्रृंगार रस की परिभाषा एवं उदाहरण / श्रृंगार रस के उदाहरण व स्पष्टीकरण है। हम आशा करते है कि इस टॉपिक से जुड़ी आपकी सारी समस्याएं समाप्त हो जाएगी।

श्रृंगार रस की परिभाषा एवं उदाहरण / श्रृंगार रस के उदाहरण व स्पष्टीकरण

श्रृंगार रस की परिभाषा एवं उदाहरण / श्रृंगार रस के उदाहरण व स्पष्टीकरण

चलिए अब समझते है – श्रृंगार रस किसे कहते हैं,श्रृंगार रस के उदाहरण,श्रृंगार रस के सरल उदाहरण,श्रृंगार रस का स्थायी भाव,श्रृंगार रस की परिभाषा एवं उदाहरण / श्रृंगार रस के उदाहरण व स्पष्टीकरण

श्रृंगार रस की परिभाषा

काव्य में नायक-नायिका के सौन्दर्य तथा प्रेम सम्बंधी वर्णन की परिपक्व अवस्था को शृंगार रस कहा जाता है अर्थात् आश्रय के मन में आलंबन के प्रति जाग्रत रति (प्रेम) भाव जिस रस के रूप में निष्पन्न होता है, वह श्रृंगार रस कहलाता हैं।

श्रृंगार रस के अवयव
1.आश्रय – नायक
2.आलम्बन – नायिका
3.उद्दीपन – नायिका की चेष्टाएँ-हाव-भाव, तिरछी चितवन, मुस्कान
4.अनुभाव – कटाक्ष, आलिंगन, चुम्बन आदि।
5.संचारी भाव – लज्जा, हर्ष, चपलता

श्रृंगार रस के प्रकार

(1) संयोग श्रृंगार (2) वियोग श्रृंगार

(1) संयोग श्रृंगार – 

जहाँ आश्रय-आलंबन के सहभाव से युक्त श्रृंगार का चित्रण हो वहाँ संयोग शृंगार होता है। अर्थात् काव्य में वर्णित वह स्थान जहाँ नायक और नायिका की मिलन (संयोग) का वर्णन हो संयोग श्रृंगार कहलाता है। रति नामक स्थायीभाव ही श्रृंगार रस में परिणत हो जाता है।

संयोग श्रृंगार के उदाहरण एवं स्पष्टीकरण

उदाहरण – 1

देखन मिस मृग-बिहँग-तरु, फिरति बहोरि-बहोरि ।
निरिख-निरिख रघुबीर-छवि, बढ़ी प्रीति न थोरि ॥
देखि रूप लोचन ललचाने। हरखे जनु निज निधि पहिचाने ॥
थके नयन रघुपति-छवि देखी। पलकन हू परहरी निमेखी ॥
अधिक सनेह देह भइ भोरी। सरद-ससिहि जनु चितव चकोरी ॥
लोचन-मग रामहिं उर आनी। दीन्हें पलक-कपाट सयानी ॥

-तुलसी (रामचरितमानस)

See also  संदेह अलंकार की परिभाषा एवं उदाहरण / संदेह अलंकार के उदाहरण व स्पष्टीकरण

स्पष्टीकरण – रस-संयोग, श्रृंगार स्थायी भाव – रति । आश्रय-सीता। आलम्बन – राम  उद्दीपन-वाटिका आदि। अनुभाव-स्तम्भ, देह का भारी होना, नयनों का थकित होना,एकटक देखना। संचारी भाव – हर्ष, जड़ता। अतः यहाँ संयोग श्रृंगार हैं।

उदाहरण – 2

कौन हो तुम वसन्त के दूत
विरस पतझड़ में अति सुकुमार;
घन तिमिर में चपला की रेख
तपन में में शीतल मन्द बयार!

स्पष्टीकरण – इस प्रकरण में रति स्थायी भाव है। आलम्बन विभाव है—श्रद्धा (विषय) और मनु (आश्रय)। उद्दीपन विभाव है— एकान्त
प्रदेश, श्रद्धा की कमनीयता, घने अन्धकार में बिजली की चमक और शीतल-मन्द पवन। संचारी भाव है-मनु के हर्ष, चपलता,आशा, उत्सुकता आदि भाव। इस प्रकार विभावादि से पुष्ट रति नामक स्थायी भाव संयोग शृंगार रस की दशा को प्राप्त हुआ है।

(2) वियोग श्रृंगार –

काव्य में वह स्थान जहाँ नायक-नायिका के वियोग का वर्णन हो, वियोग श्रृंगार कहलाते हैं। इसका स्थायी भाव रति है।

वियोग श्रृंगार के उदाहरण एवं स्पष्टीकरण

उदाहरण – 1

भूषन-बसन बिलोकत सिय के ।
प्रेम-बिबस मन, कंप पुलक तन,
नीरज- नैन नीर भरे पिय के।
सकुचत कहत, सुमिरि उर उमगत,
सील – सनेह-सुगुन-गन तिय के ॥

स्पष्टीकरण –  रस – वियोग शृंगार । स्थायी भाव – रति । आश्रय-राम। आलम्बन – सीता उद्दीपन-सीता के वस्त्राभूषणों को देखना। अनुभाव-कंप, रोमांच, अश्रु । संचारी भाव-स्मृति, संकोच, उमंग। अतः यहाँ वियोग श्रृंगार हैं।

उदाहरण – 2

बैठि अटा सर औधि बिसूरति
पाय सँदेस न ‘ श्रीपति’ पी के ।
देखत छाती फटै निपटै, उछटै
जब बिज्जु छटा छबि नीके ॥
कोकिल कुरूँ, लगेँ तक लूक,
उठै हिय हूकै बियोगिनि ती के।
बारि के बाहक, देह के दाहक
आये बलाहक गाहक जी के ॥

स्पष्टीकरण –  रस-वियोग श्रृंगार स्थायी भाव-रति । आश्रय-नायिका। आलम्बन-नायक । उद्दीपन-वर्षाकाल, बादलों का उमड़ना, बिजली का चमकना, कोयलों का कूकना। संचारी भाव-चिन्ता, व्याधि। अतः यहाँ वियोग श्रृंगार हैं।

See also  यमक अलंकार की परिभाषा,भेद एवं उदाहरण / यमक अलंकार के उदाहरण व स्पष्टीकरण

उदाहरण – 3

अति मलीन बृषभानु-कुमारी
अघ-मुख रहित, उरघ नहिं चितवति,
ज्यों गथ हारे थकित जुआरी
छूटे चिकुर, बदन कुम्हिलानो,
ज्यों नलिनी हिमकर की मारी ॥

स्पष्टीकरण –  स्थायी भाव-रति । आश्रय-राधा। आलम्बन-कृष्ण । अनुभाव- अधोमुख रहना, अन्यत्र नहीं देखना, मुख का कुम्हला जाना, बालों का बिखरना।  संचारी भाव-ग्लानि, चिन्ता, दैन्य । अतः यहाँ वियोग श्रृंगार हैं।

उदाहरण – 4

मेरे प्यारे नव जलद से कंज से नेत्रवाले
जाके आये न मधुवन से औ न भेजा सँदेशा ।
मैं रो-रो के प्रिय-विरह से बावली हो रही हूँ
जा के मेरी सब दुख-कथा श्याम को तू सुना दे ॥

स्पष्टीकरण – इस छन्द में विरहिणी राधा की विरह-दशा का वर्णन किया गया है। रति स्थायी भाव है। राधा आश्रय और श्रीकृष्ण विषय है। प्रिय का वियोग व उसके सौन्दर्य का स्मरण उद्दीपन विभाव है। स्मृति, रुदन, चपलता, आवेग, उन्माद आदि संचारियों से पुष्ट श्रीकृष्ण से मिलन के अभाव में यहाँ वियोग शृंगार रस का परिपाक हुआ है।

श्रृंगार रस के अन्य उदाहरण

(1) मधुबन तु कत रहत हरे!
     बिरह बियोग स्याम सुंदर के, ठाढ़े क्यों न जरे?

(2) कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात।
       भरे भोन में कहत हैं नैनत ही सौं बात ॥

(3) पिय तिय सौं हँसि वै कहौ लखें दिठोना दीन।
       चंदमुखी मुखचंदु तैं भलौं चंद सम कीन॥

(4) कहुँ बाग तड़ाग तरंगिनी तीर तमाल की छाँह विलोकि भली ।
     घटिका इक बैठती है सुख पाप बिछाय तहाँ कुस काल थली ।।
     मग को श्रम श्रीपति पूरि करे सिय को शुभ वाकल अंचल सो।
      श्रम तेऊ हरें तिनको कहि केशव अचल चारू दृगंचल सो।।

See also  मनोविज्ञान की प्रमुख परिभाषाएं या कथन / मनोवैज्ञानिकों की प्रमुख परिभाषाएं

(5) देखहु तात बसन्त सुहावा।
       प्रिया हीन मोहि उर उपजावा।।

(6) दूलह श्री रघुनाथ बने, दुलही सिय सुन्दर मंदिर माही,
     गावत गीत सवै गिली सुन्दरि, वेदजुवा मिलि विप्र पढ़ाहीं।
     राग को रूप निहारित जानकी, कंगन के नग की परिछाही,
     यति सबै सुधि भूलि गई, कर टेकि रही पल टारत नाही।

(7) बतरस लालच लाल की, गुरली धरी लुकाय ।
   शैह करें भौहनि हँसै, देन कहै नटि जाय।।
    देखन सिय मृग विहॅग तरू, फिरति बहोरि – बहोरि ।
     निरखि – निरखि रघुवीर छवि, बादी प्रीति न थोरि ।।

(8) मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरो न कोई।
    जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।।

(9) उधौ मोहि ब्रज विसरत नाही।
    हंससुता की सुन्दर कगरी और द्रुमन की छाँही।।

(10) निसि दिन बरसत नैन हमारे,
        सदा रहत पावस ऋतु हम पै,
        जब ते श्याम सिधारे ।

(11) मधुवन तुम कत रहत हरे ।
    विरह वियोग स्याम सुन्दर के ठाडे क्यों न जरे ?


                         ★★★ निवेदन ★★★

दोस्तों हमें कमेंट करके बताइए कि आपको यह टॉपिक श्रृंगार रस की परिभाषा एवं उदाहरण / श्रृंगार रस के उदाहरण व स्पष्टीकरण कैसा लगा। आप इसे अपने तैयारी कर रहे अपने मित्रों के साथ शेयर भी कीजिये ।

Tags – श्रृंगार रस का उदाहरण सहित समझाइए,श्रृंगार रस का उदाहरण सहित,श्रृंगार रस के 10 उदाहरण,संयोग श्रृंगार रस के 10 उदाहरण,श्रृंगार रस के 2 उदाहरण,श्रृंगार रस के 5 उदाहरण,संयोग श्रृंगार रस के 5 उदाहरण,शृंगार रस के 5 उदाहरण,shringar ras in hindi class 10,shringar ras in hindi example,shringar ras in hindi grammar,श्रृंगार रस की परिभाषा,भेद और उदाहरण,shringar ras in hindi,श्रृंगार रस की परिभाषा एवं उदाहरण / श्रृंगार रस के उदाहरण व स्पष्टीकरण





Leave a Comment