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भयानक रस की परिभाषा एवं उदाहरण / भयानक रस के उदाहरण व स्पष्टीकरण
चलिए अब समझते है – भयानक रस किसे कहते हैं,भयानक रस के उदाहरण,भयानक रस के सरल उदाहरण,भयानक रस का स्थायी भाव,भयानक रस की परिभाषा एवं उदाहरण / भयानक रस के उदाहरण व स्पष्टीकरण
भयानक रस की परिभाषा
काव्य में किसी भयप्रद वस्तु, व्यक्ति या स्थिति का ऐसा वर्णन
जो मन में भय का संचार करे, भयानक रस कहलाता है। अर्थात्
जहाँ प्राणघातक संकट, बड़ी हानि अथवा शत्रु, राक्षस आदि से
उत्पन्न भय का चित्रण हो वहाँ भयानक रस होता है।
भयानक रस के अवयव
1.स्थायीभाव – भय
2.आलम्बन – भयानक दृश्य
3.उद्दीपन – आलम्बन की चेष्टाएँ, नीरवता कोलाहल
4.अनुभाव – कम्प, स्वेद, स्वरभंग, पलायन, मूच्छा
5.संचारी – आवेग, शंका, दैन्य, चिन्ता।
भयानक रस के उदाहरण एवं स्पष्टीकरण
उदाहरण – 1
समस्त सर्पों सँग श्याम ज्यों कढ़े
कलिंद की नन्दिनि के सु-अंक से।
खड़े किनारे जितने मनुष्य थे,
सभी महा शंकित भीत हो उठे ।
हुए कई मूर्छित घोर त्रास से,
कई भगे, मेदिनि में गिरे कई
हुई यशोदा अति ही प्रकंपिता,
ब्रजेश भी व्यसन-समस्त हो गये ॥
स्पष्टीकरण – रस- भयानक । स्थायी भाव – भय । आश्रय – ब्रजवासी। आलम्बन – सर्पों से घिरे हुए कृष्ण का दृश्य। अनुभाव – भागना, गिरना, कांपना, मूर्च्छित होना (प्रलय)। संचारी भाव-शंका, आवेग, मोह। अतः यहाँ पर भयानक रस है।
भयानक रस के अन्य उदाहरण
(1) गगड़ि गडगड़ान्यो खंभ फाट्यों चरमराय,
निकस्यो नरनाहर को रूप अतिभयावनो है।
ककटि कटकटवै, डाढ़े दसन लपलपावै भी,
भभरि भरभराने लोग, डडारि डरपराने धाम
थथरि अंग चितै चाहत खानों है।
कहत रघुनाथ कवि गरजे नृसिंह जबै
प्रलै को पयोधि मों तड़प तड़तड़ानों है।
(2) बालधी विशाल, विकराल, ज्वाला-जाल मानौ,
लंक लीलिबे को काल रसना पसारी है।
कैधों व्योम बीधिका भरे हैं भूरि धूमकेतु,
वीर रस वीर तरवारि सी उधारी है।
(3) विनय न मानत जलधि जड़, गये तीन दिन बीति ।
बोले राम सकोप तब, भय बिनु होहि न प्रीति ।।
(4) मँहरात, झँहरात, दाबानल आयो ।
घेर चहुओर करि सोर अंधर वल, धरनि आकास चहुँ पास छायौ ।
★★★ निवेदन ★★★
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