समाचार-पत्रों की उपयोगिता पर निबंध / essay on utility of newspapers in hindi

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समाचार-पत्रों की उपयोगिता पर निबंध / essay on utility of newspapers in hindi

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रूपरेखा (1) प्रस्तावना, (2) समाचार पत्रों का आरम्भ, (3) समाचार पत्रों के प्रकार, (4) आवश्यकता, (5) समाचार-पत्रों से लाभ, (6) उपसंहार : अच्छे समाचार-पत्रों की कमी और उसका निवारण ।

प्रस्तावना—

मनुष्य सभी प्राणियों से श्रेष्ठ और बुद्धिजीवी है। वह अपनी बुद्धि द्वारा नित्य नवीन ज्ञान प्राप्त करना चाहता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी भी है। इसलिए समाज के विषय में जानकारी रखना उसका स्वभाव है। चूँकि आज का युग विज्ञान का युग है। विज्ञान ने दूरी को कम कर दिया है और विश्व को एक नगर के रूप में बदल दिया है। मनुष्य सम्पूर्ण विश्व का समाचार जानना चाहता है। उसकी इस इच्छा की पूर्ति समाचार पत्रों द्वारा होती है।

समाचार-पत्रों का आरम्भ – 

समाचार पत्रों का प्रचलन 16वीं सदी में हुआ था। इसका जन्म सर्वप्रथम यूरोप महाद्वीप के इटली देश में हुआ था, लेकिन छापेखाने के आविष्कार से इनका रूप बदल गया। समाचार-पत्र तेजी से निकलने लगे। 17वीं सदी में समाचार-पत्रों की संख्या बढ़ गयी । हमारे देश में सर्वप्रथम बंगदूत,प्रजामित्र आदि समाचार-पत्र प्रकाशित हुए। समाचार-पत्रों को लोग चाव से पढ़ने लगे। इसका मुख्य कारण यह रहा कि सभी को घर बैठे हर प्रकार समाचार मिलने लगे।

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समाचार-पत्रों के प्रकार – 

अवधि की दृष्टि से समाचार पत्र अनेक प्रकार के होते हैं—दैनिक, साप्ताहिक, मासिक, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक, वार्षिक आदि । इसी प्रकार सामग्री की दृष्टि से भी इन्हें साहित्यिक, धार्मिक, व्यापारिक, शैक्षिक, राजनैतिक आदि में विभाजित किया जा सकता है।

आवश्यकता—

समाचार-पत्र पढ़ना मनुष्य के लिए अति आवश्यक है। इससे मनुष्य का ज्ञान बढ़ता है। ताजी घटनाओं और समाचारों से हम परिचित होते रहते हैं। समाचार-पत्र से विज्ञान के नवीन आविष्कारों की जानकारी मिलती है। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार का व्यावहारिक ज्ञान बढ़ता है। समाचार-पत्रों में सरकार की गतिविधि, नेताओं और जनता के विचार छपते हैं। इन विचारों और समाचारों से जनता को अपने विषय में सोचने और समझने का अवसर मिल जाता है। व्यापार और उद्योगों के विषय में भी पूर्ण जानकारी इन्हीं पत्रों के द्वारा ही मिल पाती है।

समाचार-पत्रों से लाभ-

राजनीति, समाज तथा रीति और नीति की बातों का ज्ञान समाचार-पत्रों से प्राप्त होता है। हम सब अपने विचारों को जीवन के हर क्षेत्र में सहायक सिद्ध हुए हैं। जनहित और जनकल्याण की बातों समाचार-पत्रों के माध्यम से लोगों के सामने रख सकते हैं। समाचार-पत्र हमारे का प्रकाशन करके समाचार पत्र हमारा बहुत बड़ा उपकार कर रहे है। व्यापारी लोग अपना विज्ञापन छपवा कर अपना तो हित करते ही हैं, लेकिन इसके साथ दूसरों का भी हित साधन होता है, क्योंकि लोगों को वस्तु विशेष की जानकारी मिलती है। समाचार-पत्र हमारी हर प्रकार की समस्या पर प्रकाश डालकर उनके करने के समाधानों को भी प्रकाशित करते हैं।

कभी-कभी महापुरुषों तथा साहित्यकारों की जीवनी और उनकी कृतियाँ भी समाचार-पत्रों में प्रकाशित होती हैं। इससे हमारे ज्ञान में वृद्धि होती है। वैवाहिक विज्ञापनों से लोगों को आजकल बड़ी सुविधा हो गई है। इस प्रकार समाचार-पत्र हमें बहुत लाभ पहुँचाते हैं। प्रत्येक समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचार आकाशवाणी और दूरदर्शन की अपेक्षा विस्तृत होता है। दूसरी बात, यह आकाशवाणी और दूरदर्शन के समाचार स्थाई रूप से संग्रहित नहीं किये जा सकते हैं, जबकि समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार विस्तार पूर्वक और सावधानी से संग्रहित किये जा सकते हैं। आज हमारे देश में अनेक दैनिक समाचार-पत्र हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी में प्रकाशित हो रहे हैं।

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उनमें से आज, स्वतंत्र भारत, नवजीवन, हिन्दुस्तान, पायनियर, कौमी आवाज, वीर अर्जुन, दैनिक जागरण, अमर उजाला आदि मुख्य हैं। आज के युग में समाचार-पत्रों का उपयोग अत्यधिक बढ़ गया है। इनके उपयोग और महत्त्व को ध्यान में रखकर हमें समाचार-पत्रों को अवश्य ही पढ़ना चाहिए। जो समाचार-पत्र नहीं पढ़ते, वे कूप-मंडूक बने रहते हैं। उन्हें संसार की जानकारी नहीं हो पाती है। आज के प्रगतिशील युग में समाचार-पत्र हमारे जीवन के लिए वरदान हैं। समाचार-पत्र से समाचार प्राप्त करने की उपयोगिता यह भी है कि इसका मूल्य बहुत कम होता है और इसे आराम से ट्रेन, गाड़ी, बस, घर आदि में बैठे-बैठे प्राप्त कर लेते हैं। इस प्रकार से समाचार-पत्र हमारे लिए अत्यन्त उपयोगी होने के साथ-साथ आवश्यक भी हैं।

उपसंहार : 

अच्छे समाचार-पत्रों की कमी और उसका निवारण – समाज की उन्नति-अवनति का बहुत कुछ दायित्व समाचार-पत्रों पर है। भारत जैसे लोकतान्त्रिक राष्ट्र में तो यह और भी बढ़ जाता है। इसके लिए यह आवश्यक है कि समाचार-पत्र किसी धनवान् व्यक्ति और राजनीतिक दल तथा किसी साम्प्रदायिक संस्था के हाथों में न खेलें। समाचार-पत्र स्वतंत्र, निष्पक्ष, सत्य के पुजारी, निर्भीक, व्यावहारिक दृष्टिकोण वाले और निरन्तर जागरूक होने चाहिए। समाचार-पत्र प्रत्येक राष्ट्र की निधि हैं। उनकी तनिक-सी असावधानी राष्ट्र का भयंकर अहित कर सकती है। अतः उन्हें अपने कर्त्तव्य के प्रति प्रतिपल सजग रहना चाहिए।

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